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यूपी में पुलिस बर्बरता- ‘सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एसआईटी जांच कराने की मांग’

तस्वीर- गूगल साभार

नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध में प्रदर्शन होने पर उत्तर प्रदेश में स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। धारा 144 लागू करना और इंटरनेट बंद करने का फरमान तभी जारी हो गया था जब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, लखनऊ विश्वविद्यालय समेत यूपी के कोने कोने में प्रदर्शन होने शुरू हो गए। इसमें हिंसक घटनाएं भी सामने आईं और धीरे-धीरे तमाम लोगों की मौत की खबरें सामने आईं। इसके बाद योगी सरकार ने प्रदर्शन करने वालों पर कार्रवाई करने की धमकी दी। और साथ में शामिल लोगों की संपत्ति जब्त करने और उससे हिंसक गतिविधियों में हुए सार्वजनिक सम्पत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई करके बदला लेने की बात की। इसके बाद से पूरे यूपी में डर का माहौल है। जो हिंसक गतिविधियों में शामिल नहीं भी रहे उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया है। जिसकी अलग-अलग जिलों में तमाम आंकड़े सामने आए हैं। विपक्षी पार्टियां समाजवादी पार्टी, कांग्रेस को भी यूपी में किसी तरह के प्रदर्शन और इसमें भाग लेने के लिए भी पब्लिक से दूर रहने का प्रयास किया जा रहा है। मौत और लोगों पर हो रही पुलिस कार्यवाही से संबंधित आंकड़े सार्वजनिक पूरी तरह से नहीं किए जा रहे। साथ ही लगातार सोशल मीडिया और तमाम जगह पुलिस की ओर से और प्रदर्शनकारियों की ओर से तमाम ऐसे वीडियोज क्लिप जारी किए जा चुके हैं जिसमें कहीं लोग गोली चलाते नजर आ रहे तो कहीं पुलिस। हालांकि यूपी पुलिस के डीजीपी पुलिस की ओर से फायरिंग होने की बात को सीधे ही इन्कार कर दिया। जबकि एक जगह पुलिस ने माना कि गोली पुलिस ने चलाई। यूपी में इस तरह से हो रहे पुलिस की दमनकारी रवैये पर आम नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता और बॉलीवुड के लोग काफी चिंतित हैं और इसे काला कानून तथा आपातकाल की स्थिति बता रहे हैं।

पिछले एक हफ्ते में यूपी आंतक का गढ़ बन गया है। लोगों में भय व्याप्त है। सीएए की आड़ में यूपी सरकार पर मुस्लिमों को लक्ष्य बनाकर कार्यवाही करने का आरोप भी लग रहा है। लोगों का आरोप है कि किसी भी प्रकार का कानून न होने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर संविधान की धज्जियां भी लगातार उड़ती नजर आ रही हैं।  यहां तक कि तमाम मानवाधिकार कार्यकर्ता, पत्रकारों, वकीलों को हिरासत में भी लिया गया है। और इसके बाद अवैध तरीके से पुलिस और प्रशासन कार्यवाही करते भी नजर आ रही है।

सीपीआई(एमएल) की पोलित ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन, स्वराज इंडिया के प्रमुख योगेंद्र यादव, सामाजिक कार्यकर्ता हर्श मंदर और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के फाउंडर नदीम खान मेरठ से एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट के साथ लौटे हैं। पीप्लस यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स के बैनर तले राधिका व हरीश धवन ने जामिया में पुलिसिया बर्बरता पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है, साथ ही उन्होंने कहा है कि जो पुलिस कर्मी इसमें शामिल थे उन्हें जामिया पुलिस थाने व आस-पास के थानों से हटाया जाए ताकि छात्र उस दिन हुई घटना के सदमें से निकल सकें।

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बॉलीवुड अभिनेत्री स्वरा भास्कर और अभिनेता जीशान अयूब भी मौजूद थे। उन्होंने बॉलीवुड के अन्य कलाकारों का एक वीडियो और एक साझा बयान जारी करते हुए कहा कि हम यूपी में हो रही पुलिस बर्बरता की स्वतंत्र जांच की मांग करते हैं। साझा बयान में कलाकारों में अनुराग कश्यप भी शामिल हैं।

तमाम वीडियोज भी जारी हो रहे हैं, जिसमें शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर पुलिस हिरासत में ले रही है। मार रही है कहीं पीट रही है। इसके अलावा उनके ऊपर फर्जी मुकदमें भी लिखे जा रहे हैं। यूपी में पुलिस कार्यवाही के आंकड़े बहुत डरावने हैः

कानपुर– 3 मौत, 20 घायल, 13 गिरफ्तार, 729 हिरासत में, 21500 अज्ञात कार्यवाही।

बिजनौर– 2 मौत, 153 गिरफ्तार, 104 हिरासत में, 3000 अज्ञात कार्यवाही।

मुजफ्फरनगर– 72 गिरफ्तार, 262 नामजद, 3000 अज्ञात कार्यवाही।

गोरखपुर– 26 गिरफ्तार, 36 नामजद, 1000 से ज्यादा अज्ञात बुक्ड, 60 से ज्यादा हिरासत में

मेरठ-6 मौत, 43 गिरफ्तार, 172 नामजद जिनमें से 15 एफआईआर

सांभल– 2 मौत, 30 गिरफ्तार, 19 नामजद, 250 से ज्यादा अज्ञात बुक्ड

लखनऊ– 1 मौत, 1000 से ज्यादा हाउस एरेस्ट, 54 नामजद

वाराणसी– 6 मौत, 218 गिरफ्तार, 57 नामजद

रामपुर– 1 मौत, 33 गिरफ्तार, 150 नामजद

(इनमें तमाम लोगों की संपत्ति जब्त करने के लिए नोटिस भी भेजा जा रहा है। इस प्रकार 613 लोग इन 9 जिलों में गिरफ्तार हैं, 750 नामजद हैं, 28750 अज्ञात बुक्ड हैं।)

इन जगहों पर पुलिस की क्रूरता और गैर कानूनी काम किए जाने का मामला सामने आया है। ये आंकड़े हम भारत के लोग मंच की ओर से जारी किए गए हैं। इस पर दिल्ली में प्रेस क्लब में बाकायदा प्रेस कॉंफ्रेंस करके जाने माने सामाजिक कार्यकर्ताओं योगेंद्र यादव, कविता कृष्णन, हर्श मंदर और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के फाउंडर नदीम खान ने जानकारी दी।

स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने यूपी पुलिस द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘ये प्रेस कॉन्फ्रेंस हम लखनऊ में कर सकते थे, लेकिन जिस तरह से वहां सामाजिक कार्यकर्ताओं और वकीलों को अरेस्ट किया जा रहा है उस हिसाब से हम अपनी रिपोर्ट भी पेश नहीं कर पाते.’

मेरठ में पुलिस की गोली से मारे गए व्यक्तियों के पीड़ित परिवारों से मिलकर लौटीं कविता कृष्णन ने कहा, ‘मेरठ में विरोध प्रदर्शनों के दौरान जो लोग पुलिस की गोली से मरे वो मजदूरी करने वाले लोग थे। कोई अपने काम से घर लौट रहा था तो कोई नमाज से। कोई भी धरनों का हिस्सा नहीं था। लेकिन पुलिस ने जिस तरह से मुसलमानों को मारने के उद्देश्य से गोलियां चलाई है वो साफ जाहिर है। इसे यूपी पुलिस का आतंक बताते हुए कहती हैं, ‘मारे गए मुसलमानों की लाशें तक उनकी पत्नियों या माओं को देखने नहीं दी गई। पुलिस ने उन्हें कहीं और दफनाने का दबाव बनाया। रातभर परिवार सोते नहीं हैं। पहरे दिए जा रहे हैं। यूपी पुलिस योगी सरकार से अवॉर्ड पाने के लिए आपसी कंपीटिशन कर रही है।’

रिपोर्ट के मुताबिक अब तक इन विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर यूपी में 613 लोग गिरफ्तार हैं। साथ ही हजारों अज्ञात लोगों पर एफआईआर हो चुकी हैं। उनका आरोप है कि पीड़ित परिवारों को पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट्स तक नहीं दी जा रही हैं. साथ ही रिपोर्ट में बताया गया है कि हिरासत में लिए गए लोगों को पुलिस द्वारा टॉर्चर भी किया गया है।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्य मांगे उठाई गई हैं जो हैं-राज्य द्वारा प्रायोजित आतंक को समाप्त किया जाए। बेगुनाहों को रिलीज किया जाए और गुमनाम आरोपियों के खिलाफ एफआईआर रद्द हो।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस पूरे मामले की स्वतंत्र कानूनी जांच हो, जिससे प्रदर्शन, हिंसा, पुलिस कार्रवाई और मौत के सही कारणों के बारे में जानकारी मिल सके।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग इस पूरे मामले को स्वत: संज्ञान ले, अल्पसंख्यकों पर हुए पुलिस हमले की भी जांच हो और दोषी पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया जाए, जो मारे गए या गंभीर रूप से घायल लोगों को मुआवजा दिया जाए।

शांतिपूर्वक प्रदर्शन की इजाजत दी जाए और पीएम मोदी आश्वासन दें कि देश में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा और एनआरसी को एनपीआर से लिंक नहीं किया जाएगा।

योगेंद्र यादव ने पुलिसिया कार्रवाई को आपातकाल की स्थिति से जोड़ते हुए कहा कि जो कुछ हो रहा है वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उत्तर प्रदेश में किसी भी शांति पूर्वक प्रदर्शन की इजाजत नहीं दी गई और हिंसा होने से रोक सकने वाले लोगों को भी पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया। एक तो सीएए के खिलाफ प्रर्दशन नहीं करने दिया फिर बिना वॉर्निंग के फायरिंग की गई, फायरिंग करने से पहले पुलिस ने ही लाठीचार्ज किया, ना ही आंसू गैस चलाई, ना ही वॉटर कैनन इस्तेमाल किया। सीधे लोगों के ऊपरी हिस्सों पर गोलियां बरसाई गईं।’

उनका कहना है कि पुलिस अपने बचाव में कहीं पर गोलियां चलाते हुए नहीं दिखती है। ज्यादातर भागते लोगों को गोलियां लगी हैं। पुलिस को खतरे से बचने के लिए अपना बचाव करने का हक है कि लेकिन आम लोगों को इस तरह मारने का हक नहीं।

इस दौरान उन्होंने आर्मी चीफ बिपिन रावत के एक बयान के सवाल पर कहा, ‘पहले तो हमारा देश पाकिस्तान या बांग्लादेश नहीं है कि आर्मी चीफ देश की राजनीति पर टिप्पणी करें। लेकिन, अगर उन्होंने कर ही दी है तो मैं उनकी बात से सहमत हूं कि लीडरशिप जनता को गलत दिशा में नहीं ले जाती है, लगता है कि वो ये बात देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कह रहे हैं।’

दिल्ली के मुखर्जी नगर में छात्रों को पीजी खाली करने और पुलिस के मौखिक आदेश पर टिप्पणी करते हुए योगेंद्र यादव ने बताया कि देश में आपातकाल की स्थिति पैदा की गई है। मौखिक आदेश से पुलिस काम कर रही है। कोचिंग बंद करने का शौक उनके मालिकों को नहीं है। बिना आदेश के ऐसा नहीं हो रहा। साफ है कि पुलिस ने डर का माहौल पैदा किया है।

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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