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डीयू में दाखिले को लेकर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला ‘पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाई जाए’

दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) को स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए आवेदन की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 22 जून करने का निर्देश दिया है। जी हां यह खबर सच है कि अब दाखिला लेने वाले छात्रों को राहत भी मिलेगी लेकिन थोड़ा इंतजार और करना पड़ सकता है। एनडीटीवी की खबर के अनुसार हाई कोर्ट ने छात्रों को पिछले साल की पात्रता मानदंडों के आधार पर विभिन्न पाठ्यक्रमों में आवेदन करने की अनुमति दी है। बता दें कि योग्यता संबंधी नियमों में बदलाव पंजीकरण शुरू होने के 1 दिन पहले किए गए, जिस पर चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई 14 जून को करते हुए हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया। न्यायालय के अनुसार 1 दिन पहले क्यों? पहले ही बदलाव किए जा सकते थे। दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए 14 जून को स्नातक स्तर पर आवेदन करने की अंतिम तिथि थी। डीयू में प्रवेश के लिए पंजीकरण 30 मई को शुरू हुआ था।

यह फैसला जस्टिस अनु मल्होत्रा ​​और तलवंत सिंह की एक बेंच ने इलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में बदलाव को चुनौती देने वाली तीन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आया, जिसमें से एक बी.कॉम (ऑनर्स) और बीए (ऑनर्स) अर्थशास्त्र पाठ्यक्रमों में दाखिलेके लिए बेस्ट फोर में (चार विषयों) से एक विषय चुनना अनिवार्य था।

डॉ. रसाल सिंह, सदस्य, अकादमिक परिषद ने हाई कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए फोरम4 को बताया कि “माननीय उच्च न्यायालय ने छात्रों की बात सुनकर अपना निर्णय दिया है। मुझे लगता है दिल्ली विश्वविद्यालय इसका अनुपालन करेगा। दिल्ली विश्वविद्यालय एक बहुत बड़ा और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय है। इसमें बड़ी संख्या में छात्र स्नातक, स्नातकोत्तर और शोध पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं। अनेक कॉलेज और विभाग हैं। प्रवेश प्रक्रिया में उन सबकी प्रत्यक्ष भागीदारी होती है क्योंकि वे सब स्टेकहोल्डर्स हैं। सभी कॉलेजों की स्टाफ कॉन्सिल, सभी विभागों की कमेटी ऑफ कोर्सेज, विभागीय शोध समिति, संकायों के शोध मंडल, संकायों की प्रवेश समिति, स्टैंडिंग कमेटी और विद्वत परिषद आदि विवि की तमाम विधायी संस्थाओं की संस्तुतियों और निर्णयों से ही दिविवि की प्रवेश नीति अंतिम रूप लेती है। इन सबकी भागीदारी और भूमिका अपरिहार्य और निर्णायक होती है। इसलिए इस प्रक्रिया में समय लगना अस्वाभाविक नहीं है। निश्चय ही, प्रवेश प्रक्रिया को समयबद्व होना चाहिए और समयबद्ध  होने के साथ साथ सुगम, सरल और सुविधाजनक भी होना चाहिए। इसलिए मेरा मानना है कि एग्जाम ब्रांच की तरह अलग से एडमिशन ब्रांच होनी चाहिए जो सालभर इस दिशा में काम करते हुए सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ व्यापक विचार-विमर्श करके प्रवेश नीति बनाये और उसे कार्यान्वित करे।”

डीयू द्वारा प्रदान किए गए नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, यूजी में प्रवेश के लिए 3,37,947 उम्मीदवारों ने दिल्ली विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर पंजीकरण किया है। कुल 3.31 लाख में से, 2,34,088 उम्मीदवारों ने अपनी फीस का भुगतान किया है।

पंजीकरण की कुल संख्या में से, 1,39,371 उम्मीदवार अनारक्षित वर्ग, 49,172 अन्य पिछड़ा वर्ग, 31,281 अनुसूचित जाति, 6,444 अनुसूचित जनजाति और 7,820 आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) से हैं।

डीयू के सभी कॉलेजों में पंजीकरण प्रक्रिया के समापन के एक सप्ताह बाद यानी 20 जून को पहली कट-ऑफ सूची जारी करने की उम्मीद थी। लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद अब समयसीमा में अपेक्षित बदलाव के साथ, कट-ऑफ तारीखें स्थगित हो जाएंगी।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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