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डीयू- जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय में “द पास्ट इन द प्रेजेंट: देल्हीस टू इंपिरियल कैपिटल्स” पर हुआ वेबिनार

दिल्ली विश्वविद्यालय के जानकी देवी मेमोरियल महाविद्यालय में इतिहास विभाग द्वारा महाविद्यालय स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने के ‘हीरक जयंती’ के अवसर पर ‘दि डिस्टिंगविश स्पीकर सीरीज वेबिनार’ 14 मई 2020 को आयोजित किया गया। जिसका विषय “द पास्ट इन द प्रेजेंट: देल्हीस टू इंपिरियल कैपिटल्स” था। इस कार्यक्रम को देश के इतिहासकार और दिल्ली विषय से संबंधित विशेषज्ञों ने संबोधित किया।

इनमे मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता राणा सफवी जो महान इतिहासकार के साथ-साथ “द फॉरगोटन सिटीज ऑफ दिल्ली एंड शाहजहानाबाद, द लिविंग सिटी ऑफ ओल्ड दिल्ली” के लेखक भी है; साथ में द्वितीयक महान इतिहासकार स्वप्ना लीडल जो “दिल्ली चैप्टर ऑफ इंटेक” की संयोजक भी है, की प्रसिद्ध पुस्तक “चांदनी चौक: द मुगल सिटी ऑफ ओल्ड दिल्ली एंड कनाड प्लेस एंड मेकिंग ऑफ न्यू दिल्ली” है। दोनों विशेषज्ञों ने दिल्ली से संबंधित महान शोध-मूल्यपरक विचारों से दिल्ली विश्वविद्यालय के साथ-साथ देश के अन्य विश्वविद्यालयों से आए लगभग 300 प्राध्यापकों-शोधार्थियों एवं छात्राओं को सम्बोधित किया।

कार्यक्रम की शुरुआत सभी प्राध्यापको, शोधार्थियों- छात्राओं की उपस्थिति में महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ स्वाति पाल ने मुख्य वक्ताओं का औपचारिक रूप से स्वागत करते हुए महाविद्यालय स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने के हीरक जयंती के अवसर पर सबको शुभकामनाएं दीं तथा महाविद्यालय के बारे में संक्षिप्त परिचय देकर मुख्य वक्ताओं का कार्यक्रम में स्वागत किया।

कार्यक्रम की प्रायोजक डॉ सौम्या गुप्ता ने कार्यक्रम का उद्देश्य और प्रस्तावना देकर दोनों मुख्य अतिथियों के बारे में परिचय देते हुए वक्ता के रूप में उन्हें आमंत्रित किया। प्रथम वक्ता के रूप में इतिहासकार राणा सफवी ने शाहजहानाबाद शहर, पुरानी दिल्ली इसके दुर्ग तथा इसकी भौगोलिक स्थिति और इसके वास्तुकला के बारे में विस्तृत जानकारियां उपलब्ध कराई। तत्पश्चात द्वितीयक महान इतिहासकार के रूप में लीडल ने पुरानी दिल्ली से विकसित चांदनी चौक, नई दिल्ली, कनॉट प्लेस, संसद भवन, यमुना आदि पर प्रमुख रूप से अपने वक्तव्य दिए जो दिल्ली में आते थे। साथ ही इन दोनों विशेषज्ञों ने दिल्ली की विरासत को बचाने और इसे संवारने एवं संवर्धन करने की वकालत की।

इस कार्यक्रम की सफलता में इतिहास विभाग प्रमुख डॉ नताशा नोंगबरी तथा कार्यक्रम संयोजक डॉ मनीषा अग्निहोत्री एवं इतिहास विभाग की पूरी टीम की महत्त्वकारी भूमिका रही।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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