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वर्धा विश्वविद्यालय से निकाले गए छात्रों की हो गई वापसी?

हिंदी विश्वविद्यालय के निष्कासित बहुजन छात्रों का निष्कासन 13 अक्टूबर को विश्वविद्यालय प्रशासन ने वापस ले लिया। निष्कासन वापसी के पश्चात निष्कासित छात्र नेताओं ने बयान जारी कर कहा कि, संघ बनाम संविधान और अन्याय बनाम न्याय की इस लड़ाई में हिंदी विश्वविद्यालय के निष्कासित बहुजन छात्रों की यह जीत संविधान और न्याय की जीत है। महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय प्रशासन ने राष्ट्रव्यापी दबाव में फिलहाल तो हमारा निष्कासन वापस ले लिया है। किंतु विश्वविद्यालय प्रशासन हमें भविष्य में तरह-तरह से प्रताड़ित कर सकता है, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। बता दें कि इस मामले को फोरम4 ने भी गंभीरता से उठाया था।

बता दें कि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने के मामले का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र चन्दन सरोज, रजनीश कुमार अम्बेडकर, नीरज कुमार, राजेश सारथी, वैभव पिम्पलकर एवं पंकज बेला को निष्काषित करने का नोटिस जारी किया था। इसे छात्र कैम्पस में अपनी आजादी को रोकने का प्रोपैगैंडा बता रहे थे।

पूरा मामला क्या है, लिक देखिए  

वर्धा विवि- पीएम मोदी को विवि प्रशासन ने पत्र लिखने से रोकने की कोशिश की, छात्रों ने किया प्रतिरोध

जारी बयान में आगे कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने हम सबों को असामाजिक तत्व और न जाने क्या-क्या कहा। मीडिया में हमें बदनाम करने की नियत से झूठी बयानबाजी की। हमारे ही विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को हमारे खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की। उन सबों ने भी हमारी लड़ाई के खिलाफ जमकर प्रोपोगेंडा करने की कोशिश की, किंतु आम जनता की शक्ति के आगे वे कामयाब नहीं हो पाए। बावजूद इसके उन्होंने भी अपने तरीके से इस लड़ाई को मजबूती प्रदान की है। उनके प्रति हमें कोई शिकवा-शिकायत नहीं है। उम्मीद है कि वे जातिगत पूर्वाग्रह से ऊपर उठकर आगे चलकर मोब्लिंचिंग में शामिल होने के बजाय लोकतंत्र, न्याय व संविधान का सम्मान करना सीखेंगे और बेहतर नागरिक बनेंगे। छात्र नेताओं ने हिंदी विश्वविद्यालय के सभी छात्र-छात्राओं और देशभर के छात्र-छात्राओं, बुद्धिजीवियों, राजनीतिक दलों के नेताओं, इलेक्ट्रॉनिक-प्रिंट व वेब मीडिया को आंदोलन का समर्थन करने के लिए आभार व्यक्त किया।

छात्र नेताओं ने कहा कि हमने जिन मुद्दों पर पीएम मोदी को पत्र लिखा है, उन मुद्दों को हम देश के वर्तमान-भविष्य के लिए बेहद जरूरी मुद्दा मानते हैं और आज भी हम उन मुद्दों पर संघर्ष के लिए प्रतिबद्ध हैं। इन मुद्दों पर हमारी लड़ाई  आगे जारी रहेगी। हम अपने नायकों को भविष्य में भी याद करते रहेंगे और पीएम-सीएम चाहे कोई भी हो दमन की परवाह किए बगैर आम जनों से संबंधित सवाल पूछते रहेंगे! दलितों-अल्पसंख्यकों के मोब्लिंचिंग से देश का लोकतंत्र खतरे में है; रेलवे-रेलवे स्टेशन, बीपीसीएल, एयरपोर्ट आदि की बिक्री राष्ट्रहित में नहीं है। बैंकों व रिजर्व बैंक की खास्ता हालत पर सरकार को ठोस कदम उठाना ही होगा। कश्मीर के नागरिकों के नागरिक अधिकार मिलने ही चाहिए; बलात्कार व यौन हिंसा की घटनाएं रुकनी ही चाहिए। दलित-आदिवासी नेताओं व मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व लेखकों-बुद्धिजीवियों को प्रताड़ित किए जाने को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इस किस्म के तमाम अन्याय-अत्याचार के खिलाफ देशहित के लिए हम आवाज बुलंद करते रहेंगे!

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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