दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से सम्बद्ध विभागों और कॉलेजों में सेवा दे रहे एक हजार से अधिक शिक्षकों को विश्वविद्यालय की गलती का खामियाजा भुगतना पड़ा रहा है। शिक्षकों को 22 साल पहले जो ग्रेडपे व इंक्रीमेंट दी गई थी उसे विश्वविद्यालय प्रशासन अब रिकवरी कर रहा है। प्रशासन का कहना है कि यह गलती से दिया गया था। यदि शिक्षक अभी उक्त धन राशि नहीं लौटाएंगे तो सेवानिवृत्त होने के बाद उनके वेतन या पीएफ से यह पैसा काट लिया जाएगा तभी उनकी पेंशन बनेगी। शिक्षकों से इतनी बड़ी धनराशि रिकवरी करने को लेकर तनाव और असंतोष का माहौल बना हुआ है।
बता दें कि 1 जनवरी 96 (22 साल पहले) शिक्षकों को जो 14,940 ग्रेड पे दिया गया है। ऐसा कहा जा रहा है वे उसके हकदार नहीं थे इसलिए उन्हें जो धनराशि दी गई है रिकवरी की जाए।
डीयू विद्वत परिषद के सदस्य प्रो. हंसराज सुमन ने बताया है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय (शिक्षा विभाग) ने 24 मार्च,1999 को यूजीसी के सचिव को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय व कॉलेजों के शिक्षकों के पे स्केल संबंधी मामले में स्पष्टीकरण दिया गया था। यूजीसी ने दिल्ली विश्वविद्यालय को एक पत्र भेजा था, जिसमें लिखा गया था कि जो शिक्षक लेक्चरर (सलेक्शन ग्रेड) में 1जनवरी 96 को हैं या रीडर ग्रेड में हैं, 5 साल पूरे होने के बाद उनको 12 हजार के ग्रेडपे के स्थान पर 14,940 ग्रेड पे दे दिया जाए। उन्होंने बताया है कि वे शिक्षक जो 1जनवरी 1996 में रीडर थे और जिन्हें 5 साल पूरे नहीं हुए हैं तो 5 साल पूरे होने के बाद 14,940 पर फिक्सेशन होनी थी यानी 12,000-18,300 इसमें 420 रुपये की इंक्रीमेंट लगनी थी, लेकिन कुछ कॉलेजों ने इस नियम का पालन नहीं किया।
प्रो. सुमन का कहना है कि जिन कॉलेजों में ऐसे शिक्षक जो 1जनवरी 96 से पहले रीडर हैं या रीडर ग्रेड में कार्यरत्त थे मगर उनके 5 साल में रीडरशिप में पूरे नहीं हुए तो उन्हें 5 साल पूरे होने पर 14,940 पर फिक्स किया गया। इसी के आधार पर कॉलेजों ने उन्हें 14,940 ग्रेड पे देकर शिक्षकों को एरियर दे दिया गया। एरियर लेकर शिक्षकों ने खूब खुशियां मनाई लेकिन, अब 22 साल बाद जिन शिक्षकों को 14,940 ग्रेड पे दिया था उनकी रिकवरी करने के आदेश दे दिए गए हैं। उनका कहना है कि ऐसे शिक्षकों से रिकवरी के तौर पर 4 .50 लाख से लेकर उससे ज्यादा रुपयों की रिकवरी की जा रही है।
प्रो. सुमन ने बताया है कि छठे वेतन आयोग के आधार पर इन शिक्षकों की पे फिक्स की गई थी उसके आधार पर हर माह वेतन दिया जा रहा था परंतु विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा यह सूचित किया गया है कि शिक्षकों को एक इंक्रीमेंट ज्यादा दिया गया है इसलिए वह अतिरिक्त राशि जो उन्हें दी गई है लौटानी पड़ेगी। उन्होंने बताया है कि जिन कॉलेजों से जो शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं कॉलेजों का कहना है कि आपकी पेंशन तभी निर्धारित होगी जब आप ज्यादा दी गई भुगतान की राशि को वापिस लौटाएंगे।
प्रो. सुमन ने बताया है कि श्री अरबिंदो कॉलेज में राजनीति विज्ञान विभाग के एक शिक्षक ने 4.50 लाख से अधिक रुपये लौटाए तब जाकर उक्त शिक्षक की पेंशन निर्धारित की गई। जिन शिक्षकों ने विश्वविद्यालय द्वारा बढ़ी हुई धनराशि वापिस लौटा दी उनको पेंशन दी जा रही है और जिन्होंने उक्त धनराशि वापिस नहीं लौटाई उनकी अभी तक पेंशन निर्धारित नहीं हुई। ऐसे में वे शिक्षक दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन और यूजीसी के चक्कर लगा रहे हैं कि उन्हें वह धनराशि लौटानी ना पड़े और उनकी रिकवरी न हो।
उन्होंने बताया है कि शिक्षकों से रिकवरी करने संबंधी मामले स्वयं उनके कॉलेज श्री अरबिंदो कॉलेज में ही हैं। यहां ऐसे 8 शिक्षकों के मामले है। इसी तरह से श्री अरबिंदो सांध्य में 10 से अधिक ऐसे शिक्षक हैं जिनकी रिकवरी की जानी है। इनके अलावा अन्य कॉलेजों में भी 10 से लेकर 15 शिक्षकों के रिकवरी करने के मामले हैं। शिक्षकों की रिकवरी के मामले को लेकर ना तो डूटा ने और न ही अन्य शिक्षक संगठनों ने कभी यह मुद्दा उठाया।
प्रो. सुमन का कहना है कि एमएचआरडी ने 24 मार्च 1999 के अपने पत्र में 27 जुलाई 1998 और 6 नवम्बर 1998 के उन पत्रों का हवाला देकर कहा है कि शिक्षकों के पे स्केल संबंधी पॉइंट वाइज निर्देश दिए हैं यदि किसी प्रकार का कोई संदेह है तो 24 मार्च 1999 के एमएचआरडी पत्र के आधार पर शिक्षकों को इंक्रीमेंट व स्केल दिए जाएं। कॉलेजों ने उसी आधार पर शिक्षकों को इंक्रीमेंट व एरियर दिया लेकिन, अब दिल्ली विश्वविद्यालय अपनी ही 14,940 की अप्रूवल को वापिस ले रही है। आखिर पहले उन्हें क्यों गलत तरीके से ही सही 14,940 ग्रेड दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन की गलती का खामियाजा ये शिक्षक क्यों भुगतें?
उन्होंने कहा कि जिन अधिकारियों ने 14,940 के आदेश दिए थे उन पर यह गाज गिरनी चाहिए ना कि शिक्षकों पर। कॉलेज के प्राचार्य भी तय नहीं कर पा रहे हैं कि इसके लिए क्या समाधान निकालें क्योंकि इस मामले में वे खुद भी फंसे हुए हैं उनकी भी रिकवरी होनी है। इससे शिक्षकों का विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ असंतोष बढ़ता जा रहा है। प्रो .सुमन का कहना है कि इस मामले को लेकर वे जल्द ही दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति से मिलने वाले हैं। यदि समाधान नहीं होता है तो सड़कों पर उतरने के लिए शिक्षक तैयार हैं।
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