नई दिल्ली। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की तरफ से जल्द ही 100 रुपये का नया नोट जारी किया जाएगा। यह नया नोट अन्य नोटों से कुछ अलग होगा। 100 रुपये के नए नोट के पीछे की तरफ गुजरात की ऐतिहासिक रानी की बाव का चित्र दिया गया है। गौरतलब हो कि इससे पहले 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी के बाद आरबीआई की तरफ से 10, 50, 200, 500 और 2000 के नए नोट जारी हुए थे।
अब 100 रुपये का नया नोट जल्द ही देखने को मिलेगा। समाचार एजेंसी एएनआई की ओर से जारी 100 रुपये की तस्वीर के अनुसार नया नोट हल्के बैगनी रंग का होगा।
नया नोट आने के बाद भी पुराना नोट चलन में रहेगा
रिजर्व बैंक ने कहा है कि नया नोट बाजार में आने के बाद पुराना नोट भी चलन में रहेगा। इस नोट के साइज 50 रुपये के नए नोट से बड़ा और मौजूदा 100 रुपये के नोट से छोटा होगा। उम्मीद है 100 रुपये के नए नोट को अगस्त के अंत तक जारी किया जा सकता है। बता दें नोटबंदी के बाद इससे पहले आरबीआई ने 2000 और 500 रुपये का नया नोट जारी किया था। अगस्त 2017 में 200 रुपये का नया नोट जारी किया था।
क्या है खासियत
समाचार एजेंसी एएनआई के ट्वीट के अनुसार कुछ ऐसा दिखेगा यह नया नोट
Will shortly issue Rs 100 denomination banknotes .This new denomination has motif of “RANI KI VAV” on the reverse, depicting the country’s cultural heritage. The base colour of the note is Lavender. The existing 100 rupee note will continue to be legal tender: RBI pic.twitter.com/68HdtAW9m2
— ANI (@ANI) July 19, 2018
इस नोट पर आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल के दस्तखत होंगे। नोट के पीछे ‘रानी की वाव’ की तस्वीर है। इसके जरिये भारत की सांस्कृतिक विरासत को साझा किया जा रहा है। नोट पर अन्य डिजाइन, जियोमैट्रिक पैटर्न हैं। नोट का साइज 66 एमएम गुणा 142एमएम है। जहां पर 100 अंक लिखा हुआ है वहां (जांच में) पर आर-पार देखा जा सकेगा। 100 अंक छिपा भी हुआ है। देवनागरी में भी 100 अंक लिखा हुआ है। महात्मा गांधी की तस्वीर मध्य में लगी हुई है। छोटे शब्द जैसे आरबीआई, भारत, इंडिया और 100 लिखे गए हैं। नोट के दाहिने हिस्से में अशोक स्तम्भ है। नोट के पीछे नोट छापने का वर्ष अंकित है। स्वच्छ भारत का लोगो नारे के साथ दिया गया है। देवनागरी लिपी में 100 अंक लिखा गया है।
रानी का वाव है क्या, जानिए नये नोट का गुजरात कनेक्शन
भारत के गुजरात राज्य से संबंधित बावड़ी को नए नोट में जगह मिली है। रानी की वाव गुजरात राज्य के पाटण में स्थित प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआँ) है। 22 जून 2014 को इसे यूनेस्को के विश्व विरासत स्थल में सम्मिलित किया गया। बावड़ी को जल प्रबंधन प्रणाली में भूजल संसाधनों के उपयोग की तकनीक का बेहतरीन उदाहरण माना है। सात मंजिला यह वाव मारू-गुर्जर शैली का प्रमाण है। यह बावड़ी सात शताब्दी तक सरस्वती नदी के लापता होने के बाद गाद में दबी हुई थी। बता दें कि पाटण को पहले ‘अन्हिलपुर’ के नाम से जाना जाता था, जो गुजरात की पूर्व राजधानी थी। कहा जाता है कि रानी की वाव (बावड़ी) वर्ष 1063 में सोलंकी शासन के राजा भीमदेव प्रथम की प्रेमिल स्मृति में उनकी पत्नी रानी उदयामति ने बनवाया था। रानी उदयमति जूनागढ़ के चूड़ासमा शासक रा’ खेंगार की पुत्री थीं। सोलंकी राजवंश के संस्थापक मूलराज थे। सीढ़ी युक्त बावड़ी में कभी सरस्वती नदी के जल के कारण गाद भर गया था। यह वाव 64 मीटर लंबा, 20 मीटर चौड़ा तथा 27 मीटर गहरा है। (स्रोतः विकिपीडिया)
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