कृषि प्रधान देश में किसानों का ही कोई मूल्य नहीं रह गया है। ऐसा वक्त देश में कभी नहीं आया कि देश के अन्नदाता को कीड़े मकोड़े की तरह कुचल दिया गया हो। देशभर के किसान तीनों कृषि कानूनों को रद करने की मांग कर रहे हैं और गांव गांव जाकर सरकार के बनाए तीनों कृषि कानूनों से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को बता रहे हैं।
3 अक्टूबर को क्या हुआ था?
दरअसल 3 अक्टूबर को यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को एक कार्यक्रम के शिलान्याय करने के लिए जाना था। ऐसा बताया गया कि उपमुख्यमंत्री हैलीकोप्टर से लखीमपुर के तिकुनिया पहुंचेंगे तो किसानों का जत्था अपनी बात रखने के लिए शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराने तिकुनिया में पहुंच गए और वहां पर हैलीपेड कब्जा कर लिया। किसानों में कृषि कानूनों को लेकर काफी नाराजगी है दूसरा ये कि सरकार को किसी भी चीज का कोई असर नहीं पड़ रहा इसलिए किसान तिकुनिया में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने लगे। जब वे किसान प्रदर्शन करके वापस घर लौट रहे थे तो पीछे से तीन गाड़ियां किसानों को बुरी तरह रौंदते हुए निकल जाती है।
इस घटना की कई वीडियो वायरल हुई जिसमें पता चला कि किस तरह से बेरहमी से किसानों को कुचल दिया जाता है। उन वीडियों में चिखने की आवाजें आ रही हैं। एकदम से अफरा तफरी जैसा माहौल हो गया था। इस घटना में लगभग चार किसान मारे गये और कई किसान घायल हो गये। उन्हीं में शामिल थे पत्रकार रमन कश्यप जिनकी इसी हादसे में मौत हो गई।
कैसे हुआ इतना बड़ा हादसा?
शुरूआत में तो सिर्फ इतना ही पता चल पाया था कि जिन गाड़ियों ने किसानों को कुचला है उसमें बीजेपी के नेता सवार थे। ये मामला तेजी से गरमाता गया क्योंकि एक मंत्री के बेटे ने 4 लोगों को बुरी तरह से रौंद दिया था। किसानों के साथ इतना बुरा होगा शायद खुद किसानों ने भी नहीं सोचा होगा। दरअसल उस गाड़ी में यूपी के केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सवार थे। फोरम4 से बात करते हुए एक शख्स ने बताया कि मृतक गुरविंदर सिंह और पत्रकार रमन सिंह को गोली भी लगी है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है पर किसानों का कहना है कि वहां गोली चली है। मृतक गुरविंदर सिंह का शव दोबारा पोस्टमार्टम के लिए भी भेजा गया था जिसमें गोली नहीं पाई गई। लोगों ने कहा कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। जो लोग दोषी है चाहे सरकार हो या किसान हो उनको तत्काल गिरफ्तार करना चाहिए।
पत्रकार रमन कश्यप के पिता से बीतचीत
पत्रकार रमन कश्यप के पिता ने फोरम4 को बताया कि उन्हें उनके बेटे की मौत के बारे में 10 से 12 घंटे के बाद पता चला था। तब रमन कश्यप के पिता वहां पहुंचे। उन्होंने बताया कि सिर पर जो चोट लगी थी वो गाड़ी की ठोकर से लगी थी। हाथों और पैरों में सड़क की रगड़ लगी हुई थी। रमन के पिता ने बताया कि गोली नहीं लगी है गाड़ी से टकराने से चोटे आई हैं उसी से रमन की मौत हुई है।
विपक्षी पार्टियों ने उठाए सवाल
सरकार औऱ गोदी मीडिया इन किसानों को उपद्रवी बताने लगी। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा कह रहे हैं कि मेरा बेटा कहीं नहीं गया, वो शहपुरा में अपनी कोठी में है। आपको विश्वास नहीं है तो लखीमपुर चलो। दूसरे राजनीतिक दल होते तो जितने बड़े पद पर मैं हूं उनके बेटे के ख़िलाफ़ FIR भी दर्ज़ नहीं होती। हम मामले में FIR दर्ज़ करेंगे और कार्रवाई भी करेंगे। विपक्ष ने केंद्र सरकार पर हल्ला बोल दिया है। लगातार विपक्षी पार्टियां इस मामले में सवाल कर रही थी कि मंत्री का बेटा है इसलिए उनको हर तरीके से बचाय़ा जा रहा है। प्रियंका गांधी, संजय सिंह और तमाम किसान नेता घटना के तुरंत बाद लखीमपुर के लिए रवाना हो गए थे। यूपी पुलिस ने कई किसान नेता समेत विपक्ष के नेताओं को हिरासत मे ले लिया था। प्रियंका गांधी, संजय सिंह, गुरनाम सिंह चढूनी को बीच रास्ते में ही रोक लिया गया था प्रियंका गांधी को तो 60 घंटे से ज्यादा हिरासत में रखा गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार
अब इतनी मशक्कत के बाद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशिष मिश्रा पर एफआईआर दर्ज कर पुलिस स्टेशन आने की गुजारिश की थी। जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। क्या हत्या के आरोपियों को पुलिस नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाती है? सीजेआई ने पूछा है कि अब तक हत्यारोपित को हिरासत में किस आधार पर नहीं लिया गया? आशीष मिश्रा को नोटिस भेजे जाने के मामले में कोर्ट ने टिप्पणी की कि जिस व्यक्ति पर मौत या गोली से घायल करने का आरोप है, उसके साथ इस देश में इस तरह का व्यवहार किया जाएगा? कोर्ट ने कहा कि आठ लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई, इस मामले में सभी आरोपियों के लिए कानून एक समान है। कोर्ट ने कहा कि हमें उम्मीद है कि राज्य सरकार इस गंभीर मामले में जरूरी कदम उठाएगी।
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