मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उप सचिव ने भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शैक्षिक व गैर शैक्षिक रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्तियों के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) की मांग की है। आगे कहा कि आचार संहिता के समय यदि कोई भर्ती प्रक्रिया आरम्भ होती है तो केंद्रीय विश्वविद्यालय इसके दायरे में ना आएं।
फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फ़ॉर सोशल जस्टिस के चेयरमैन व डीयू की पूर्व विद्वत परिषद सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में यह अधिकृत किया गया है कि शैक्षिक पदों पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में लंबे समय से कोई नियुक्ति नहीं हुई है और इलाहाबाद हाईकोर्ट के 7 अप्रैल 2017 के फैसले से यूजीसी के दिशा निर्देशों को भर्ती प्रक्रिया के संबंध में प्रतिबंधित कर दिया था, जिसमें विश्वविद्यालय/कॉलेज को एक यूनिट ना मानकर विभागवार/विषयवार को एक यूनिट मानकर आरक्षण रोस्टर तैयार करने की बात की थी।
उन्होंने बताया कि इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई 2017 के अपने फैसले को सुरक्षित रखा। इस संदर्भ में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी डाली किन्तु कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके उपरांत सरकार ने 7 मार्च 2019 को अध्यादेश लाकर इस मुद्दे को सुलझाने का रास्ता निकाला।
प्रो. सुमन के अनुसार पत्र में बताया गया है कि 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 17,425 स्वीकृत पद हैं जिसमें 1 नवम्बर 2018 तक इन विश्वविद्यालयों में 6141 पद खाली पड़े हुए हैं। उच्च शिक्षा में शिक्षण मानकों (टीचिंग स्टैंडर्ड) को सुधारने तथा छात्रों का अबाधित अध्ययन चलते रहने के लिए आवश्यक उपायों में अनिवार्य होगा कि जल्द से जल्द भर्ती प्रक्रिया शुरू हो ताकि नये शैक्षिक सत्र के शुरू होने से पहले इन रिक्त पदों को भर दिया जाए।
प्रो. सुमन ने बताया है कि फोरम द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल 2018 को 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्वीकृत पद प्रोफेसर (2,426), एसोसिएट प्रोफेसर (4,805), सहायक प्रोफेसर (9,861) पद है। इस तरह कुल 17,902 पद हैं। इन खाली पड़े पदों में प्रोफेसर (1,301), एसोसिएट प्रोफेसर (2,185), सहायक प्रोफेसर (2,120) पद हैं। कुल 5,606 पद खाली हैं। उन्होंने बताया है कि इन पदों में सबसे ज्यादा एससी, एसटी और ओबीसी कोटे के खाली पद हैं। इसमें अनुसूचित जाति के 873, अनुसूचित जनजाति के 493, ओबीसी के 786, पीडब्ल्यूडी के 264 खाली पदों पर नियुक्तियां होनी हैं।
यूजीसी के शासनादेश के अनुसार विश्वविद्यालयों में शैक्षिक व गैर शैक्षिक पदों को जून 2019 में नये अकादमिक सत्र के शुरू होने से पहले इन शैक्षिक पदों को शैक्षिक व गैर शैक्षिक पदों पर पूरे आवश्यक कर्मचारियों को प्रदान करने की बात भारतीय चुनाव आयोग से पत्र लिखकर अनुमति व मांग की गई है। इसमें भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए स्पष्टीकरण और अनुमति मांगी गई है ताकि स्थायी तौर पर शैक्षिक व गैर शैक्षिक खाली पदों को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में भर दिया जाये और पठन पाठन में बाधा ना उत्पन्न हो सके।
चिंता व्यक्त की
प्रो. सुमन ने चिंता व्यक्त की है कि एक तरफ मंत्रालय भर्ती प्रक्रिया को लेकर अध्यादेश से लेकर आदेश पर आदेश दिए जा रहा है दूसरी ओर ईडब्ल्यूएस कोटे को मुख्य रोस्टर में शामिल करके नये रोस्टर के रिकास्ट की बात कर रहा है जिसमें लंबा समय लग सकता है और जून 2019 तक यह असंभव है क्योंकि एक तरफ चुनाव की व्यस्तता और दूसरी तरफ विश्वविद्यालयों/कॉलेजों में परीक्षाएं, प्रायोगिक परीक्षाएं, उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन, नये शैक्षिक सत्र में छात्रों के प्रवेश (एडमिशन) करने आदि कार्यक्रमों के चलते विशेषज्ञों की अनुपलब्धता भर्ती प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करेगी।
उनका कहना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए स्पष्ट रूप से दिशा निर्देश जारी करके बताएं कि कैसे -कैसे भर्ती प्रक्रिया आरम्भ होगी।
Be the first to comment on "एमएचआरडी ने केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मांगा एनओसी"