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नेहरू ने जब इंदिरा को लिखा था पत्र

नीरज सिंह

पंडित जवाहरलाल नेहरू (जन्म 14 नवम्बर 1889) को आखिर कौन नहीं जानता। उन्हें याद करने के लिए क्या कुछ कम है। 27 मई 1964 (आज के दिन) को उनकी मौत हुई थी। आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू स्‍वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता थे। उनकी लिखी किताब ‘डिस्‍कवरी ऑफ इंडिया’ दुनिया भर में मशहूर है। इसके साथ ही उनकी एक अन्य पुस्तक है- लेटर्स फ्रॉम अ फादर टू हिज डॉटर जिसका प्रेमचंद द्वारा बाद में हिन्दी अनुवाद भी किया गया। यह पुस्तक उनकी 10 साल की बेटी इंदिरा गांधी को इलाहाबाद से लिखकर मंसूरी भेजे गए 30 पत्रों का संग्रह है। इसमें उन्होंने बहुत सारे विषयों को समझाने के लिए इंदिरा को पत्र लिखा था। उन्होंने इंदिरा को एक पत्र रामायण और महाभारत के नाम से भी लिखा जिसका कुछ अंश इस प्रकार है..

“यहां एक बड़े मजे की बात लिखता हूं जिसे जान कर तुम खुश होगी। अगर तुम हिंदुस्तान के नक्शे पर निगाह डालो और हिमालय और विंध्‍य पर्वत के बीच के हिस्से को देखो, जहां आर्यावर्त रहा होगा तो तुम्हें वह दूज के चांद के आकार का मालूम होगा। इसीलिए आर्यावर्त को इंदु देश कहते थे। इंदु चांद को कहते हैं।

आर्यों को दूज के चांद से बहुत प्रेम था। वे इस शक्ल की सभी चीजों को पवित्र समझते थे। उनके कई शहर इसी शक्ल के थे जैसे बनारस। मालूम नहीं तुमने खयाल किया है या नहीं, कि इलाहाबाद में गंगा भी दूज के चांद की-सी हो गई है।”

अब आप समझ गए होंगे कि बच्चों से आखिर प्रेम करने का अंदाज उनका किस प्रकार था और उन्हें बेहतर ढंग से पंडित जी कैसे समझाया करते थे। नेहरू के जन्मदिन ’14 नवंबर’ को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। नेहरू को बच्चे प्यार से चाचा नेहरू बुलाया करते थे। एक बार चाचा नेहरू से मिलने एक सज्जन आए। बातचीत के दौरान उन्होंने नेहरू जी से पूछा, “पंडित जी, आप सत्तर साल के हो गये हैं, लेकिन फिर भी हमेशा बच्चों की तरह तरोताज़ा दिखते हैं, जबकि आपसे छोटा होते हुए भी मैं बूढ़ा दिखता हूँ।” नेहरू जी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “इसके तीन कारण हैं। पहला कि मैं बच्चों को बहुत प्यार करता हूँ। उनके साथ खेलने की कोशिश करता हूँ, इससे मैं अपने आपको उनको जैसा ही महसूस करता हूँ। दूसरा, मैं प्रकृति प्रेमी हूँ, और पेड़-पौधों, पक्षी, पहाड़, नदी, झरनों, चाँद, सितारों से बहुत प्यार करता हूँ। मैं इनके साथ में जीता हूँ, जिससे यह मुझे तरोताज़ा रखते हैं। और तीसरा कारण यह है कि अधिकांश लोग सदैव छोटी-छोटी बातों में उलझे रहते हैं और उसके बारे में सोच-सोचकर दिमाग़ ख़राब करते हैं। मेरा नज़रिया अलग है और मुझ पर छोटी-छोटी बातों का कोई असर नहीं होता।” यह कहकर नेहरू जी बच्चों की तरह खिलखिलाकर हंस पड़े।

आखिर अब कौन नेता है जो नेहरू की तरह बच्चों से प्यार कर सके

आज तो क्लास में अध्यापक बच्चों पर कहर बरपाते हैं। प्रेम तो दूर उनका यौन शोषण करते नजर आते हैं। नेता सदन में पोर्न देख रहे हैं। एक पिता भी आजकल अपनी बेटियों को हवस का शिकार बना लेता है।

एक देश

देश की जनता अनेक

अनेकों हैं त्योहार

अरे देखो कितना बड़ा है यह परिवार

फिर क्यों हो रही हैं

इस देश की बेटियां रोज़ किसी न किसी दरिंदे के हवस का शिकार

 

 

 

 

 

 

 

 

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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