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महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय- पीएचडी प्रवेश परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप, शिकायत के बाद भी प्रवेश प्रक्रिया जारी

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) कुलपति रजनीश शुक्ल के कार्यभार संभालते ही विवादों में लगातार बना हुआ है। अब नया मामला पीएचडी प्रवेश परीक्षा के सत्र 2020-21 के कुल 134 सीटों पर सामूहिक नकल की छूट को लेकर सामने आ रहा है। छात्रों और छात्र संगठनो के नकल की शिकायत करने के बाद भी विश्वविद्यालय के द्वारा किसी भी प्रकार की सार्थक कार्यवाही करने की जगह विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया बदस्तूर करने में लगा हुआ है। इस अकादमिक भ्रष्टाचार के कारण ईमानदार और मेहनती विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर उन्हें अंधकार की तरफ धकेला जा रहा है।

कुलपति रजनीश शुक्ल

मालूम हो कि इस वर्ष विश्वविद्यालय में विभिन्न विभागों में पीएचडी की कुल 134 सीटों पर घर बैठकर ऑनलाइन माध्यम से दिनांक 10 व 21 अक्टूबर 2020 को तीन पालियो में प्रवेश परीक्षा सम्पन्न हुई। पीएचडी प्रवेश परीक्षा में कुल 1603 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। कोरोना महामारी के दौरान घर बैठकर एक कमरे में प्रवेश परीक्षा देने की सुविधा और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करते हुए विश्वविद्यालय के छात्र संगठन आइसा (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एनसाई बालाजी, यूथ फॉर स्वराज और पूर्व छात्र व अभ्यर्थी राजेश कुमार के द्वारा मेल के माध्यम से दिनांक 05 अक्टूबर 2020 को विश्वविद्यालय के कुलपति रजनीश शुक्ल, कुलसचिव, परीक्षा प्रभारी केके त्रिपाठी, मानव संसाधन मंत्रालय व सम्बन्धित अधिकारियों से शिकायत दर्ज कर निवारण करने का आग्रह किया था। लेकिन इस बारे में अभी तक प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है। बल्कि प्रवेश प्रक्रिया को जारी रखा गया है।

शिकायत के अनुसार सम्पूर्ण प्रवेश प्रक्रिया में कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ला की सह पर महामारी की आड़ में नियम-परिनियम को ताख पर रखकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने मनमाने ढंग से घर बैठकर ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया। प्रवेश परीक्षा के नाम पर नकल के खेल में विश्वविद्यालय के जिम्मेदार प्रशासनिक पदाधिकारी कुलपति की कठपुतली के समान बने हुए नज़र आए। प्रवेश परीक्षा की पारदर्शिता को दरकिनार कर तानाशाही पूर्ण तरीके से परीक्षा संपन्न करवाई गई। विश्वविद्यालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में कई प्रकार की खामियां थी जिसका फायदा उठा कर परीक्षार्थियों ने जम कर नकल किया।

प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया में क्या खामियाँ हैं?

पीएचडी प्रवेश परीक्षा घर में वेब कैम के सामने बैठ कर ऑनलाइन देने का निर्देश दिया गया था। इस प्रक्रिया में खामी यह थी कि तकनीकी जानकार अपने कंप्यूटर, लैपटॉप का एक प्रतिरूप आवरण (Duplicate Screen) सरलता पूर्वक HDMI केबल या किसी अन्य थर्ड पार्टी एप्लीकेशन के माध्यम से बनाकर पूरा संचालन किसी अन्य सहयोगी को नियुक्त कर परीक्षा में सरलता से नकल कर सकता था। प्रवेश परीक्षा में निगरानी का एक मात्र माध्यम परीक्षार्थी का वेबकैम और माइक्रोफोन था जो परीक्षार्थी के कैमरे के सामने के दृश्य को दिखाने में समर्थ था किन्तु कैमरे के पीछे कोई भी सहयोगी गुपचुप तरीके से नक़ल करने में सहयोग कर सकता था।

प्रवेश-परीक्षा के लिए विश्वविद्यालय द्वारा जारी वेबपेज ब्राउज़र और ऐप में भी खामियां थी जो प्रवेश-परीक्षा के दौरान देखने को मिला। वेबपेज ब्राउज़र (Safe Exam Browser) को किसी भी स्क्रीन शेयरिंग सॉफ्टवेयर (उदाहरण- Any Desk SW) के जरिए दूर बैठ कर किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा सरलता से निर्देशित किया जा सकता था। वहीं विश्वविद्यालय द्वारा जारी किये गए परीक्षा ऐप (app) में भी खामियां थी। इस ऐप से ऑनलाइन परीक्षा देने के दौरान ही ऐप के पीछे (Background) गूगल ब्राउज़र और अन्य ऐप पर भी काम सरलता से किया जा सकता था। प्रश्न का स्क्रीनशार्ट ले व्हाट्ऐप के माध्यम से परीक्षा के दौरान किसी अन्य को साझा किया जा सकता था।

प्रवेश परीक्षा के दौरान निरीक्षक की गैर मौजूदगी के कारण घर बैठकर प्रवेश परीक्षा देने के प्रावधान में परीक्षार्थी के कैमरे के पीछे परीक्षा सहयोगी के साथ बैठकर परीक्षा दी जा सकती थी। इस प्रकिया में नकल करने की पूरी संभावना थी।

 

उपरोक्त खामियों का फायदा उठाते हुए विश्वविद्यालय में परीक्षार्थियों ने पीएचडी प्रवेश परीक्षा में जम कर नकल किया। इसका प्रमाण प्रवेश परीक्षा के दौरान लिए गए प्रश्नों के स्क्रीनशोर्ट दर्शाता है। प्रवेश परीक्षा की गोपनीयता और  पारदर्शिता एक परीक्षार्थी एवं विश्वविद्यालय के बीच न रहकर आज कई लोगों के मोबाइल पर प्रश्नों के स्क्रीनशोर्ट के रूप में देखा जा सकता है जो प्रवेश परीक्षा में नक़ल को प्रमाणित करने के लिए काफी है। विभिन्न विभागों के ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा के प्रश्नों के स्क्रीनशोर्ट का मिलना स्पष्ट कर देता है कि प्रवेश परीक्षा में खमियां थीं और नकल करने वालों ने इस  खामी का भरपूर फायदा उठाते हुए व्हाट्स ऐप के जरिए नकल किया है। नकल की शिकायत करने के बाद भी विश्वविद्यालय कुलपति और प्रशासन द्वारा अनदेखा किया जाना नकल में संलिप्ता को प्रदर्शित कर रहा है कि प्रशासन के सहयोग से नकल के पूरे खेल को अंजाम दिया गया है।

नक़ल के स्पष्ट सबूत मिलने के बाद छात्र संगठन आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एनसाई बालाजी एवं राजेश कुमार की ओर से एक बार ईमेल के माध्यम से साक्ष्यों को संलग्न कर प्रवेश परीक्षा में नक़ल की शिकायत दर्ज कराई गई। इसमें नकल के लिए जिम्मेदार अधिकारीयों पर कार्यवाही और प्रवेश परीक्षा को पुनःकेंद्र बना कर पर्यवेक्षक की निगरानी परीक्षा में संपन्न करवाने की मांग की। परन्तु भ्रष्ट व तानाशाह विश्वविद्यालय के कुलपति व प्रशासन शिकायत को अनदेखा कर प्रवेश प्रक्रिया को जारी रखे हुए है। लगभग दो माह बाद प्रवेश परीक्षा में चयनित परीक्षार्थियों की सूची जारी कर दिनांक 09 दिसंबर 2020 से 06 जनवरी 2021 कर ऑनलाइन साक्षात्कार लिया जा रहा है।

पहचान न जाहिर करने की शर्त के साथ विश्वविद्यालय के कई विद्यार्थियों का कहना है कि प्रवेश परीक्षा के दौरान ही एक विशेष छात्र संगठन के लोगों को विश्वविद्यालय के एक कमरे में बैठाकर सामूहिक नकल करवाया गया इसमें विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शोधार्थी भी शामिल रहे।

साक्षात्कार के पहले बड़ा खेल का आरोप

वहीं दूसरी ओर कई भावी शोधार्थियों का कहना है कि ईमेल के माध्याम से जारी किये गए अंक प्रमाण-पत्र में फेरबदल किया गया है। परीक्षार्थियों ने अनुमानित प्रश्नों के आकलन के बाद उन्हें उम्मीद से बहुत कम अंक प्राप्त हुए हैं। परीक्षार्थियों के सामने समस्या यह है कि वे सभी अपनी बात को प्रमाणित नहीं कर सकते क्योंकि ऑनलाइन परीक्षा होने के कारण उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है। इस पूरी प्रवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता कहीं भी नज़र नहीं आती है जो ईमानदार परीक्षार्थियों के पक्ष में हो। परीक्षार्थियों के अनुसार ऑनलाइन प्रवेश परीक्षा लेने के बाद भी देर से रिजल्ट जारी करना एक बड़ी धाधंली है जिसमें प्रवेश परीक्षा सिर्फ खानापूर्ति है। परीक्षार्थियों का चयन पहले ही कर लिया गया है। जिसका चयन करना है उनके लिए प्रवेश परीक्षा के शुरुआती चरण से ही घर बैठ परीक्षा देने की सुविधा, अधिक अंक का दिया जाना और अब भीड़ दिखाने के लिए अन्य को कम अंक देकर साक्षात्कार के लिए ऑनलाइन बुलाना सिर्फ खानापूर्ति है।

छात्रों की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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