पीने के पानी की गुणवत्ता में कमी या उसे नजर अंदाज़ करना आपकी जेब पर काफी भारी पड़ सकता है। किसी गंभीर बीमारी की वजह से साल में जितना खर्च होता है उसका करीब पांच गुना दूषित पानी पीने की वजह से होने वाली बीमारियों पर खर्च होता है। सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र पर जीडीपी का महज 1.02 फीसदी खर्च करती है। लेकिन, पानी से जुड़ी बीमारियों की वजह से होने वाला नुकसान जीडीपी के छह फीसदी के बराबर है।
दूषित पानी से मर जाते हैं तक़रीबन 40 लाख लोग
आज दुनियाभर में डेढ़ अरब लोग पानी से वंचित हैं और तीन अरब लोगों के पास उचित साफ-सफाई और शौचालय नहीं है। लगभग 40 लाख लोग, जिनमें ज्यादातर बच्चे शामिल हैं, दूषित पानी से होने वाली बीमारी से मर जाते हैं। रोजाना 20 लाख कृषि व औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाला कचरा जलाशय में डाल दिया जाता है। इसके साथ ही प्रतिवर्ष 1500 घन किमी पानी वेस्ट वाटर के रूप में निकल जाता है। हमारे पास पीने के पानी के नाम पर केवल 0-08 प्रतिशत ही पानी है, जबकि धरती का 75 फीसद हिस्सा पानी से भरा है। यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पानी की कमी के कारण करीब सात करोड़ लोगों को स्वच्छता से समझौता करना पड़ता है।
बच्चों को बीमार करता दूषित पानी
दूषित पानी का असर सभी पर पड़ता है लेकिन, इससे बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। भारत में करीब 3.70 करोड़ लोग दूषित पानी से प्रभावित होते हैं, जिसमें 15 लाख बच्चों की मौत केवल डायरिया से हो जाती है। इतना ही नहीं, डॉक्टर और अस्पताल के चक्कर लगाने और बीमारी की वजह से आराम करने की वजह से देश को सालाना 7.3 करोड़ कार्य दिवस का नुकसान उठाना पड़ता है। इसकी मार से अर्थव्यस्था भी अछूती नहीं है। दूषित पानी की वजह से भारत को सालाना 60 करोड़ डॉलर का नुकसान उठाना पड़ता है।
भारत पर असर
दूषित पानी वाले 122 देशों की सूची में सयुंक्त राष्ट्र के अनुसार भारत 120 वें स्थान पर है। 6.30 करोड़ ग्रामीण आबादी को स्वच्छ पानी नहीं मिल पाता है, जो ब्रिटेन की कुल आबादी के बराबर है। नीति आयोग के अनुसार भारत की 40 फीसदी आबादी स्वच्छ पानी से दूर है।
ऐसे हल्की हो रही है जेब
भारत में सरकार जीडीपी का कुल 1.02 फीसदी राशि स्वास्थ्य सेवाओं पर लगाती है। इसमें दूषित पानी की वजह से लोगों का कुल जीडीपी का 6 फीसदी खर्च होता है। सरकार दूषित पानी से होने वाली बीमारियों पर कुल स्वास्थ्य खर्चों में से 70 फीसदी राशि खर्च करती है।
दुनिया का हल
विश्व में दूषित पानी से 59 लाख बच्चों की मौत हर साल हो जाती है। दुनियाभर में 222.9 अरब डॉलर केवल पानी की उचित व्यवस्था पर खर्च हो जाता है। 53 फीसदी मौतें गंदे पानी की वजह से होती है। यह दुनियाभर में बीमारियों से होने वाली मौतों के 6.2 फीसदी के बराबर है।
(नोट-प्रस्तुत लेख में लेखक के निजी विचार हैं। इसका फोरम4 से कोई लेना देना नहीं है। आंकड़ों से सम्बंधित किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए फोरम4 जिम्मेदार नहीं है)
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