15 दिसंबर को केंद्रीय कैबिनेट में विवाह से जुड़े एक बिल को मंजूरी मिल गई है। ये बिल लड़कियों की शादी की उम्र से जुड़ा है, इस बिल में लड़कों और लड़कियों की उम्र एक समान करने की बात की गई है। जैसे कि लड़कों की वर्तमान में लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष है और लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष है, और इस बिल में लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 21 करने की बात की गई है। इस बिल में सभी धर्म और वर्ग की लड़कियों की न्यूनतम उम्र बदलने की बात की गई है।
आगे सरकार क्या करेगी?
सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006, में एक संशोधन पेश करेगी और इसके परिणामस्वरूप विशेष विवाह अधिनियम और व्यक्तिगत कानूनों में संशोधन लाएगी।
किसके कहने पर ये बिल लाया गया?
लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र को तह करने के लिए एक टास्क फ़ोर्स बनाई गई थी, जिसमें 10 सदस्य थे, इसने दिसंबर साल 2020 में नीति आयोग को अपनी रिपोर्ट दी थी, जिसमें लड़कियों की उम्र 18 से बढ़कर 21 करने की रिपोर्ट दी थी और साथ ही लड़कियों की उम्र सभी धर्म और वर्गों पर लागू करने की बात भी कही गयी है।
किस आधार पर ये रिपोर्ट बनाई गई?
द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी खबर में लड़कियों की शादी की उम्र तह करने वाली टास्क फोर्स की प्रमुख जया जेटली ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि “मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि सिफारिश के पीछे हमारा तर्क कभी भी जनसंख्या नियंत्रण का नहीं था। एनएफएचएस 5 (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण) द्वारा जारी हालिया आंकड़ों ने पहले ही दिखाया है कि कुल प्रजनन दर घट रही है और जनसंख्या नियंत्रण में है। इसके पीछे का विचार (सिफारिश) महिलाओं का सशक्तिकरण है।” उन्होंने कहा की ये रिपोर्ट विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श और अधिक महत्वपूर्ण रूप से युवा वयस्कों, विशेष रूप से युवा महिलाओं के साथ बात करने के बाद बनाई गई है, क्योंकि ये निर्णय उन पर सीधा प्रभाव डालता है। वो आगे कहती हैं कि “हमें 16 विश्वविद्यालयों से प्रतिक्रिया मिली है जो 15 से अधिक NGOs जुड़ी है जो युवा लोगों तक पहुँचने के लिए है, विशेष रूप से ग्रामीण और हाशिए के समुदायों में, जैसे कि राजस्थान के विशेष जिलों में जहाँ बाल विवाह काफी प्रचलित है। सभी धर्मों और शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से समान रूप से फीडबैक लिया गया।” उन्होंने आगे कहा कि उन्हें युवा वयस्कों से प्रतिक्रिया यह मिली कि विवाह की आयु 22-23 वर्ष होनी चाहिए “कुछ हलकों से आपत्तियां आई हैं, लेकिन हमने महसूस किया कि लक्षित समूह द्वारा निर्देशित होना अधिक महत्वपूर्ण था।”
क्या कहती है राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट?
एनएफएचएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में राष्ट्रीय प्रजनन दर 2.2 से कम हो कर 2.0 तक पहुंच गई है। ऐसा पहली बार हुआ है कि देश की प्रजनन दर में इतनी कमी आयी हो। ऐसी संभावना भी कम है कि भविष्य में जनसंख्या विस्फोट होगा।
इसकी शुरुआत किसने की?
साल 2020 में स्वंत्रता दिवस के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर बात की थी, जिसमें उन्होंने लड़कियों को कुपोषण से बचाने के लिये उनकी शादी सही समय पर होने की बात कही थी।
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