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गर्भवती हथिनी इंसान न होकर भी इंसानियत दिखा गई और इंसानों ने क्रूरता की मिसाल पेश की!

तस्वीर- मोहन कृष्णनन

देश में साक्षरता दर की बात करें तो केरल सबसे आगे है। कोरोना को लेकर भी केरल की स्थिति काफी अच्छी है। भारत के केरल में कोरोना का मामला भी सबसे पहले आया, लेकिन केरल की स्थिति काफी अच्छी है। केरल में 1326 मामले कोरोना के आये इनमें से 10 लोगों की ही मौत हुई है। लेकिन केरल अब सोशल मीडिया से लेकर हर इंसान के जेहन में गलत खबरों की वजह से चर्चा में बना हुआ है। यहां एक अमानवीय घटना ने मनुष्य के इंसान होने पर सवाल खड़े कर दिये है। एक गर्भवती हथिनी के साथ कुछ शरारती तत्वों ने क्रूरता की है। इन्होंने एक गर्भवती हथिनी को पटाखों से भरा अनानास खिला दिया। इसके बाद पटाखे हथिनी के मुंह में फट गए और हथिनी के गर्भ में पल रहे बच्चे समेत उसकी मौत हो गई। हथिनी के घायल होने की ये घटना लोगों की नज़र में तब आई जब रेपिड रेस्पांस टीम के वन अधिकारी मोहन कृष्णनन ने फ़ेसबुक पर इसके बारे में भावुक पोस्ट लिखी। कुछ ही देर में हथिनी की ये तस्वीरें वायरल हुईं औऱ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा।

तस्वीर- मोहन कृष्णनन

मोहन कृष्णनन ने 30 मई को अपनी पोस्ट में लिखा कि घायल होने के बाद हथिनी एक गांव से भागते हुए निकली, लेकिन उसने गांव में किसी को भी चोट नहीं पहुंचाई। हथिनी की तस्वीरें फ़ेसबुक पर पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा कि वह बहुत अच्छी थी। उनका कहना है कि तस्वीरों में हथिनी का दर्द क़ैद नहीं हुआ है।

मामला मलप्पुरम जिले की है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक हथिनी की उम्र 14-15 साल रही होगी। गर्भवती भूखी हथिनी भोजन की तलाश में जंगल के बाहर आ गई। वह गांव में भटक गई। कुछ स्थानीय लोगों ने उसके साथ शरारत की और उसे अनानास में पटाखे भरकर खिला दिया। भूख से बेहाल हथिनी ने वह अनानास खा लिया और कुछ ही देर में उसके पेट के अंदर पटाखे फटने लगे।

मोहन कृष्णनन ने आगे लिखा, ‘उसने सभी पर भरोसा किया। जब वह अनानास खा गई और कुछ देर बाद उसके पेट में यह फट गया तो वह परेशान हो गई। हथिनी अपने लिए नहीं बल्कि उसके पेट में पल रहे बच्चे के लिए परेशान हुई होगी, जिसे वह अगले 18 से 20 महीने में जन्म देने वाली थी।’

घायल होने के बाद वो इतनी पीड़ा में थी कि तीन दिन तक वेलियार नदी में खड़ी रही इस दौरान उसका मुंह और सूंढ़ पानी के भीतर ही रहे और उस तक चिकित्सीय मदद पहुंचाने के सभी प्रयास नाकाम रहे। अधिकारियों ने बताया कि पटाखे उसके मुंह में फट गए जिससे मुंह और जीभ बुरी तरह से जख्मी हो गए। दर्द के कारण वह कुछ खा नहीं पा रही थी। उसके पेट में पल रहे बच्चे को भी कुछ नहीं मिल पा रहा था। जानकारी के अनुसार, वन विभाग ने हाथियों की मदद से हथिनी को नदी से बाहर निकालने के प्रयास किए लेकिन वो टस से मस नहीं हुई। वन विभाग पशु चिकित्सकों से हथिनी का ऑपरेशन करवाने के प्रयास कर रहा था।

हथिनी ने 27 मई को नदी में खड़े-खड़े ही दम तोड़ दिया। जब उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया तो पता चला कि वो गर्भवती थी।

मोहन कृष्णनन ने अपनी पोस्ट में लिखा है, ‘पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर ने मुझे बताया कि वो अकेली नहीं थी। मैं डॉक्टर के दर्द को समझ सकता था, हालांकि उनका चेहरा मास्क में छुपा था। हमने वहीं चिता जलाकर उसका अंतिम संस्कार कर दिया। हमने उसके सामने सिर झुकाकर अपना अंतिम सम्मान प्रकट किया।’

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘वन विभाग के अधिकारियों को यह हथिनी 25 मई को मिली थी जब यह भटक कर पास के खेत में पहुंच गई थी, शायद वो अपने गर्भस्थ शिशु के लिए कुछ खाना चाह रही थी।’

इस संबंध में मुक़दमा दर्ज कर लिया गया है और हथिनी की मौत के लिए ज़िम्मेदार लोगों की पहचान करने की कोशिशें की जा रही हैं।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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