जब सरकारी कर्मचारियों की छंटनी हो रही हो ,
दिनोंदिन
चुपचाप
बिना कोई शोर
जब सरकारी कम्पनियां बंद कराई जा रही हैं जबरन
मुनाफे के बावजूद ,
दिनोदिन
चुपचाप
बिना कोई शोर
और
दूसरी ओर ठीक
इसी समय
कॉर्पोरेट कर में छूट !
लूट नही तो क्या है ?
कांवड़ की आड़ में
गंगा की किवाड़ में
अच्छे दिन की बाढ़ में
पूंजीवाद की आषाढ़ में …
बह मत जाना
कह मत जाना
कि
हम इसके खिलाफ हैं …
हम देशी हैं साहब
अपने ही देश मे …
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