SUBSCRIBE
FOLLOW US
  • YouTube
Loading

पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप में यूजीसी आरक्षित सीटों का नहीं करती उल्लेख, छात्रों में आक्रोश

तस्वीरः गूगल साभार

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा दी जा रही पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप को लेकर उम्मीदवारों में यह भ्रम और आशंका बनी हुई है कि चयनित अभ्यर्थियों की सूची में आरक्षित श्रेणी का कोई उल्लेख नहीं किया जाता, उसमें उम्मीदवारों के सामने यह स्पष्ट उल्लेख किया जाना चाहिए कि उक्त पदों पर एससी, एसटी, ओबीसी व विकलांगों का चयन हुआ है जैसा कि इन फेलोशिप में एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था है लेकिन, सीटों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।

बता दें कि यूजीसी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे शिक्षकों को तीन आधारभूत कर्तव्यों का पालन करना होता है- शिक्षण, शोध और विस्तार। इन्हीं उद्देश्यों को लेकर आयोग ने कई तरह की फेलोशिप देने का प्रावधान किया है। इनके अंतर्गत डॉक्टोरल फेलोशिप, महिलाओं के लिए पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप, भाषाओं सहित, मानविकी तथा सामाजिक विज्ञान में डॉ. एस राधाकृष्णन पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप, डॉ. डीएस कोठारी पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप दी जाती हैं।

इनमें से दो फेलोशिप में यूजीसी ने फेलोशिप पाने वालों की सूची में श्रेणियों का उल्लेख किया है, लेकिन भाषा सहित मानविकी तथा समाज विज्ञान में डॉ. एस राधाकृष्णन पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप और डॉ. डीएस कोठारी पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप के अंतर्गत फेलोशिप प्राप्त करने वाले कितने एससी, एसटी, ओबीसी व विकलांगों के लिए है और कितने सामान्य वर्गों के उम्मीदवारों को फेलोशिप दी जाती है, का ब्यौरा नहीं दिया जाता। इसको लेकर आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों में गहरा रोष व्याप्त है।

ऑल इंडिया यूनिवर्सिटीज एंड कॉलेजिज एससी, एसटी ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन के चेयरमैन प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि लंबे समय से विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति न होने के कारण ऐसे उम्मीदवार जो पीएचडी करने के उपरांत पोस्ट-डॉक्टोरल करना चाहते हैं और अगर वे आरक्षित वर्ग के अंतर्गत आवेदन करना चाहते हैं तो कोटे की सीटों को न दिखाने के कारण वे इससे वंचित रह जाते हैं। उनका कहना है कि उम्मीदवारों को इन फेलोशिप में सामान्य, एससी, एसटी, ओबीसी व विकलांग उम्मीदवारों के लिए कितनी सीटे हैं, यही नहीं पता चल पाता। ऐसी स्थिति में सारी फेलोशिप सामान्य वर्गों के उम्मीदवारों को मिल जाती हैं।

कितनी फेलोशिप मिलती है?

यूजीसी द्वारा डॉ. एस राधाकृष्णन पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप और भाषाओं सहित मानविकी तथा सामाजिक विज्ञान फेलोशिप की अवधि तीन वर्ष है। चयनित उम्मीदवारों को इसके तहत पहले वर्ष के दौरान 38, 800/ रुपये प्रति माह की दर से, दूसरे वर्ष के दौरान 40,300 / रुपये प्रति माह की दर से तथा तीसरे वर्ष के दौरान 41,900 / रुपये प्रति माह की दर के अलावा कोंटेंजेन्सी राशि 50,000/ रुपये प्रति वर्ष दिए जाते हैं। इसके अलावा शारीरिक रूप से निःशक्त एवं दृष्टिबाधित अभ्यर्थियों के लिए 2000 रुपये प्रति माह निर्धारित है। मकान का किराया, भत्ता भारत  सरकार के मानदंडों के अनुसार दिया जाता है।

किस वर्ष में कितनी फेलोशिप (यूजीसी की वार्षिक रिपोर्ट)

वर्ष                       लाभार्थियों की संख्या

2014-15               180

2015-16               351

2016-17               540

उम्मीदवारों को फेलोशिप दी जा चुकी है परंतु इसमें वर्गवार श्रेणियों (एससी, एसटी, ओबीसी व विकलांग अभ्यर्थियों को) को कितनी फेलोशिप दी गई हैं यह जानकारी नहीं है।

महिलाओं के लिए पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप

महिलाओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से इस योजना के अंतर्गत पीएचडी उपाधि धारक बेरोजगार महिलाएं जिनका पूर्णकालीन आधार पर पोस्ट-डॉक्टोरल की ओर रुझान है, उन्हें शोध कार्य का अवसर प्रदान करना है। वर्तमान में इस योजना के तहत प्रति वर्ष 100 स्लॉट उपलब्ध हैं। इसमें पीएचडी धारक अनारक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों के मामले में स्नातक में 55 फीसद अंक तथा स्नातकोत्तर स्तर पर 60 फीसद अंक और आरक्षित श्रेणी के लिए स्नातक पूर्व स्तर पर 50 फीसद अंक और स्नातकोत्तर स्तर पर 55 फीसद अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को फेलोशिप दी जाती है। सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए अधिकतम आयु सीमा 55 वर्ष और एससी, एसटी, ओबीसी व विकलांगों के लिए आयु सीमा 60 वर्ष रखी गई है।

महिलाओं के लिए पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप

वर्ष                         लाभार्थियों की संख्या

2012-13                       138

2013-14                       184

2014-15                       460

2015-16                       648

2016-17                       550

 

पहले दो वर्षों के लिए प्रति वर्ष 25 हजार रुपये और शेष तीन वर्षों के लिए प्रति वर्ष 30 हजार रुपये दिए जाने का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त 50 हजार रुपये की कांटेंजेन्सी के दिए जाते हैं। इसकी सूची में भी फेलोशिप के लिए चयनित उम्मीदवारों में आरक्षित श्रेणी का उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि आरक्षित वर्गो का प्रावधान तो कर दिया गया है मगर इनके लिए कितनी फेलोशिप है यह यूजीसी ने दर्शाया नहीं है।

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप

इस योजना के अंतर्गत डॉक्टोरल उपाधि धारक तथा शोध पत्र प्रकाशित करने वाले एससी, एसटी के उम्मीदवारों को उनके द्वारा चुने हुए क्षेत्रों में उच्च शोध करने के लिए सुविधा प्रदान करना है। यूजीसी प्रत्येक वर्ष 100 स्लॉट उपलब्ध कर रहा है। इसके अंतर्गत पहले दो वर्ष 38,800 रुपये प्रति माह की दर से तथा तीसरे वर्ष के पश्चात 46,500 रुपये प्रति माह की दर से फेलोशिप दी जाती है। इसके अलावा 50 हजार रुपये कांटेंजेन्सी के लिए दिए जाते हैं। इसमें 2016-17 में एससी के 67 और एसटी के 23 उम्मीदवारों को फेलोशिप दी गई। इसमें 10 कम उम्मीदवारों को फेलोशिप दी गई।

इसके अलावा यूजीसी प्रति वर्ष विदेशों में भारतीय स्कॉलरशिप के लिए भेजता है। इन सभी मे एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का उल्लेख है, लेकिन फेलोशिप दी नहीं जाती।

फेलोशिप में आरक्षण देने व सीटें बढ़ाने की मांग

प्रो. सुमन ने यूजीसी के चेयरमैन प्रो डीपी सिंह से मांग की है कि यूजीसी द्वारा दी जाने वाली सभी तरह की फेलोशिप में आरक्षण दिया जाए ताकि सामाजिक न्याय मिल सके। साथ ही शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सीटें भी बढ़ाई जाएं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

Be the first to comment on "पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप में यूजीसी आरक्षित सीटों का नहीं करती उल्लेख, छात्रों में आक्रोश"

Leave a comment

Your email address will not be published.


*