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जानिए नागालैंड पर क्यों गरमाई राजनीति, क्या है पूरा मामला?

नागालैंड में 4 दिसंबर को भारीतय सेना ने कुछ आम लोगों पर गोली चला दी। जिसके बाद इस घटना में लगभग 14 लोगों की मौत हो गई और 11 लोग घायल हो गए। इसके बाद गांव के लोगों ने भी सेना के कैम्प पर हमला कर दिया। इस हिंसा के बाद नागालैंड में इंटरनेट की सुविधा बंद कर दी गयी थी। साथ ही अफस्पा एक्ट को हटाने की मांग भी की जा रही है।

क्या है पूरा मामला?

4 दिसंबर को नागालैंड के मोन ज़िले में सेना के जवान पेट्रोलिंग कर रहे थे, जब ये घटना हुई। शाम करीब 6:30 बजे सेना ने एक गाड़ी को रोका लेकिन गाड़ी के ना रुकने पर जवानों को गाड़ी में बैठे लोगों पर उग्रवादी होने का संदेह हुआ और गाड़ी पर गोली चला दी लेकिन कुछ ही देर में उन्हें ये एहसास हो गया कि उनसे गलती हो गयी है, जिसके बाद जवान घायल लोगों को अस्पताल भी ले कर गए लेकिन 6 लोगो की मौत हो गई। गाड़ी में बेठे लोग असल में कोयला खदानों में काम करते थे। फिर कुछ देर बाद जब ये बात गांव वालो को पता लगी तो वो गुस्से में आ गए और गुस्से में ग्रामीणों ने जवानों पर हमला कर दिया जिसके एक जवान की भी मृत्यु हो गयी थी।  भीड़ को भगाने को हटाने के लिए बचावी फायरिंग में 6 ग्रामीणों ने अपनी जान गवा दी।

इस घटना के बाद माहौल गर्म हो गया और कुछ समय बाद पूरे गांव में पुलिस को तैनात किया गया और जवानों को वहां से दूसरी जगह भेज दिया गया।

अब क्या है नागालैंड में माहौल?

रविवार को नागालैंड में कर्फ्यू और इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया। इस मामले में कुछ जवानों और गांव के लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है।

इस मामले में संसद में क्या बात हुई?

6 दिसंबर को अमित शाह ने संसद में नागालैंड में हुई घटना के बारे में विस्तार से बताया जिसमें उन्होंने कहा कि “नागालैंड में स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण है। भारत सरकार नागालैंड में हुई इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर गंभीर रूप से खेद प्रकट करती है और अपनी जान गंवाने वालों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करती है।” अमित शाह ने आगे कहा कि सेना के 21 पैरा कमांडो को जानकारी मिली थी कि मोन संदिग्ध विद्रोही आ सकते है। जिसके बाद सेना ने जाल बिछाया और जब शनिवार शाम को वहां से एक गाड़ी गुज़र रही थी तो सेना ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन गाड़ी रुकी नहीं बल्कि और तेज़ी से चलने लगी जिसकी वजह से सेना को शक हुआ और इसके बिनाह पर जवानों ने गाड़ी पर गोली चलाई जिसकी वजह से गाड़ी में बैठे 8 लोगों में से 6 की मौत हो गयी और 2 घायल हो गए। इस मामले को गलत पहचान का मामला बताया गया है।

इस मामले में नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफियो रियू ने एक एसआईटी गठित की है जिसमें ये दावा किया गया है कि उस मामले की पूरी जांच की जाएगी और दोषियों को सज़ा भी दिया जाएगा। इसके साथ जिन लोगो की मौत हुई है, उन सबको 5 लाख का मुआवजा भी दिया गया है।

इस घटना पर विशेषज्ञों की क्या राय है?

विशेषज्ञ कहते है कि “गलत पहचान” करना सेना की विश्वसनीय सूत्रों की कमी को दर्शाती है और ये घटना आतंकवाद-रोधी अभियानों पर सवाल खड़ा करती है।

हिंसा में बचे हुए व्यक्ति ने क्या कहा?

जवानों द्वारा रोकी गयी गाड़ी में 8 लोग मौजूद थे जिसमें से 6 की मौत हो गयी थी और दो लोग घायल हो गये थे जिन्हें जवान अस्पताल ले गए थे। अब उसमें से एक व्यक्ति शिवांग ने बताया कि हमें रुकने को नहीं कहा गया उसने कहा कि “हमें रुकने का इशारा नहीं किया गया। उन्होंने हमें सीधे मार डाला। हम भागने की कोशिश नहीं कर रहे थे… हम बस गाड़ी में थे।”

इस घटना के बाद AFSPA का विरोध क्यों हो रहा है?

इस घटना के बाद AFSPA को हटाने की मांग की गई है, नगा मदर्स एसोसिएशन ने कहा है कि सेना इस कानून का लगातार गलत तरीके से इस्तमाल कर रही है इसमें मानवाधिकारों को कुचला जा रहा है।

क्या है अफस्पा (AFSPA)?

अफस्पा (AFSPA) यानी आर्मड फोर्सेज स्पेशल पावर्स एक्ट संसद द्वारा 1958 में लागू किया गया था। इस कानून को अशांत-क्षेत्र में लागू किया जाता है जहां राज्य सरकार और पुलिस-प्रशासन कानून-व्यवस्था संभालने में नाकाम रहती है। ये ऐसी ‘खतरनाक स्थिति’ में लागू किया जाता है जहां पुलिस और अर्द्धसैनिक बल आतंकवाद, उग्रवाद या फिर बाहरी ताकतों से लड़ने में नाकाम साबित होती हैं। नागालैंड में हुई इस घटना के बाद कई सवाल खड़े होते हो रहे हैं जिसके बाद इस एक्ट को हटाने की मांग की जा रही है।

इनमें से कुछ शक्तियों में कानून और व्यवस्था के खिलाफ काम करने वाले किसी भी व्यक्ति पर गोली चलाना, बिना वारंट के किसी को गिरफ्तार करना, किसी वाहन या जहाज को रोकना और उसकी तलाशी लेना और पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाना शामिल है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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