नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2030 तक देश में पानी की मांग दोगुनी होने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक 60 करोड़ भारतीय जल संकट का सामना कर सकते हैं। स्वच्छ पेय जल नहीं मिलने से देश में हर साल दो लाख लोगों की मौत हो जाती है। अनुमान है कि 2030 तक देश में पानी की मांग मौजूदा वक्त से दोगुनी हो जाएगी। अगर इसे पूरा नहीं किया गया तो इससे जीडीपी में छह फीसद तक की गिरावट आ सकती है।
बहरहाल, केन्द्र में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद जल संसाधन मंत्रालय को ‘जल शक्ति’ बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि आने वाले दिनों में घर-घर पेय जल की उपलब्धता उनकी प्राथमिकता होगी। नीति आयोग की बैठक में प्रधानमंत्री ने हर घर को पेयजल मुहैया कराने का विस्तृत एजेंडा प्रस्तुत किया है।
सरकार ने ग्रामीण भारत में 2024 तक हर घर में पानी पहुचाने का लक्ष्य हाथ में लिया है। ‘नल जल योजना’ के तहत सरकार ने 2024 तक देश के हर घर में पानी का पाइप लाइन और नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। नीति आयोग की सलाहकार परिषद की हाल की बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने केंद्र सरकार का एजेंडा रखते हुए कहा कि हमारा मुख्य लक्ष्य राज्यों के साथ मिलकर जल से जुड़े मुददों को हल करना है। यह काम जल शक्ति मंत्रालय की ओर से किया जाएगा। आधिकारिक आकड़ों के मुताबिक गांवों में पाइपलाइन के जरिए पानी पहुंचाने की दर 2013-14 में 12 फीसद थी। 2017-18 में इस योजना में 17 फीसद का इजाफा हुआ है।
वर्ष 2024 तक गांवों में हर घर तक पाइपलाइन से पानी पहुंचाने की योजना को शौचालय निर्माण जैसा देखा जा रहा है। अक्टूबर 2014 में ग्रामीण भारत के 33 फीसद घरों में ही शौचालय थे, लेकिन अब यह आंकड़ा 99 फीसद तक पहुंच गया है। सरकार ने जल पहुंचाने के अलावा उसके संरक्षण और सदुपयोग के लिए भी लोगों को जागरूक करने का फैसला लिया है। आमलोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने के लिए सरकार जलदूतों की नियुक्ति की योजना बनाई है। इससे पहले सरकार ने स्वच्छता मिशन के तहत ‘स्वच्छदूत’ या ‘स्वच्छाग्रहियों’ का चयन किया गया था।
चुनाव से पहले भाजपा ने संकल्प पत्र में स्वच्छ पेय जल उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी थी। जल जीवन मिशन का एलान किया था। सरकार गठन के बाद सरकार ने इसके लिए जल शक्ति मंत्रालय बनाया। मंत्रिमंडल में इसकी जिम्मेदारी राजस्थान के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को सौपी गई है।
जल शक्ति मंत्रालय के प्रभारा मंत्री शेखावत के मुताबिक, नीति आयोग की रिपोर्ट है कि 2020 तक भारत के 21 शहरों में भूजल खत्म हो जाएगा। दुर्भाग्य की बात है कि भारत में पानी को राष्ट्रीय संपदा नहीं माना गया है। यह राज्य का विषय है। अभी भारत में ग्रामीण भारत की जरूरत का 90 फीसद भूजल के दोहन से मिलता है। तमिलनाडु, कर्नाटका और महाराष्ट्रा जैसे राज्यों के बारे में जानकारों का मानना है कि उन्हें मिलकर अपने जल स्त्रोतों के इस्तेमाल का तरीका तलाशना होगा।
अब आने वाला समय ही बताएगा कि जल को लेकर मौजूदा सरकार कितना चिंतित है। इस समय में देश में जल को लेकर कितना भयावक संकट चल रहा है यह किसी से छिपा नहीं है। आने वाले वर्षों में जल को लेकर और भी संकट देखा जा सकता है ।
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