-सुकृति गुप्ता
नंदिता दास ने आज़ादी वाले दिन यानी 15 अगस्त को मंटो का ऑफिशियल ट्रेलर रिलीज कर दिया। हालांकि यूट्यूब पर इसे 14 अगस्त को ही डाल दिया गया था। फिल्म की थीम (बोल के लब आज़ाद हैं तेरे…) के हिसाब से उन्होंने एकदम सटीक दिन चुना।
खैर, यह फिल्म की पहली झलक नहीं है। इससे पहले नंदिता दास फिल्म से जुड़े कई वीडियो जारी कर चुकी हैं। इनमें से एक इन डिफेंस ऑफ फ्रीडम नाम से मंटो पर बनाई गई एक शार्ट फिल्म भी है जो यूट्यूब पर 23 मार्च, 2018 को रिलीज़ की गई थी। ट्रेलर देखने पर वो फिल्म याद आ जाती है। पर, शार्ट फिल्म में जहाँ महज़ एक दृश्य दिखता है, वहीं ट्रेलर पूरी फिल्म की एक संक्षिप्त झलक पेश कर देता है। ट्रेलर देखकर ही समझ आ जाता है कि फिल्म को कान और सिडनी में इतनी तारीफें क्यों मिली। एकदम जबर फिल्म होगी, ऐसा कहने की बजाए, फिल्म एकदम जबर है ऐसा कहने का जी करता है।
यूट्यूब पर अब तक 39 लाख से ज़्यादा लोग ट्रेलर को देख चुके हैं। नंदिता दास की जमकर तारीफ की जा रही है। होनी भी चाहिए क्योंकि जमकर मेहनत की है उन्होंने। भारत में लाहौर ढूँढ़ लेनी वाली नंदिता दास जीनियस हैं। मंटो से जुड़ी हर चीज़ का खयाल किया हैं। इतना ख्याल किया है कि मंटो को मिंटो कहने वाले भी समझ जाएंगे कि मंटो कौन हैं। मतलब मंटो जैसे जटिल किरदार को उन्होंने इतनी सहजता से पेश किया है कि जिन्होंने मंटो का नाम भी नहीं सुना होगा, वो भी फिल्म देखकर मंटो को कुछ-कुछ समझ जाएंगे।
सआदत हसन मंटो एक अफ़सानासाज़ थे। वह उर्दू लेखक थे। कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। कहानियों में अश्लीलता के आरोप की वजह से मंटो को छह बार अदालत जाना पड़ा था। जिसमें से तीन बार पाकिस्तान बनने से पहले और बनने के बाद, लेकिन एक भी बार मामला साबित नहीं हो पाया। ट्रेलर का मिजाज भी अफ़साने की तरह है। मंटो के किरदार में जब नवाज़ुद्दीन डायलॉग बोलते हैं तो लगता है कोई अफ़साना लिख रहा है। नवाज़ुद्दीन पर मंटो वाला गोल चश्मा मंटो जैसे ही लगता है। साफिया के किरदार में रसिका डुग्गल भी साफिया ही लग रही हैं। ढीले-ढाले कपड़ों पर गोल फ्रेम वाला चश्मा वैसा ही है जैसा कि मंटो के साथ असल तस्वीरों में साफिया नज़र आती हैं। ट्रेलर में विभाजन के कई दृश्य हैं। मुकदमें वाली कहानियों में बू की बजाए ठंडा गोश्त की झलक दिखाई गई है, जिससे जाहिर होता है कि विभाजन वाले मंटो पर ज़्यादा गौर फ़रमाया गया है। खैर, जो कुछ भी ट्रेलर में दिखाया गया है, उम्दा है।
नंदिता दास ने मंटो का ज़िक्र करते हुए कई दफा कहा है कि फिल्म के दृश्यों के लिए उन्हें कई जगहों से प्रेरणा मिली। फिर चाहे वह मंटो के ज़माने का बॉम्बे हो या लक्ष्मी मेंशंज वाला लाहौर हो। फिल्म के ट्रेलर में भी यह दिखता है। मसलन, यहाँ ऋषि कपूर का एक दृश्य है जिसमें वे मंटो को कहते हैं, “सुना है कोर्ट ने बाइज़त बली कर दिया तुम्हे..” उनके आगे एक लड़की ऑडिशन देती हुई नज़र आती है। नंदिता दास ट्वीट करते हुए बताती हैं कि इस दृश्य की प्रेरणा उन्हें कहाँ से मिली….
Thank you! This photo is part of a series that did inspire me to write the scene with @chintskap 🙂 @mantofilm https://t.co/20qQpSvhdP
— Nandita Das (@nanditadas) August 15, 2018
यह दृश्य 1951 के ऑडिशन की तस्वीर से प्रेरित है।आपको बता दें कि इस फिल्म में ऋषि कपूर एक फ्लर्ट प्रोडयूसर का किरदार निभा रहे हैं। इस छोटे से दृश्य पर जब इतना गौर फ़रमाया गया है तो यकीनन पूरी फिल्म पर बहुत मेहनत की गई होगी।
नंदिता दास से पहले मंटो पर बायोपिक तो नहीं पर उनके कुछ विवादित अफ़सानों को लेकर राहत काज़मी मंटोस्तान नाम की फिल्म बना चुके हैं जो 5 मई 2017 को रिलीज़ हुई थी। पर पूरी फिल्म देख लेने के बाद भी नहीं लगता कि उन्होंने नंदिता दास जितनी मेहनत की है। जबकि मंटो का ट्रेलर भर ही यह बता देता है कि यह कितनी उम्दा फिल्म है।
फिल्म 21 सितंबर को रिलीज़ हो रही है। मंटो के अफ़साने न भी पढ़े हों तो भी इस फिल्म को देखने ज़रूर जाना चाहिए। क्योंकि फिल्म महज़ एक अफ़सानासाज़ की नहीं है। बोलने और लिखने की आज़ादी को लेकर भी है। मंटो के माध्यम से नंदिता दास आज़ादी के इसी प्रश्न को अहमियत दे रही हैं।
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