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डीयू में एमफिल, पीएचडी प्रोग्राम में 10 फीसद ईडब्ल्यूएस कोटा लागू, लेकिन डीयू पोर्टल पर ईडब्ल्यूएस कोटे के आवेदनों की संख्या नहीं

केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार ईडब्ल्यूएस अभ्यर्थियों को दिया जाने वाला 10 फीसद आरक्षण लागू करने के सख्त आदेश है। इसी आदेश के तहत यह आरक्षण दिल्ली विश्वविद्यालय ने स्नातक, परास्नातक के साथ-साथ एमफिल/पीएचडी प्रोग्राम में दाखिलें में इसी शैक्षिक सत्र से लागू किया है। 10 फीसद सीटों के बढ़ने से सबसे ज्यादा लाभ आरक्षित वर्ग के एससी, एसटी, ओबीसी अभ्यर्थियों को मिलेगा। लेकिन इन सबके बावजूद डीयू पोर्टल पर स्नातक, परास्नाक की तरह एमफिल-पीएचडी में ईडब्ल्यूएस कोटे से आवेदन करने वाले छात्रों की संख्या नहीं दर्शाई जा रही।

दिल्ली विश्वविद्यालय की सर्वोच्च संस्था विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य प्रो. हंसराज ‘सुमन’ ने फोरम4 से बातचीत में बताया है कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 10 फीसद आरक्षण देने संबंधी सर्कुलर दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को प्राप्त हो चुका है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि किस विभाग में कितनी सीटें है और किन-किन वर्गों की कितनी सीटें आरक्षित है। उसका फार्मूला व आंकड़े तैयार कर लिए गए हैं। इन सीटों से आरक्षित श्रेणी की सीटों में इजाफा हुआ है।

प्रो. सुमन ने बताया है कि ईडब्ल्यूएस के तहत 10 फीसदी सीटें बढ़ने के बाद आगामी शैक्षिक सत्र 2019-20 में डीयू के विज्ञान, वाणिज्य और सोशल साइंस विभागों में एमफिल/पीएचडी प्रोग्राम में 10 फीसद सीटें बढ़ जाएंगी। इन सीटों के बढ़ने से आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों के साथ-साथ आरक्षित सीटों में भी इजाफा होगा।

उन्होंने बताया है कि वर्तमान में एमफिल प्रोग्राम में स्वीकृत 676 सीटें हैं। इसमें से 467 शोधार्थियों को प्रवेश दिया गया और 237 सीटें खाली रह गई। इसमें सामान्य की 246, ओबीसी की 116 , एससी की 69, एसटी की 36, कुल 467 हैं। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी के 16 शोधार्थियों को प्रवेश दिया गया था। अब ईडब्ल्यूएस आरक्षण आने से सामान्य के 338 , ओबीसी के 182, एससी के 101, एसटी के 51, ईडब्ल्यूएस की 68 सीटें हो जाएगी। उन्होंने बताया है कि पीडब्ल्यूडी की 7 सीटें खाली रह गई थीं।

प्रो. सुमन ने बताया है इसी तरह से पीएचडी प्रोग्राम के लिए 800 सीटें हैं। इसमें सामान्य की 500, ओबीसी की 156, एससी की 110, एसटी की 34 के अलावा पीडब्ल्यूडी के 15 शोधार्थी थे। इस तरह से पीएचडी की कुल 800 सीटें हैं। अब जब ईडब्ल्यूएस आरक्षण लागू हो रहा है, सामान्य की 400 , ओबीसी की 216, एससी की 120, एसटी की 60, ईडब्ल्यूएस की 80 सीटें हो जाएंगी। पीएचडी प्रोग्राम में पीडब्ल्यूडी की 25 सीटें खाली रह गई थीं।

एमफिल/पीएचडी प्रोग्राम में आवेदन करने वाले ईडब्ल्यूएस व पीडब्ल्यूडी अभ्यर्थियों की संख्या नहीं बता रहा पोर्टल

प्रो. सुमन ने बताया है कि एमफिल/पीएचडी प्रोग्राम में सभी श्रेणियों के अभ्यर्थियों का डीयू पोर्टल पर आवेदन करने वालों की संख्या बताई गई है, लेकिन पोर्टल में ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत और पीडब्ल्यूडी व अन्य वार्ड कोटे के तहत आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों का ब्यौरा नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया है कि अभी तक 18103 अभ्यर्थियों ने आवेदन किया है, जिन्होंने फीस जमा कर दी है। इसमें सामान्य के 9295, ओबीसी के 4764,अनुसूचित जाति के 2908, अनुसूचित जनजाति के 1136 अभ्यर्थी शामिल हैं। लेकिन, ईडब्ल्यूएस कोटे व पीडब्ल्यूडी, वार्ड कोटा तथा अन्य कोटे के तहत अभ्यर्थियों की संख्या पोर्टल पर नहीं दर्शाई जा रही है, इससे सवाल उठता है कि आखिर इसके पीछे डीयू की क्या मंशा है?

उन्होंने कहा कि सभी आरक्षित वर्गों की सीटों को पोर्टल पर दर्शाया जाना न्यायोचित है।

ईडब्ल्यूएस कोटे से कितनी बढ़ेंगी सीटें

उन्होंने बताया है कि सामान्य वर्गों के आर्थिक रूप से कमजोर अभ्यर्थियों को दिया जाने वाले 10 फीसद आरक्षण से इन वर्गों की एमफिल में 68 और पीएचडी में 80 सीटें होंगी। इस तरह से एमफिल/पीएचडी की 148 सीटों पर दाखिला होगा। इसी तरह से पीडब्ल्यूडी की एमफिल में 23,पीएचडी में 40 सीट यानी 63 सीट आरक्षित होंगी।

एमफिल/पीएचडी प्रोग्राम में आवेदन करने की 22 जून अंतिम तिथि

एमफिल/पीएचडी में आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों के लिए 1 ही दिन शेष है। जिन अभ्यर्थियों को इस प्रोग्राम में आवेदन करना है वे 22 जून तक कर सकते हैं। इस प्रोग्राम में दोनों ही प्रक्रिया अपनाई जाती है, मेरिट के आधार पर और लिखित परीक्षा के आधार पर प्रवेश दिया जाता है।

शोध निर्देशक की नहीं होगी दिक्कत

प्रो. सुमन ने बताया है कि उनकी डीन सोशल साइंस से बात हुई है, उनका कहना है कि 10 फीसद ईडब्ल्यूएस सीटों के बढ़ने से यूजीसी नियमों के तहत एक शिक्षक तय शोधार्थियों को अपने अधीनस्थ शोध निर्देशक के रूप में रख सकते हैं।

उनका कहना है कि यूजीसी/विश्वविद्यालय नियमानुसार प्रोफेसर अपने अंतर्गत 8 पीएचडी और 3 एमफिल शोधार्थियों को शोध करा सकते हैं।

वहीं एक एसोसिएट प्रोफेसर अपने अंतर्गत 6 पीएचडी और 2 एमफिल करवा सकते हैं।

इसी तरह से सहायक प्रोफेसर 4 पीएचडी और 1 एमफिल शोधार्थी अपने अंतर्गत में रख सकते हैं।

प्रो. सुमन ने बताया है कि जब विभागों में शोधार्थियों को रिसर्च कराने वाले शिक्षकों की कमी हो जाती है तो कॉलेजों के वरिष्ठ शिक्षकों को शोध निर्देशक बनने का अवसर दिया जाता है। डीयू में बहुत से विभागों में बाहर से शोध निर्देशक (सुपरवाइजर) हैं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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