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यूजीसी सर्कुलर को लेकर डीयू भर्ती कमेटी ने बुलाई बैठक, सदस्यों ने कहा कि रोस्टर से छेड़छाड़ न हो

तस्वीर गूगल साभार

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की ओर से गुरुवार को प्रोफेसर डीके सिंह की अध्यक्षता में शिक्षकों के लिए बनाई गई भर्ती और पदोन्नति (रिक्रूटमेंट एंड प्रमोशन) कमेटी की बैठक संपन्न हुई। बैठक में 5 मार्च के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के शिक्षक विरोधी पत्र के आने के बाद से उत्त्पन हुई परिस्थिति पर विचार किया गया।
यूजीसी पत्र पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि यूजीसी ने जो सर्कुलर विश्वविद्यालय को भेजा है, विभागों में पहले से ही विश्वविद्यालय को एक यूनिट मानकर  200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर चला आ रहा है, सर्कुलर में अलग से कुछ नहीं कहा गया है।

डीयू विद्वत परिषद सदस्य प्रो हंसराज ‘सुमन’ ने बताया है कि यूजीसी द्वारा दिल्ली विश्वविद्यालय को भेजे गए पत्र पर अनेक सदस्यों ने अपनी राय रखी। उनका कहना था कि यूजीसी के सर्कुलर आने के बाद, अब हर विभाग के अनुसार इसे लागू करना है या नहीं ? इस पर गहन-विचार विमर्श किया गया और यह तय किया गया कि विश्वविद्यालय और कॉलेजों में पूर्व स्थिति को ही लागू रखते हुए रोस्टर बने, उसके साथ किसी तरह का छेड़छाड़ न किया जाए। कमेटी के सदस्यों ने निर्णय लिया कि यूजीसी स्वयं ही सुप्रीम कोर्ट में विभागवार रोस्टर बनाने के विरोध में गई है तो वह विश्वविद्यालय को कैसे विभागीय स्तर पर रोस्टर लागू करने के लिए कह सकती है। सदस्यों का यह भी कहना था कि रोस्टर का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इस वजह से पूर्वस्थिति को ही जारी रखने का निर्णय लिया गया।
बैठक में उपस्थित सदस्यों का कहना था कि जो नियम विश्वविद्यालय में लागू होगा वही कॉलेजों में भी लागू होना है।

प्रो सुमन ने कहा कि डीयू की रिक्रूटमेंट सेल ने जो आंकड़े प्रस्तुत किए थे उसमें दर्शाया गया था कि यूजीसी की नई प्रणाली लागू करने से एक भी एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के नए पद नहीं भरे जा रहे हैं। साथ ही उनका कहना था कि 200 पॉइंट पोस्ट बेस रोस्टर ही लागू किया जाए, रोस्टर के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं किया जाये क्योंकि मामला कोर्ट में है।

कॉलेजों में इंटरव्यू को रोका जाए
यूजीसी सर्कुलर/पत्र आने के बाद से दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेजों ने विभागवार रोस्टर बनाकर फिर से एडहॉक टीचर्स के इंटरव्यू कराकर उनकी नियुक्ति करने का फैसला लिया है और इस कड़ी में बहुत से कॉलेजों ने इंटरव्यू लेने शुरू कर दिए हैं प्रो सुमन का कहना है कि कॉलेजों में इसे जल्द रोका जाए और 20 जुलाई को सभी शिक्षकों की रिज्वाइनिंग कराएं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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