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दिल्ली विश्वविद्यालय में हुई ‘नदी को जानो’ अभियान और प्रतियोगिता की शुरुआत

तस्वीर- गंगा नदी, फोरम4

दिल्ली विश्वविद्यालयः भारतीय शिक्षण मंडल प्रेरित संस्था रिसर्च फॉर रिसर्जन्स फाउंडेशन ने अखिल भारतीय स्तर पर ‘नदी को जानो’ प्रतियोगिता का आयोजन किया है। इसमें प्रतिभागी संस्थाओं को एक लाख तक का पुरस्कार मिलेगा। प्रतियोगिता में सम्मिलित होने की अंतिम तिथि 30 अक्टूबर है। प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण लिंक https://conferencebsm.com/nkj पर जाकर करना होगा।

डीयू के नोडल अधिकारी प्रो. आरपी टेकचंदानी से बातचीत

रिसर्च फॉर रिसर्जन्स फाउंडेशन मानवता एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिक, तकनीकी और शैक्षणिक अनुसंधान के माध्यम से समाधान प्रदान करने का कार्य करता है। भारतीय शिक्षण मंडल, भारत केंद्रित भारतीय शिक्षा व्यवस्था का प्रादर्श (मॉडल) तैयार करने के उद्देश्य से कार्य करता है। नदियों से संबंधित तमाम प्रश्नों को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए इस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय में आधुनिक भारतीय भाषाएं एवं साहित्यिक अध्ययन विभाग में सिंधी भाषा पर काम कर रहे प्रो. रवि प्रकाश टेकचंदानी को दिल्ली विश्वविद्यालय का नोडल अधिकारी बनाया गया है। प्रो. टेकचंदानी ने फोरम4 से बातचीत में बताया कि इस प्रतियोगिता से लोग नदियों से जुड़ सकेंगे। उन्होंने बताया कि पड़ोस में नदियों के खत्म हो जाने और तमाम जगहों पर जिस तरह नदियों पर कॉलोनियां तक बसा दी गईं, ऐसे तमाम प्रश्नों को देखते हुए इस प्रतियोगिता का आयोजन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। प्रतियोगिता का आयोजन नदियों के प्रति जन जागृति लाने, उनके संरक्षण, पर्यावरण से युवा शक्ति को जोड़ने के उद्देश्य से किया गया है।

नदी को जानो प्रतियोगिता के लिए पुरस्कार भी दिये जाएंगे

प्रतियोगिता को दो स्तरों पर बाटा गया है। एक संस्थागत दूसरा व्यक्तिगत। संस्थागत में विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय एवं अन्य स्वयंसेवी संस्थानों के विद्यार्थी, शोधार्थी, शिक्षक और कार्यकर्ता भाग ले सकते हैं। संस्थागत श्रेणी में हर संस्था से न्यूनतम 250 प्रतिभागियों की संख्या अपेक्षित है। इसके लिए ऑनलाइन वेबसाइट के लिंक https://conferencebsm.com/nkj पर जाकर पंजीकरण करना होगा। पंजीकरण के दौरान मात्र 25 रुपये की सहयोग राशि देनी होगी। संस्थागत स्तर पर प्रतियोगिता विजेताओं को क्रमशः ‘जल संरक्षक’ के लिए एक लाख रुपये, ‘जलोपासक’ के लिए 51 हजार रुपये और ‘जल साथी’ को 21 हजार रुपये की पुरस्कार राशि मिलेगी। जबकि व्यक्तिगत श्रेणी में 18 वर्ष की आयु तक के प्रत्येक राज्य से ‘जल बाल मित्र’ को 5 हजार रुपये, 18 से 25 वर्ष आयु तक के प्रत्येक राज्य से ‘जल युवा मित्र’ को 5 हजार रुपये एवं 25 वर्ष आयु से ऊपर प्रत्येक राज्य से ‘जल मित्र’ को 5 हजार रुपये की राशि पुरस्कार के रूप में दिए जाएंगे।

प्रतिभागियों को नदी के भौगोलिक, सांस्कृतिक, पुरातात्विक दृष्टि से उसकी संपूर्ण जानकारी जिसमें उद्गम स्थल से लेकर विलय स्थल तक की जानकारी जीपीएस लोकेशन के साथ प्रदान करनी है। इससे संबंधित नियमों की जानकारी के लिए आप लिंक https://conferencebsm.com/nkj/frmterms.aspx पर जा सकते हैं।

ऐसे अभियान की जरूरत क्यों है?

दिल्ली विश्वविद्यालय के नोडल अधिकारी प्रो. रवि प्रकाश टेकचंदानी ने बताया कि वर्तमान में इस तरह की प्रतियोगिता का काफी महत्व है। जल ही जीवन है। मानव शरीर का 70 फीसद भाग जल से निर्मित है। विश्व की सभी सभ्यताओं का विकास नदियों के किनारे हुआ है। इसीलिए नदियों को जीवन संवाहक की संज्ञा दी गई है।

वर्तमान में नदियों की स्थिति दयनीय हो चली है। इसका सबसे बड़ा कारण समाज का नदियों के प्रति उदासीन होना है। यह प्रतियोगिता ‘नदी को जानो’ समाज और युवा पीढ़ी को उनके नदियों के बारे में सीमित ज्ञान को वृहत रूप देकर नदियों से सीधे जोड़ने के उद्देश्य से आयोजित की जा रही है। नदियां पर्यावरण के पारिस्थितिक तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी हैं। जल है तो कल है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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