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अयोध्या में जमीन-खरीद मामले में सियासत, जानिए क्या है पूरा मामला

अयोध्या में जमीन-खरीद विवाद ने एक नया मोड़ ले लिया है। जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक आ रहा है मसला और पेचीदा होता जा रहा है। यूपी में अगले साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लेकिन. इसी बीच अयोध्या में जमीन-खरीद विवाद भी बढ़ता जा रहा है। मामलें को लेकर विपक्ष बार-बार केंद्र और राज्य सरकार पर हमलावर है। आपको बता दें जमीन-खरीद विवाद में बड़े अधिकारी से लेकर पुलिस अफसरों पर भी आरोप लगाए जा रहे हैं। इसके बाद अब योगी आदित्यनाथ भी हरकत में आ गए हैं। उन्होंने इस मामलें पर जांच के आदेश दे दिए हैं। आपको बता दें विशेष सचिव राधेश्याम मिश्र ये जांच करेंगे। योगी सरकार ने 5 दिनों के अंदर जांच की रिपोर्ट मांगी हैं।

इस मामले में प्रियंका गाँधी वाड्रा ने कहा कि ”देश के लगभग हर घर ने राम मंदिर ट्रस्ट को कुछ न कुछ दान दिया हैं। घर-घर जाकर प्रचार भी किया गया। यह भक्ति की बात है और इसके साथ खिलवाड़ किया जा रहा हैं। दलितों की जमीन के टुकड़े, जिन्हें खरीदा नहीं जा सकता था, हड़प लिया गया। जमीन के कुछ टुकड़े कम मूल्य के थे और ट्रस्ट को बहुत अधिक कीमत पर बेचे गए थे। इसका मतलब है कि चंदा के जरिए जो पैसा इकट्ठा हुआ है। उसमें घोटाला है।”

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘पहले मंदिर के नाम पर चंदे की लूट की गई और अब संपत्ति बनाने की लूट हो रही है. साफ है कि भाजपाई अब रामद्रोह कर रहे हैं जमीन की सीधे लूट मची हुई है। एक तरफ आस्था का दीया जलाया गया और दूसरी तरफ बीजेपी के लोगों द्वारा जमीन की लूट मचाई गई है।’’

 

कहा से शुरू हुआ पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर का फैसला सुनाया था जून में राम मंदिर का प्रथम तल बनना शुरू हो गया था जिसके बाद से ही अयोध्या में जमीन-खरीद विवाद का मामला सामने आया। राम मंदिर ट्रस्ट के उप्पर करोड़ो के हेरा फेरी का आरोप लगाया गया है। आपको बता दें राम मंदिर ट्रस्ट पर कूल चार जमीन घोटालो का आरोप लगाया गया है।

 

पहला विवाद

अयोध्या रेलवे स्टेशन के पास रवि मोहन तीवारी और सुल्तान अंसारी ने 2 करोड़ रूपये में 12 हजार स्क्वायर मीटर की जमीन कुसम पाठक और हरीश पाठक से खरीदी थी। जमीन 7 बज कर 10 मिनट पर खरीदी गई थी। और वही जमीन 5 मिनट बाद रवि मोहन तीवारी और सुल्तान अंसारी से राम मंदिर ट्रस्ट ने 18.5 करोड़ रूपये में खरीदी। यानि 2 करोड़ की जमीन 5 मिनट में ही 18.5 करोड़ की हो गई। इस सौदे के गवाह के तौर पर अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय मजूद थे।

 

दूसरा विवाद

वही दूसरी तरफ एक और मामला सामने आया जहा महज 8 करोड़ रूपये में 10 हज़ार वर्ग मीटर से अधिक इस जमीन को ख़रीदा गया। ख़ास बात ये है की 12 हजार स्क्वायर मीटर की जमीन 18.5 करोड़ और 10 स्क्वायर मीटर की जमीन केवल 8 करोड़ में खरीदी गई। आपको बता दें कि इस सौदे के गवाह भी अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय और ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा थे।

 

तीसरा विवाद

लेकिन जमीन-खरीद का मामला यहीं खत्म नहीं होता। अयोध्या में एक और मामला सामने आया जहा मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे दीप नारायण उपाध्याय ने अयोध्या के महंत देवेंद्र प्रसाद आचार्य से 20 फरवरी 2021 को 135 से 890 वर्ग मीटर की जमीन 20 लाख रूपये में खरीदी थी। लेकिन वही जमीन 3 महीने बाद 11 मई 2021 को दीप नारायण ने राम मंदिर ट्रस्ट को 2.5 करोड़ में बेच दिया।

 

चौथा विवाद

आपको बता दें मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के भतीजे ने 27 लाख में 676.86 वर्ग मीटर की एक और जमीन खरीदी थी। और इसी जमीन को राम मंदिर ट्रस्ट को 1 करोड़ रूपये में बेच दिया।

 

जमीन-खरीद विवाद में संजय सिंह ने उठाए सवाल

जमीन-खरीद विवाद में आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा कि जमीन 2 करोड़ रूपये में कुसम पाठक और हरीश पाठक से खरीदी गई थी। खरीदने वालो का नाम रवि मोहन तीवारी और सुल्तान अंसारी जमीं खरीदने का समय 7 बज कर 10 मिनट पर खरीदी गई थी। और यही जमीन 5 मिनट बाद रवि मोहन तीवारी और सुल्तान अंसारी से राम मंदिर ट्रस्ट ने 18.5 करोड़ रुपए में खरीदी गई। आरोपों पर सफाई देते हुए राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्य चम्पत राय ने कहा कि श्री राम जन्म भूमि तीर्थ तीर्थ क्षेत्र ने अभी तक जितनी भी ज़मीने खरीदी है वो खुले बाजार की कीमतों से बहुत कम है। इस जमीन को खरीदने के लिए बेचने वालो ने बरसो पहले जिस कीमत पर पंजीकृत अनुबंध किया था उस जमीन को उन्होंने 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया और फिर ट्रस्ट के साथ अनबंध किया।

 

राम मंदिर ट्रस्ट का दवा

राम मंदिर ट्रस्ट ने दावा किया है कि बाग बिसेसर में 1.2080 हेक्टेयर (100 बीघा) भूमि 1423 रूपये प्रति स्क्वायर फीट की दर से अनुबंधित की गई थी, जो मार्केट वैल्यू से कम है। संबंधित जमीन को लेकर ट्रस्ट ने साफ किया है कि जिस व्यक्ति से यह जमीन खरीदी गई है, उस व्यक्ति का अनुबंध 2011 से ही उक्त जमीन पर चल रहा था। जमीन के लोकेशन को लेकर ट्रस्ट ने जमीन खरीदने की बात तय की थी। 242 गाटा संख्या में जिस जमीन पर चर्चा की गई थी, उस पर 3 मुस्लिम समेत 9 लोगों का एग्रीमेंट चल रहा था। सभी से वार्ता कर सहमति लेने के बाद पूर्ण पारदर्शिता के साथ जमीन खरीदी गई, जिसमें 17 करोड़ रूपये करार किए हुए व्यक्तियों के खातों में आरटीजीएस किया गया। राम मंदिर ट्रस्ट ने 4 प्लाट मंदिर और आश्रम को मिलाकर पहले भी खरीद चुका है और आगे भी इस प्रक्रिया को किया जाना है। सब कुछ विधि सम्मत है।

जमीन घोटाले में प्रियंका गाँधी ने कहा था कि ”करोड़ो लोगो के आस्था और भक्ति के चलते भगवान् के चरणों में चढ़ावा चढ़ाया उस चंदे का दुरूपयोग अधर्म है, पाप है और उनके आस्था का अपमान है। ”

भाजपा ने इन आरोपों को खारिज किया है जिस पर संजय सिंह राउत ने कहा की ”आरोप मंदिर के ट्रस्ट पर लग रहा है और जवाब भाजपा दे रही है क्या प्रभु श्री राम के नाम पर हुए करोड़ो रुपए के जमीन घोटालों में भाजपा भी शामिल है। ”

इन जमीन घोटालो में अयोध्या के महापौर ऋषिकेश उपाध्याय का नाम बार-बार सामने आने के साथ नेताओं और अधिकारियों के परिजनों का नाम बभी सामने आया है और बीजीपी का आरोपों को ख़ारिज करने पर यह कहा जा सकता है कि इन ज़मीन घोटालो में बीजीपी का हाथ है। सवाल ये भी उठता है कि इतने सस्ते दामों पर खरीदी गई जमीनों को राम मंदिर ट्रस्ट इतने महंगे दामों पर क्यों खरीद रहा है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

अमित सोनी
अमित पत्रकारिता के छात्र हैं

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