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विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने लिखी भेदभाव पर आधारित पुस्तक, प्रेस क्लब में हुआ विमोचन

सामाजिक और सांस्कृतिक दायरे में विभिन्न आधार पर हो रहे बहिष्कार पर आधारित एक पुस्तक का प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में 29 जून को विमोचन हुआ। लोकमित्रा प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का शीर्षक ‘Contouring Exclusions: Manifestations and Implications’ है।

लोकमित्रा प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का संपादन प्रभप्रीत सिंह, पंजाब विश्वविद्यालय के दवारा किया गया है। इस विमोचन कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप अतिशी मारलेना (शिक्षाविद, समाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता) और सेवानिवृत प्रो. आनन्द प्रकाश उपस्थित रहें। इस विशिष्ट अवसर पर अनमोल परासर और मयुख विश्वास भी मंच पर उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन दिल्ली विश्वविद्यालय की शोधार्थी ज्योति दिवाकर के द्वारा किया गया। सर्वप्रथम पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्ट अतिथियों के द्वारा किया गया

तत्पश्चात संपादक प्रभप्रीत सिंह के द्वारा पुस्तक के बारें में संक्षेप में प्रकाश डाला गया। यह पुस्तक सामाजिक और सांस्कृतिक दायरे में विभिन्न आधार पर हो रहे बहिष्कार को उधृत किया गया है। इस पुस्तक में अलग – अलग विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों के द्वारा लिंग, जाति, धर्म, निःशक्तता और भाषा के आधार पर हो रहे भेदभाव पर प्रकाश डाला गया है।

इस विशेष अवसर पर बोलते हुए मारलेना ने बहिष्करण के विभिन्न आयाम और चुनौती देने की बात करते हुए, समकालीन संदर्भ में इस पुस्तक की सार्थकता पर प्रकाश डाला और इसे अकादमिक जगत में महत्वपूर्ण कदम बताया।

वहीं प्रो. प्रकाश नें इस पुस्तक उपयोगिता को देखते हुए अन्य भाषाओं में अनुवाद कर ज्यादा से ज्यादा लोगों तक उपलब्ध कराने का सुझाव देते हुए कार्यक्रम का समापन किया।

अंत में संचालक दिवाकर ने सभी विशिष्ट अतिथि, श्रोतागण, पुस्तक के संपादक और प्रकाशक एवं पुस्तक में योगदान देने वाले अन्य लेखक ज्योति दिवाकर, मायुख विश्वास, डीपी नेगी, दीपक कुमार, संगीता कुमारी, प्रभप्रीत सिंह, साई अंकित परासर, अरुनव बोस, हर्षवर्धन विजय शिंदे, गुलशाना, राजीव एमएम और निधि त्यागी का आभार व्यक्त किया।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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