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डीयू के सत्यवती कॉलेज में ‘चैलेंज टू फूड सिक्योरिटी इन इंडिया एंड वे फॉरवर्ड’ पर हुई चर्चा

तस्वीरः गूगल साभार

दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज (प्रातः) के राजनीतिक विज्ञान विभाग में एक सेमिनार आयोजित किया गया। इस सेमिनार का विषय चैलेंज टू फूड सिक्योरिटी इन इंडिया एंड वे फॉरवर्ड रहा। इसके मुख्य वक्ता डॉ. विका पेट्रिकोवा थीं जो

डॉ. इविका पेट्रिकोवा

डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटिकल एंड इंटरनेशनल रिलेशन रॉयल हॉलवे यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन में हैं और वो सेंटर फॉर पॉलिटिक्स इन अफ्रीका, एशिया, लेटिन अमेरिका और द मिडिल ईस्ट की सह निर्देशक भी हैं।

डॉ. इविका ने खाद्य सुरक्षा के संबंध में 1991 से आज तक भारत की स्थिति के बारे में तथा खाद सुरक्षा संकट 2008-09 के बारे में बात की। साथ ही उन्होंने विभिन्न देशों में जीडीपी का खाद्य सुरक्षा का प्रतिशत के बारे में बताते हुए भारत में राष्ट्रीय खाद सुरक्षा अधिनियम-2013 का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत 5 किलो प्रति व्यक्ति माह खाद्य वितरित किए जाते हैं।

उन्होंने गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के लिए प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ के वितरण के बारे में भी जानकारी दी इसके साथ ही हरित क्रांति न्यूनतम समर्थन मूल्य, कीटनाशकों के प्रयोग और खाद सुरक्षा के खतरों के बारे में भी जानकारी दी।

कार्यक्रम में उपस्थित राजनीतिक विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अश्विनी शर्मा खाद्य पदार्थों के देश के आयात-निर्यात को लेकर चर्चा की। साथ ही यह भी बताया कि किसी देश की उत्पादन प्रणाली किस प्रकार अभी खाद सुरक्षा के लिए जरूरी है।

राजनीतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष शशि शेखर प्रसाद सिंह ने ग्रामीण किसानों की खाद्य सुरक्षा के बारे में बताया। कार्यक्रम को संचालन कर रहीं डॉ. निर्मल जिंदल ने बताया कि भारत खाद्य पदार्थों का पर्याप्त उत्पादन करता है। यदि कहीं खाद्य समस्या है तो वह परिवहन के कारण हैं- खासकर नॉर्थ ईस्ट में।

कार्यक्रम के अंत में विभिन्न छात्र-छात्राओं ने अतिथियों से खाद्य सुरक्षा को लेकर अपने सवालों के संबंध में जानकारी प्राप्त की।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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