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अब 17 मई तक लॉकडाउन में देश, इस बीच छात्रों, मजदूरों के लिए क्या बदलाव हुए हैं?

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने देशभर में लॉकडाउन को दो सप्ताह बढ़ाने की घोषणा कर दी है। प्रधानमंत्री ने 14 अप्रैल को वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिये 24 मार्च से चल रहे लॉकडाउन को 3 मई तक बढ़ाने की घोषणा की थी। अब दो सप्ताह बढ़ने के बाद नया लॉकडाउन 4 मई से 17 मई तक लागू होगा। नीचे दिए गए लिंक पर जाकर पूरीृाृ गाइडलाइंस पढ़ सकते हैं।

MHA Order Dt. 1.5.2020 to extend Lockdown period for 2 weeks w.e.f. 4.5.2020 with new guidelines

गृह मंत्रालय की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऑरेंज और ग्रीन ज़ोन में आने वाले क्षेत्रों में कई तरह की ढील दी गई हैं।

देश को रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन में बांटा गया है। ग्रीन जोन में बसें चल सकेंगी, लेकिन बसों की क्षमता 50% से ज्यादा नहीं होगी। अगर किसी बस में 60 सीटें हैं, तो उसमें 30 से ज्यादा यात्री नहीं होंगे। इसी तरह, डिपो में भी 50% से ज्यादा कर्मचारी काम नहीं करेंगे। इन जिलों में सैलून समेत अन्य जरूरी सेवाओं और वस्तुएं मुहैया कराने वाले संस्थान भी 4 मई से खुल जाएंगे।

ऑरेंज जोन में बसें नहीं चलेंगी, लेकिन कैब की अनुमति होगी। कैब में ड्राइवर के साथ एक ही यात्री हो सकता है। लोग अपनी पर्सनल गाड़ियों का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन उसमें दो ही लोग बैठ सकते हैं। ऑरेंज जोन में औद्योगिक गतिविधियां शुरू होंगी और कॉम्प्लेक्स भी खुलेंगे।

हर तरह के जोन में ओपीडी और मेडिकल क्लिनिक खुल सकते हैं। उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग और अन्य तरह के सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा। हालांकि कंटेनमेंट जोन में इसकी इजाजत नहीं होगी।

रेड जोन में कंटेनमेंट एरिया के बाहर भी कुछ गतिविधियों पर पाबंदी रहेगी। इसमें साइकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, टैक्सी, एक जिले से दूसरे जिले में चलने वाली बसें, स्पा और सैलून बंद रहेंगे।

मगर पूरे देश में हवाई जहाज़, रेल, मेट्रो और दूसरे राज्यों में सड़क मार्ग से आवाजाही पर रोक जारी रहेगी।

जबकि विशेष उद्देश्यों के लिए गृह मंत्रालय की अनुमति से सड़क, रेल और वायु मार्ग के इस्तेमाल की अनुमति होगी।

सभी शिक्षण संस्थान,ट्रेनिंग व कोचिंग संस्थान और ऐसी सभी जगहें बंद रहेंगी जहाँ ज़्यादा लोग जुट सकते हैं।

गृह मंत्रालय ने साथ ही लोगों को शाम 7 बजे से सुबह 7 बजे तक ग़ैर-ज़रूरी कामों के लिए बाहर नहीं निकलने की सलाह दी है।

उसने साथ ही 65 साल से ज़्यादा उम्र के बुज़ुर्गों और 10 साल से कम उम्र के बच्चों को भी बिना ज़रूरी काम के बाहर नहीं निकलने की हिदायत दी है।

स्पेशल ट्रेनें क्यों चलाई जा रहीं?

एक दिन पहले तक केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केवल बसों के ज़रिए ही दूसरे राज्यों में फँसे अप्रवासी मज़दूरों को लाने ले जाने की बात की थी। लेकिन अगले ही दिन, ताज़ा फैसले के मुताबिक़, रेलवे दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मज़दूरों के लिए भी स्पेशल ट्रेन चला सकती है।

इसके लिए रेल मंत्रालय एक नोडल अफ़सर तैनात करेगी, जो राज्य सरकारों के साथ मिलकर इस दिशा में काम करेगा की कैसे अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मज़दूरों को घर पहुंचाया जा सके।

गृह मंत्रालय ने इस बारे में नया ऑर्डर निकाला है. ऑर्डर में लिखा है कि रेल मंत्रालय इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए नए दिशानिर्देश जारी करेगा जिसमें टिकट बिक्री, सोशल डिस्टेंसिग और सुरक्षा के लिहाज़ से उठाए जाने वाले क़दमों की विस्तृत जानकारी होगी।

इसका मतलब साफ़ है कि घर जाने के इंतज़ार में दूसरे राज्यों में बैठे मज़दूरों से किराया भी वसूला जाएगा।

रेल मंत्रालय ने फंसे मज़दूरों के लिए चलाई जाने वाली ट्रेन का नाम ‘श्रमिक ट्रेन’ रखा है। एक मई को ऐसी छह ट्रेनें चलाई जाएंगी।

तेलंगाना से झारखंड के हटिया

अलूवा, (केरल) से भुवनेश्वर

नासिक से लखनऊ

नासिक से भोपाल

जयपुर से पटना और कोटा से हटिया

ज़ाहिर है बाकी राज्यों से भी मांग पहले से उठ रही है। वो सभी राज्य रेल मंत्रालय के संपर्क में हैं। जैसे-जैसे ट्रेन के डिब्बों और राज्यों की मंज़ूरी मिलेगी, रेलवे दूसरे राज्यों से भी लोगों को निकाल कर घर पहुंचाना शुरू करेगी।

यूजीसी के इस दिशानिर्देश में छात्र कैसे पढ़ेंगे?

लॉकडाउन के चलते पढ़ाई और शोध प्रक्रिया बुरी तरीके से प्रभावित हुई है। ऐसे में छात्र को एकेडमिक नुकसान से बचाने और उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए यूजीसी यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने विशेषज्ञों की एक समिति बनाई थी। समिति की अनुशंसा के आधार पर विश्वविद्यालय के एकेडमिक कैलेंडर और परीक्षाओं के लिए यूजीसी ने ये दिशानिर्देश जारी किए हैं। ये प्रावधान केवल चालू शैक्षणिक सत्र (2019-20) के लिए COVID-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए किए गए हैं।

दिशानिर्देश के तहत अब वे जुलाई (1जुलाई से 31 जुलाई तक के बीच) में परीक्षाएं करा सकेंगे। हालांकि सबसे पहले (1-15 जुलाई तक) फाइनल सेमेस्टर के छात्रों की परीक्षाएं होंगी। बाद में दूसरे सेमेस्टरों की परीक्षाएं (16-31 जुलाई तक) कराई जाएंगी। इस तरह नए शैक्षणिक सत्र की पढ़ाई भी अगस्त से शुरू हो जाएगी। हालांकि विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाले नए छात्रों की कक्षाएं सितंबर से (1 सितंबर से) होंगी। जबकि पुराने छात्रों  (2nd, 3rd year) के लिए 1 अगस्त 2020 से शुरू किया जा सकता है।

लेकिन इसका फैसला सभी बोर्डो के परीक्षा परिणामों पर निर्भर करेगा। जिसके चलते विश्वविद्यालय इसे आगे-पीछे भी कर सकेंगे।

ऑनलाइन लर्निंग, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 1 जून से 15 जून 2020 तक सिलेबस, प्रोजेक्ट वर्क, रिसर्च वर्क, इंटर्नल टेस्ट आदि पूरे कर लिए जाएं।

फाइनल ईयर/सेमेस्टर स्टूडेंट्स के नतीजे 31 जुलाई तक आ जाएंगे, जबकि बाकी के नतीजे 14 अगस्त तक जारी किए जा सकते हैं।

परीक्षा के संबंध में

अपने नियमों, परीक्षा की योजनाओं और सोशल डिस्टेंशिंग के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय ग्रेजुएशन/मास्टर्स की परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं. विश्वविद्यालय अपने पास उपलब्ध संसाधनों के जरिए ऑनलाइन/ऑफलाइन एग्जाम करवा सकते हैं.

कम समय में परीक्षा की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए विश्वविद्यालय वैकल्पिक और सरल तरीके अपना सकते हैं. परीक्षा के समय को 3 घंटे की बजाय 2 घंटे किया जा सकता है।

विश्वविद्यालय इस बात को सुनिश्चित करें कि परीक्षा में सभी छात्रों को उचित अवसर मिले। इसलिए विश्वविद्यालय अपनी तैयारी का स्तर, छात्र की आवासीय स्थिति, COVID-19 के फैलाव का आकलन करने के बाद ही परीक्षा आयोजित कराने को लेकर फैसला करें।

अगर स्थिति सामान्य नहीं दिखाई देती है तो छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इंटर्नल टेस्ट के आधार पर 50 प्रतिशत अंक दिए जा सकते हैं। बाकी के 50 प्रतिशत अंक पिछले सेमेस्टर में प्रदर्शन के आधार पर दिए जा सकते हैं।

जहां पिछले सेमेस्टर के अंक उपलब्ध नहीं हैं (जैसे फर्स्ट ईयर स्टूडेंट्स) वहां इंटर्नल परीक्षा के आधार पर 100 प्रतिशत मूल्यांकन किया जाए।

अगर किसी छात्र को लगता है कि उसे कम नंबर मिले हैं तो वह अगले समेस्टर में फिर से एग्जाम देकर अपने नंबर सुधार सकता है।

लॉकडाउन के दौरान सभी छात्रों को उपस्थित माना जा सकता है।

रिसर्च प्रोजेक्ट्स में लगे ग्रेजुएशन/मास्टर्स के छात्र को लैब या फील्ड के बजाय डेटा या सॉफ्टवेयर बेस्ड प्रोजेक्ट्स दिए जा सकते हैं।

यूनिवर्सिटी स्काइप या दूसरे ऐप्स के जरिए वाइवा और प्रैक्टिकल एग्जाम करा सकती है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीएचडी और एमफिल के छात्रों का वाइवा एग्जाम लिया जा सकता है।

एमफिल या पीएचडी के छात्रों को छह महीने का विस्तार दिया जा सकता है। इसके अलावा आयोग ने विश्वविद्यालयों को छह दिन का हफ्ता करने और अपने कर्मचारियों व छात्रों की लॉकडाउन के दौरान की ट्रैवल व स्टे हिस्ट्री का रिकॉर्ड रखने का सुझाव भी दिया है।

एग्जाम और एकेडमिक गतिविधियों से संबंधित छात्रों की शिकायतों को दूर करने के लिए एक COVID-19 सेल सभी विश्वविद्यालयों में बनाई जाएगी। विवि इसके बारे में छात्रों तक प्रभावी तरीके से सूचना पहुंचाएगी। इसके लिए एक हेल्पलाइन भी जारी किया जाएगा।

कोरोना संक्रमण और मौतों पर देश व पूरे विश्व के आंकड़ों पर एक नजर

देशभर में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 35365 कुल संक्रमण के मामले अब तक सामने आए हैं। 1152 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। जबकि इस संक्रमण से 9064 लोग पूरी तरह ठीक हो चुके हैं। पूरे विश्व में 185 देशों में अब तक 32 लाख 67 हजार 867 कोरोना संक्रमण के मामले सामने है। 2 लाख 33 हजार 560 लोगों की मौत हो चुकी है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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