देश और पूरी दुनिया को योग का पाठ और फायदे बताने वाले योग गुरू बाबा रामदेव का सत्तारुढ़ बीजेपी के प्रति लगाव किसी से छुपा नहीं है। वह समय-समय पर केंद्र सरकार की योजनाओं एवं नीतियों का समर्थन भी करते हुए नज़़र आते रहते हैं। लेकिन बीजेपी के प्रति उनका ये झुकाव साल 2013 और 2014 में ज़्यादा सामने आने लगा जब बीजेपी सत्ता से बाहर विपक्ष की भूमिका में थी और केंद्र में कांग्रेस की नीतियों और योजनाओं का विरोध करते हुए दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया करती थी।
उस समय के प्रदर्शनों का बाबा रामदेव भी खूब समर्थन किया करते थे। दरअसल कांग्रेस के कार्यकाल में डीज़ल पेट्रोल के दामों में वृद्धि का विरोध रामदेव ने कई सार्वजनिक मंचों, प्रदर्शनों और मीडिया में दिए गए बयानों में किया था।
बाबा रामदेव ने पेट्रोल को लेकर कहा था कि जनता को ऐसी सरकार पर विचार करना चाहिए जो 40 रुपये पेट्रोल और 300 रुपये में रसोई गैस की सप्लाई सुनिश्चित कर सके।
लगभग 8 साल बाद ये बयान फिर से चर्चा का विषय बना हुआ है। दरअसल 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद देश भर में डीज़ल पेट्रोल के दामों में लगातार 9 दिन से बढ़ोतरी हो रही है।
जिसके बाद 30 मार्च को दिल्ली में पेट्रोल 80 पैसे प्रति लीटर और डीजल 70 पैसे प्रति लीटर महंगा हो गया है। इन नए रेट के बाद दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल 100.21 रुपये और डीजल के लिए 91.47 रुपये तक महंगा हो गया।
दरअसल पतंजलि आयुर्वेद के मुखिया और सह संस्थापक बाबा रामदेव के इस पुराने बयान को लेकर एक पत्रकार ने जब उनसे सवाल किया तो रामदेव झल्ला गए और गुस्से में पत्रकार से बदजु़बानी के बाद उनको धमकाने लगे।
क्या है पूरा मामला?
बाबा रामदेव हरियाणा के करनाल में पत्रकारों से बातचीत में कहते हुए नज़र आ रहे हैं कि सब लोग थोड़ी ज्यादा मेहनत करें। महंगाई के बीच सरकार कहती है कि हमारा तेल का दाम कम होगा तो फिर टैक्स नहीं मिलेगा, देश कैसे चलाएंगे, सेना को तनख्वाह कैसे देंगे, सड़क और एयरपोर्ट कैसे बनाएंगे और? तो दोनों ही पक्ष हैं। महंगाई कम होनी चाहिए। महंगाई ज्यादा है, तो मेहनत ज्यादा करो।”योग गुरु ने आगे दावा किया- मैं संन्यासी होकर सुबह चार बजे से रात 10 बजे तक काम करता हूं। मेरे कौन से छोरी-छोरे भूखे मर रहे हैं…तो ऐसे लोग कमाई करते हैं।
जिसके बाद एक पत्रकार की ओर से सवाल किए जाने पर कि आपने तो यह कहा था कि “लोगों को कौन सी सरकार चाहिए? 40 रुपए पेट्रोल वाली सरकार, 300 रुपए…।” इसी बीच, बाबा पत्रकार की बात को काटते हुए बोले- तेरे प्रश्न बहुत हो गए।
इसके बाद पत्रकार भी नहीं रुकते वह बाबा रामदेव को याद दिलाते हुए जोर देते हैं कि आपने ही तो कहा था। बाबा जी कहा था कि नहीं कहा था? रामदेव इस पर गुस्सैल तेवर के साथ बोले- मैंने कहा था…पूंछ पाड़ेगा मेरी? फालतू की बातें हैं…।
पत्रकार ने फिर वहीं सवाल दागा, जिस पर रामदेव ने कहा- आदमी से ऐसे सवाल मत पूछो। मैं तेरे प्रश्नों का उत्तर देने के लिए ठेकेदार हूं। जब कह दिया तो सभ्य बनना सीखो। मैंने तब बाइट दी थी और अब नहीं देता…कर ले क्या करेगा? चुप हो जा…अब आगे और पूछेगा तो ठीक नहीं होगा। बात बोल दी न। इतनी अधिक उद्दंडता नहीं करनी चाहिए। तू किसी सभ्य मां-बाप की औलाद है।
बाबा की बातों पर गौर किया जाए तो उनकी बात भी सही है ‘क्या पूंछ पाड़ेगा मेरी’? एक पत्रकार उनका क्या बिगाड़ सकता है जब पूरा का पूरा सरकारी तंत्र आपके समर्थन में हो तो।
पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक रामदेव के अनुसार जनता को ज़्यादा काम करना चाहिए,और सही भी है करना भी चाहिए। जिस से देश, आम जनता और मजदूरों का तो पता नहीं लेकिन पतंजलि जैसी कंपनियां भी मज़बूत होंगी।
लेकिन क्या ये बेहतर नहीं होगा कि पेट्रोल डीज़ल दाम जो लगातार आसमान छू रहे है, जब तक अर्थव्यवस्था स्थिर नहीं हो जाती उनको टैक्स में बदलाव कर जीएसटी के दायरे में लाया जाए।
ये भी सही है कि पेट्रोल डीज़ल ही राज्य और केन्द्र की कमाई का बड़ा साधन है इससे अर्थव्यवस्था और सरकारों को सहायता मिलती है।
लेकिन कोरोना महामारी के कारण पहले से महंगाई और बेरोजगारी की मार झेल रही जनता पर रोज़ाना हो रहे तेल के दामों में वृद्धि से और बोझ नहीं पड़ेगा।
साथ ही यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि क्या पत्रकारों के साथ अभद्र व्यवहार करना फैशन बन गया है? सरकार की नीतियों पर सवाल से सरकार के ये पक्षधर क्यों बिफर जाते हैं?
अभी हाल ही में लखीमपुर में भी हमने देखा कि कैसे एक पत्रकार के सवाल पर केन्द्र राज्य मंत्री उन के साथ बदसलूकी और हाथापाई पर उतर आए थे।
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