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मैत्रेयी महाविद्यालय में संस्कृत संभाषण कार्यशाला प्रारम्भ, आठ अक्टूबर को होगा समापन

साभार- गूगल

मैत्रेयी महाविद्यालय में द्विसाप्ताहिक संस्कृत संभाषण कार्यशाला का कल से शुभारंभ हो गया। मैत्रेयी महाविद्यालय के शासकीय निकाय के प्रमुख सन्तोष कुमार तनेजा ने इस कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की, जबकि संस्कृत भारती के उत्तर क्षेत्र शिक्षण प्रमुख श्री कौशल किशोर तिवारी इसमें बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे।

महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. हरित्मा चोपड़ा की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन में आयोजित हो रहे इस कार्यशाला में भारत वर्ष के प्रत्येक राज्य से कुल एक हजार से भी अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकृत किया था, जिसमें से पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर प्रारम्भिक 514 प्रतिभागियों को प्रतभागिता हेतु चयनित किया गया है। इसमें आधे से भी अधिक प्रतिभागी अध्यापक वर्ग से हैं, जो संस्कृत से भिन्न विषय से सम्बद्ध हैं। उद्घाटन सत्र में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सन्तोष कुमार तनेजा ने इस कार्यक्रम के आयोजन की प्रशंसा करते हुए एक प्रेरणादयक प्रसंग का उल्लेख किया। उन्होंने एक सफल प्रशासनिक अधिकारी द्वारा साक्षात्कार में संस्कृत विषय से जुड़े प्रश्न का सकारात्मक उत्तर देकर सफलता अर्जित करने का दृष्टान्त दिया। साथ ही उन्होंने भारतीय ज्ञान परम्परा एवं स्थापत्यकला की मुक्तकण्ठ से सराहना भी की। अपने स्वागत वक्तव्य में महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. हरित्मा चोपड़ा ने कहा कि इस कार्यशाला का मुख्य ध्येय सर्वत्र विश्व की प्राचीनतम भाषा संस्कृत का प्रचार-प्रसार करना है। डॉ. चोपड़ा ने यह भी कहा कि हम भारत सरकार के स्वयं पोर्टल के मानक के अनुसार जो प्रतिभागी ऑनलाईन नहीं जुड़ पा रहे हैं, उन्हें भी इस कार्यशाला से लाभान्वित कराने का प्रयास करेंगे।

कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत कर रहे कौशल किशोर तिवारी ने संस्कृत भाषा के गौरव पर अतीव व्यावहारिक प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के समय में संस्कृत बोलना एक फैशन की तरह ही अतीव लोकप्रिय हो रहा है। संस्कृत बोलना अत्यन्त गौरव का विषय है। कार्यशाला के बारे में जानकारी देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि संस्कृत भारती दिल्ली के सौजन्य से मैत्रेयी महाविद्याल के संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित हो रही यह कार्यशाला आठ अक्टूबर तक चलेगी, जिसमें  श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय से डॉ. ई. वेङ्कटेश्वर्लु को बतौर मुख्य प्रशिक्षक आमन्त्रित किया गया है, जो संस्कृत भारती दिल्ली के सह प्रशिक्षण प्रमुख भी हैं। मैत्रेयी महाविद्यालय के संस्कृत विभागीय शिक्षक इस प्रशिक्षण कार्य में उन्हें सहयोग करेंगे। डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि प्रस्तुत कार्यशाला में डॉ. अनिरुद्ध ओझा को अध्यापक समन्वयक एवं संचालक का उत्तदायित्व दिया गया है, जबकि प्रीति पाण्डेय एवं निहारिका को विद्यार्थी संयोजिका बनाया गया है। डॉ. सिंह ने डॉ. सुशील कुमार, जो एक सच्चे संस्कृत समाराधक हैं, उनके सहयोग की सराहना करते हुए उनके प्रति आभार भी अभिव्यक्त किया। यहाँ यह भी बताते चले कि पहले दिन के उद्घाटन सत्र में संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार सिंह, जो कार्यक्रम के संयोजक भी हैं, ने आभार कथन किया, जबकि संस्कृत विभागीय शिक्षिका डॉ. सुशील कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यशाला के पहले दिन कुल 229 प्रतिभागी गूगलमीट से साक्षात्‌ जुड़े, जबकि 326 प्रतिभागियों को प्रकारान्तर व्हाट्सएप समूहादि से जोड़ा गया। इन प्रशिक्षणार्थियों को पहले दिन के स्वल्प प्रशिक्षण में संस्कृत भाषा में एक दूसरे से नाम पूछना सिखाया गया। कार्यक्रम की लोकप्रियता का आलम यह रहा कि प्रतिभागियों की अत्यधिक संख्या एवं उत्कट इच्छा को देखते हुए दो अलग-अलग व्हाट्सएप ग्रुप बनाने पड़े हैं, तथा दोनों ही ग्रुप में संख्या पूर्ण हो चुकी है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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