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डीयूः बौद्ध विभाग में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में छह अक्षर मंत्र के महत्व पर हुई चर्चा

दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के बौद्ध विभाग में बुधवार को छह अक्षर मंत्र का महत्व (Significance of Six syllable Mantra) विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजित किया गया। डीयू के बौद्ध विभाग के उन्नत अध्ययन केंद्र (Centre of Advance Studies) और सियोल (दक्षिण कोरिया) के होइडांग बौद्ध अध्ययन केंद्र के संयुक्त प्रयास से आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में देश भर के कई विद्वान शामिल हुए।

मुख्य वक्ता के तौर पर दिल्ली विश्विद्यालय (डीयू) समेत तिब्बत, दक्षिण कोरिया हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के प्रोफेसरों को आमंत्रित किया गया था। तिब्बत हाउस के एचएचद दलाई लामा के सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक गेशे दोर्ज दमदुल (Geshe Dorji Damdul), दक्षिण कोरिया की होइडांग अकादमी के अध्यक्ष किम वू सिक (kim Woo Sik), हॉन जिन ह्यू (Han Jin Heui), जिन गॉक बुद्धिस्ट कॉलेज के प्रोफेसर किम क्युंग जिप (Kim Kyung Jip), ली क्युंग तेक (Lee Kyung Taek) को मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया गया था। धर्मशाला के कॉलेज फॉर हायर तिब्बतन स्टडीज के लेक्चरर गेशे तेनज़िन दमचोई (Geshe Tenzin Damchoe), पद्म मनि अनुवाद समिति (उत्तराखंड) के प्रमुख खेनपो सोनम सेवांग (Khenpo Sonam Tsewang), कर्नाटक के सीरा जे विश्विद्यालय से जेन पॉलजर ने भी सम्मेलन में हिस्सा लिया और अपने विचार रखे। दिल्ली विश्विद्यालय के प्रोफेसरों ने भी अपने विचार पेश किए। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हीरा पॉल गांगनेगी (Hira Paul Gangnegi), और डॉ. इंद्र नारायण सिंह (Dr. Indra Narayan Singh) ने बुद्ध के छह अक्षरों के महत्व पर बात की।

यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सिक्स सिलेबल मंत्र (ओम् मणि पद्म हंग) के महत्व को समर्पित था। सम्मेलन में अपना व्याख्यान देते हुए तिब्बत हाउस के विद्वानों ने सिक्स सिलेबल मंत्र की व्याख्या की और साथ ही हिमालयन बुद्दिजम  के बारे में बताया। सम्मेलन में मौजूद विद्वानों ने ओम् मणि पद्म हंग के न केवल शाब्दिक अर्थ की ही व्याख्या की बल्कि जीवन में इन छह अक्षरों का क्या महत्व है इसकी भी बात की। इन छह अक्षरों की अलग-अलग व्याख्याओं पर भी चर्चा की गई। उस पर बात करते हुए बौद्ध धर्म की अलग-अलग मान्यताओं पर भी बात की गई।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हीरा पॉल गंगनेगी ने फोरम फोर से बात करते हुए मौजूदा दौर में ओम् मणि पद्म हंग की प्रासंगिकता पर बात की। उन्होंने कहा कि यह ज़रूरी है कि हम अपने बच्चों को न केवल भौतिक शिक्षा दें बल्कि उन्हें अच्छा इंसान भी बनाएं। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें धर्म वास्तव में क्या है, यह समझने की ज़रूरत है। हर धर्म इंसानियत की बात करता है। उन्होंने सबरीमाला मंदिर में औरतों के प्रवेश को लेकर हो रहे विरोध को गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म किसी के अधिकार छीनने की और हिंसा की बात नहीं करता।

सम्मेलन में शामिल हुए शिक्षक व विद्यार्थी काफ़ी उत्साहित दिख रहे थे। शिक्षकों में जानकी देवी कॉलेज के शिक्षक डॉ. शिव प्रसाद पांचे जैसे कई कॉलेज से आए अन्य शिक्षक भी उपस्थित रहे। साथ ही विभाग के विद्यार्थियों खासकर देवेश तिवारी, पुष्पराज त्रिपाठी, सचिन, अनुराधा, अजित, पवन, नीरज, सुमित, राजेश किरन, राधिका, रितुपर्णा आदि ने कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने सम्मेलन में मौजूद वक्ताओं से छह अक्षर मंत्र और बौद्ध विचारधारा से संबंधित प्रश्न भी किए। यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन बौद्ध विभाग के विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए बहुत उपयोगी रहा।

-सुकृति गुप्ता

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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