अर्थशास्त्र विभाग बीएचयू में 21 सितंबर को दस दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ रेक्टर बीएचयू प्रोफेसर वीके शुक्ला के अध्यक्षीय अभिभाषण से शुरू हुआ। यह कार्यशाला 10 दिन तक चलेगा, और यह आईसीएसएसआर, दिल्ली द्वारा स्वीकृत हुआ है। कोर्स डायरेक्टर प्रो जेबी कोमरय्या अर्थशास्त्र विभाग और कोर्स को-डायरेक्टर डॉ मनोकामना राम सहायक प्रोफेसर अर्थशास्त्र विभाग बीएचयू हैं।
प्रो. वीके शुक्ला के अध्यक्षीय आभिभाषण अर्थशास्त्र विभाग में चल रहे मैथोडोलाजी वर्कशाप में दिये वक्तव्य के अनुसार शोधकर्ता को शोध विषय का चुनाव वड़ी सावधानी से करना चाहिये । साथ ही साथ उन्होने बताया कि शोधकर्ता शोध समस्या का चुनाव भी बड़ी सावधानी से करना चाहिए। डीन, सामाजिक विज्ञान संकाय, डीन ,सामाजिक विज्ञान संकाय, बीएचयू ने भी बड़ी तत्परता के साथ अपनी बात रखी। उनके अनुसार शोध, ज्ञान के वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनके अनुसार सामाजिक विज्ञान संकाय के शोधकर्ता को कई तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है साथ ही सामाजिक विज्ञान मे शोध कार्य की सीमाएं होती हैं और शोधकर्ता इन्हीं सीमाओं के अन्तगर्त अपना शोध कार्य करता है। इसलिए शोधकर्ता को बड़ी सावधानी के साथ शोध समस्या का चुनाव करना चाहिए।
प्रो एसके दूबे, डायरेक्टर, इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट साइन्स, बीएचयू, वाराणसी ने अपने संबोधन में शोधकर्ताओं को महत्वपूर्ण सुझाव दिया। उनके अनुसार शोधकर्ता को शोध समस्या का चुनाव बड़ी सावधानी से करनी चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि अच्छे शोध के लिये शोध प्रविधि की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उन्होंने बताया कि रिसर्च दो शब्दों से मिलकर बना है: रि + सर्च = रिसर्च।
प्रो एके गौर, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग, बीएचयू द्वारा स्वागत अभिभाषण दिया गया। डां० मनोकामना राम, कोर्स को डायरेक्टर बीएचयू ने रिसर्च मैथडोलाजी के 10 दिनों के सभी प्रोग्रामों की विस्तृत जानकारी दी। अंत में धन्यवाद अभिभाषण प्रो जेबी कुमरैया, कोर्स डायरेक्टर, बीएचयू ने प्रदान किया।
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