दिल्ली टेक्निकल विश्वविद्यालय (डीटीयू) ने हाल ही में सहायक प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पदों के विज्ञापन निकाले गए हैं। इन विज्ञापनों में शिक्षक नियुक्तियों के लिए एक आयु सीमा निर्धारित की गई है, इसके पीछे उनकी मंशा आरक्षित वर्गो के उम्मीदवारों को उच्च शिक्षा में आने से रोकना है। आयु सीमा का इस तरह से निर्धारण कर देना आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों (एससी, एसटी, ओबीसी) के लिए एक मुसीबत बन सकता है। यह यूजीसी के नियमों की सरेआम अवहेलना है।
डीटीयू ने स्वयं नियम बनाकर विज्ञापन ज़ारी किया
ऑल इंडिया विश्वविद्यालय एंड कॉलेजिज एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स एसोसिएशन के नेशनल चेयरमैन और डीयू की विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन ‘ने बताया है कि दिल्ली टेक्निकल विश्वविद्यालय ने एम्प्लायमेंट न्यूज (9 जून से 15 जून) के साप्ताहिक पत्र में सहायक प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पदों को भरने के लिए विज्ञापन निकाला है।
यूजीसी ने शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी नियमावली में उम्र सीमा निर्धारित करने का कोई भी प्रावधान नहीं किया है, उसके बावजूद डीटीयू ने अपने नियम स्वयं बनाकर पदों को भरने के लिए विज्ञापित किया है।
आयु सीमा निर्धारित
इस विज्ञापन के अनुसार सहायक प्रोफेसर के लिए आयु सीमा 35 वर्ष और एसोसिएट प्रोफेसर के लिए 45 वर्ष की आयु सीमा रखी गई है। हालांकि एससी/एसटी व पीडब्ल्यूडी के उम्मीदवारों को 5 वर्ष की आयु सीमा में छूट दी गई है तो वहीं ओबीसी के उम्मीदवारों को 3 साल की छूट दी गई है।
डीटीयू की मांगे
डीटीयू पहले दिल्ली विश्वविद्यालय का ही हिस्सा था, लेकिन 2009 में यह डीयू से अलग हो गया और आज डीटीयू एक अलग से विश्वविद्यालय है जो दिल्ली सरकार के अंतर्गत स्टेट विश्वविद्यालय का दर्जा प्राप्त विश्वविद्यालय है। उन्होंने इस संदर्भ में दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल से मांग की है कि जब यूजीसी ने शिक्षकों की नियुक्तियों में किसी प्रकार की कोई आयु सीमा का निर्धारण नही किया है तो दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाली डीटीयू शिक्षकों की नियुक्तियों में अपने नियम कैसे बना सकती है? उनका कहना है कि वे शिक्षकों की नियुक्ति में यूजीसी नियमों का पालन करें।
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