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गला काट राजनीति पर चिंतन

एक आईएसआईएस हमारे देश में भी बन रहा है यदि सरकार ने इधर ध्यान नहीं दिया तो समाज में इसके बुरे परिणाम जल्द ही दिखने लगेंगे।

मैं आपका ध्यान इस बात की ओर ले जाना चाहता हूँ कि हमारे समाज में कुछ बहकाने वाले लोगों का जत्था दिन-रात सक्रिय होता जा रहा है। ऐसी कंपनियों में लोग बड़े सही ढंग से सूट बूट पहन कर लोगों का गला काटते दिख जाएंगे। ये सिखाते हैं आपको अंधी और लालच भरी भीड़ इक्कट्ठा करना। यह किसी भी तबके के पढ़े लिखे या अनपढ़ लोगों को अपना निशाना बनाता है उन्हें बड़े-बड़े सपने दिखाता है तरह-तरह का लालच देकर उन्हें इंसान से पत्थर में तब्दील कर देता है।

पत्थर में तब्दील हुए इन लोगों के पास रह जाता है बस इंसान बने रहने का चोला, सारी दुनिया भी बर्बाद हो जाये तो अब इनको कोई फर्क न पड़े।

मैं आपको बता दूँ की लालच हर इंसान में छुपा होता है और कौन इंसान नहीं चाहता कि उसके पास अथाह पैसा हो किन्तु जब तक लोगों में इंसानियत बची रहती है तब तक लालच छुपा रहता है। उस इंसान को फर्क पड़ता है अगर कोई रोता है उसके सामने, अगर कोई परेशानी में है उसके सामने किन्तु जब उसकी इंसानियत खत्म हो जाती है फिर उसको कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह फसल काट रहा है या आदमियों का गला।

मुझे याद आती है मुक्तिबोध की पंक्ति- “मारो खाओ हाथ मत आओ” आज का समाज एकदम इसी बात को मूल में रखता है , किन्तु इसके परिणाम भी उसके सामने जल्द ही आने लगते हैं। एक विचार योग्य बात यह है कि आप अपने पिता से उतना लगाव नहीं रखते जितना अपने बेटे से रखते हैं एकदम समान स्थिति आपके बेटे के साथ भी होगी।

जिस तरह का समाज आज हम लोग बना रहे हैं यह एकदम सम्भव है कि यदि यह समाज आज एक इंसान के लिये अनुपयुक्त है तो कल को आप के लिये भी उपयुक्त नहीं रहेगा। पैसे की अन्धी दौड़ में यदि आप शामिल हैं तो यह बहुत सम्भव की आप किसी भी समय कुचले जा सकते हैं।

मैं देखता हूं, आज का समाज जिसमें बात-चीत और विचार-विमर्श के लिये कोई स्थान नहीं हैं । एक ही घर में पिता पुलिस विभाग में उप निरीक्षक है और बेटा फर्जी कॉल सेंटर में कार्यरत है यह स्थिति कैसे बन गई और सबसे बड़ी बात कि यह अपवाद नहीं है लगभग सभी घरों में ऐसी स्थिति हो चुकी है।

कुछ कम्पनियां हमारे समाज इसी आधार पर चलती हैं वो दावें करते हैं कि आपको कुछ काम नहीं करना होगा और आपको हर हफ्ते या महीने पैसे भी मिलेंगे। मेरे देश के लोगों इसमें आपको चाकू , छूरी नहीं चलाने पड़ते लेकिन आप खून करते हैं किसी के अरमानों का, किसी के सपनों का, किसी की खुशी का। जरा विचार कीजिए जब आप किसी इंसान के साथ बुरा करेंगे तो आपको चैन की नींद कैसे आएगी।

मैं आप सभी से एक अपील करना चाहता हूं कृपया किसी के बहकावे में न आएं। कोई दुनिया में मुफ्त में आपको कुछ नहीं देगा सिवाय गम और धोखे के। अतः सावधान रहें अपने बच्चों से बात अवशय करें, कहीं ऐसा न हो कि किसी गरीब का गला काट कर वो अपनी जरूरतें पूरी करता हो। आज यदि आज आप जानकर भी अनजान बने रहेंगे तो कल को आपके बच्चे आपको कुछ बताने के लिये जरूरी नहीं समझेंगे।

नोट- ये लेखक के अपने विचार हैं। फोरम4 का इससे सहमति-असहमति होना जरूरी नहीं है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

धर्मवीर सिंह
दिल्ली विश्वविद्यालय से परास्नातक कर चुके हैं।

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