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यूपी में पत्रकारों ने ‘जल सत्याग्रह’ के जरिए मांगा इंसाफ, प्रशासन ने कराई थी एफआईआर

उत्तर प्रदेश में पत्रकारों के उत्पीड़न के ऐसे कई मामले अब तक सामने आ चुके हैं। पत्रकार लगातार इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तमाम आरोप लगाते रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में कोरोना संकट और लॉकडाउन के दौरान सरकार के ख़ास निशाने पर सोशल मीडिया है। अब तक यूपी में सोशल मीडिया पर फ़ेक न्यूज़ फैलाने के आरोप में 1389 मामलों में कार्रवाई की है। सोशल मीडिया पर जारी ख़बरों को संज्ञान में लेते हुए अब तक प्रदेश सरकार 50 एफ़आईआर दर्ज करवा चुकी है।

ऐसा ही एक मामला है उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के जिला पत्रकार एसोसिएशन प्रमुख अजय भदौरिया और विवेक मिश्रा के उत्पीड़न का। आलोचनात्मक रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए स्थानीय प्रशासन ने इन दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दिया था। बताया जा रहा है कि भदौरिया ने विजयपुर में चलने वाली एक सामुदायिक रसोई के खिलाफ ट्वीट कर दिया था जबकि मिश्रा ने फतेहपुर के गौ शाला में जारी अनियमितताओं पर रिपोर्ट लिखी थी। भदौरिया के खिलाफ प्रशासन ने बीती 13 मई को एफआईआर दर्ज करा दिया। स्थानीय पत्रकारों ने प्रशासन से एफआईआर वापस लेने की मांग की, लेकिन जब प्रशासन अपने पर अड़ा रहा तो रविवार को दिनभर जिले भर के पत्रकार अलग-अलग जगहों पर गंगा और यमुना नदी में उतरकर इसके विरोध में जल सत्याग्रह करने उतर गए। पत्रकारों ने सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए अपना विरोध दर्ज कराया। बता दें कि इससे पहले स्थानीय पत्रकारों ने 30 मई यानी हिंदी पत्रकारिता दिवस को ‘काले दिवस’ के रूप में मनाकर भी अपना विरोध दर्ज कराया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 54 वर्षीय अजय भदौरिया बीते 30 सालों से पत्रकारिता कर रहे हैं। भदौरिया पर राजस्व निरीक्षक पद पर तैनात भालचंद्र नाम के सरकारी कर्मचारी ने भारतीय दंड संहिता ( आईपीसी ) की धारा 188, 269, 270, 120-B, 385, 505 (2) और महामारी अधिनियम 1897 के तहत मामला दर्ज कराया है। यह एफआईआर अजय भदौरिया द्वारा किए गए एक ट्वीट के आधार पर किया गया है। एफआईआर में लिखा गया है कि अजय भदौरिया ने ट्विटर पर एक फर्जी खबर चला दिया कि फतेहपुर में कम्यूनिटी किचन बंद हो गया है। जबकि कम्यूनिटी किचन कभी बंद नहीं हुआ और उससे लगातार सुबह-शाम भोजन की सप्लाई दी जा रही है। अजय भदौरिया द्वारा फैलाई गई इस झूठी ख़बर से आज क्वारंटीन सेंटरों के लोगों ने जल्दी-जल्दी खाना पाने के लिए एक-दूसरे से धक्का मुक्की करने लगे, जिससे अफरा तफरी और भगदड़ मच गई एंव महामारी फैलने की संभावना प्रबल हो गई।

न्यूजलॉंड्री की खबर के मुताबिक, एफआईआर में दूसरा आरोप भदौरिया पर लगाया गया कि ये एक संगठित गिरोह बनाकर अवैध वसूली करते हैं। जो लोग इन्हें पैसा नहीं देते उनके खिलाफ इसी प्रकार की असत्य खबरें निकालकर शासन की छवि धूमिल करते हैं।

इस बीच, कांग्रेस महासचिव और यूपी की इंचार्ज प्रियंका गांधी ने पत्रकारों के जल सत्याग्रह की तस्वीर को ट्वीट कर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट में कहा कि “पत्रकार साथियों ने आपदा के दौर में कोरोना से जुड़ी अव्यवस्थाओं को उजागर कर सकारात्मक हस्तक्षेप किया। हैरानी की बात है कि यूपी सरकार के प्रशासन ने फतेहपुर में पत्रकारों पर उनका कर्म करने के लिए मुकदमा कर दिया। पत्रकार सत्याग्रह कर रहे हैं। सरकार सच्चाई से डर क्यों रही है”?

खबर की मानें तो एफआईआर में लिखा है कि भदौरिया ने ‘ट्विटर पर एक फर्जी खबर चला दिया कि फतेहपुर में कम्यूनिटी किचन बंद हो गया है, जिसके बाद यहां अफरा-तफरी का माहौल हो गया। लेकिन यह अपने आप में भ्रामक बात है। न्यूजलॉन्ड्री ने लिखा है कि उसके पास अजय भदौरिया द्वारा 12 मई को किया गया वह ट्वीट है, जिसमें वो कम्यूनिटी सेंटर बंद होने की बात कह रहे हैं। लेकिन उनके ट्वीट का सदर तहसील के कम्यूनिटी किचन से कुछ लेना देना नहीं था।

भदौरिया पर एफआईआर दर्ज कराने वाले सदर तहसील स्थित कम्यूनिटी किचन के प्रमुख भालचंद्र से न्यूजलांड्री ने जब बात की तो उन्होंने स्वीकार किया कि ‘‘अधिकारियों ने ऊपर से कहा की एफआईआर दर्ज कराओ तो मैंने करा दिया.’’

रिपोर्ट के मुताबिक विवेक मिश्रा ने बताया है कि  ‘‘दिसम्बर में मैंने रिपोर्ट किया था कि यहां के गौशाला में गायों को कुत्ते नोचकर खा रहे हैं. खबर में तस्वीर भी थी. जिलाधिकारी ने कई अलग-अलग धाराओं में मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया. उसमें यह भी आरोप लगा दिया कि मैंने धार्मिक उन्माद फ़ैलाने की कोशिश किया। गोशालाओं में कुत्ते गायों को नोचकर खा रहे थे ये लिखने से धार्मिक उन्माद कैसे फ़ैल गया है। हालांकि मुझे अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया लेकिन खबरों पर मुकदमे होने लगे तो हर रोज हम पर मुकदमे ही होंगे। हम हर रोज खबरें लिखते हैं। खबरों पर नोटिस दी जाती है।’’

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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