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डीयू में प्रस्तावित 39 मंजिला इमारत के निर्माण के लिए गम्भीर आपत्ति दर्ज कराने के लिए राष्ट्रपति को लिखा पत्र

दिल्ली विश्वविद्यालय एससी, एसटी, ओबीसी टीचर्स फोरम ने भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और एससी, एसटी संसदीय समिति के चेयरमैन को पत्र लिखकर मांग की है कि दिल्ली विश्वविद्यालय  के उत्तरी परिसर में प्रस्तावित 39 मंजिला इमारत के निर्माण की अनुमति ना दी जाये।

फोरम ने पत्र में बताया है कि डीयू के उत्तरी परिसर में प्राइवेट बिल्डर्स द्वारा 39 मंजिला इमारत का निर्माण कार्य करने की योजना है। जिस भूमि पर 30 मंजिला इमारत का निर्माण कार्य की योजना है यह जमीन मूलरूप से रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की थी और राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक उद्देश्य के लिए अधिग्रहण किया गया था।

फोरम के अध्यक्ष डॉ. केपी सिंह यादव ने पत्र में लिखा है कि जहां यह 39 मंजिला इमारत बनाने की योजना है, इसके निकट मेट्रो स्टेशन है। मेट्रो निर्माण के बाद डीएमआरसी ने इस जमीन को विकास कार्य के लिए दी, लेकिन डीएमआरसी ने एक निजी बिल्डर्स को स्थायी रूप से पट्टे पर देकर इस भूमि का दो तिहाई हिस्सा बेच दिया और इसे सार्वजनिक और अर्द्ध सार्वजनिक सुविधा से आवासीय भूमि को बदलकर यहां जल्द ही निर्माण कार्य किया जाना है।

फोरम ने इस 39 मंजिला इमारत का पुरजोर विरोध किया है क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय की देश विदेश में एक पहचान है।

इस तरह से 39 मंजिला इमारत बनने से सामाजिक, सांस्कृतिक परिदृश्य के महत्वपूर्ण रूप को बदलकर यहां पर एक विदेशी संस्कृति को पनपाया जाएगा जो कि खतरनाक होगा। जब विश्वविद्यालय कैम्पस में इस तरह का आवासीय परियोजना बनेगी तो कैम्पस में महिलाओं, छात्राओं की सुरक्षा खतरे में होगी। इस कैम्पस के निकट कई छात्रावास हैं, कॉलेजों के अपने टीचिंग फ्लैट्स है जहां परिवार और महिलाएं रह रही हैं।

डॉ. केपी सिंह यादव ने पत्र में बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं के लिए पहले से ही छात्रावास, आवास के लिए गम्भीर समस्या बनी हुई है। कॉलेजों में जो छात्रावास है उनमें एससी, एसटी, ओबीसी कोटे के छात्र-छात्राओं के लिए सीटें बहुत कम हैं। लंबे समय से यूजीसी, एमएचआरडी से मांग की जाती रही है कि आरक्षित श्रेणी के छात्रों के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय कैम्पस में छात्रावास बने। हर शैक्षणिक सत्र में तथा छात्र संघ चुनाव के समय हर राजनीतिक दल के प्रतिनिधियों द्वारा आश्वासन दिया जाता है कि कैम्पस में एससी, एसटी, ओबीसी के छात्रों के लिए छात्रावास का निर्माण कराया जाएगा ,लेकिन आज तक नहीं बना।

फोरम मांग करता है कि जिस स्थान पर 39 मंजिला इमारत बन रही है उस जमीन को प्राइवेट बिल्डर्स से लेकर वहां पर अम्बेडकर जी के नाम पर “अम्बेडकर छात्रावास” स्थापित किया जाये ताकि यह समाज आपको सदैव याद रखेगा।

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में उन्होंने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में हर साल आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हर साल उच्च शिक्षा (एमफिल, पीएचडी) ग्रहण करने के लिए देश विदेश से एससी, एसटी, ओबीसी के छात्र आते हैं, लेकिन छात्रावास में कम सीटों के होने से उन्हें कैम्पस के आसपास रहने के लिए उच्च दामों पर कमरा लेकर या पेइंग गेस्ट के रूप में रहने को मजबूर होना पड़ता है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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