चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस आज दुनियाभर में बहुत बड़ी परेशानी का सबब बन चुका है। कोरोना का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। विश्व में सबसे अधिक कोरोना के मामले अमेरिका में हैं। यहां 1 करोड़ 19 लाख से अधिक मामले अब तक आ चुके हैं इनमें से 2.5 लाख से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। भारत अमेरिका के बाद सबसे अधिक कोरोना के मामलों के तौर पर जाना जा रहा है। भारत में अब तक 90 लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं जबकि 1.32 लाख लोग मारे जा चुके हैं। आंकड़ों को छोड़ दें तो भी भारत की जनसंख्या और यहां की अर्थव्यवस्था की हालात कोरोना वायरस संक्रमण को फैलाने के लिए कम जिम्मेदार नहीं है। भारत में कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं हैं। इसलिए ही भारत में एक बार फिर से लॉकडाउन लगाने की बात हो रही है। लोग भयभीत और त्रस्त नजर आ रहे हैं।
आखिर मिनी लॉकडाउन की ओर भारत क्यों?
आपको मालूम हो कि कोरोना की रोकथाम के लिए मार्च में लॉकडाउन लगाया गया था, जिसके बाद लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। एक ही रात में सब कुछ बंद हो गया जो जहां था वो वहीं फंस गया था क्योंकि सरकार ने आने जाने के सभी साधन से लेकर घर से बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगा दी गई थी। राशन लेने के लिए दुकानों पर भीड़ लग गई थी। पहले केवल एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया लगा था कोरोना वायरस को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने जनता कर्फ्यू को 15 दिन के लॉकडाउन में बदल दिया और ये लॉकडाउन 3 महीने तक रहा। 3 महीने तक सब कुछ लॉकडाउन रहने के बाद देश की अर्थव्यवस्था की हालात गंभीर हो गए थे। जीडीपी डाउन हो चुकी थी। लोग परेशान हो गये थे खाने पीने की सामान मिलना मुश्किल हो गया था सबसे ज्यादा लॉकडाउन की मार गरीब, मजदूर वर्ग और सड़को पर रात गुजारने को मजबूर आदमी पर पड़ी। इनके पास न रहने का ठिकाना ओर न ही खाने का कोई बंदोबस्त। ऐसे में मजदूर शहरों से पलायन करने को मजबूर हो गये। हजारों किलोमीटर का सफर पैदल करके घर पहुचें तो कुछ लोग भूख, प्यास से अपनी जान गवां बैठे और कुछ सड़क दुर्घटना का शिकार हो गये। सरकार पर दबाव बना तो कुछ स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम कर मजदूरों को उनके राज्य पहुंचाया गया। जून में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई। 8 जून को अनलॉक 1.0 में केंद्र ने शॉपिंग मॉल्स, होटल रेस्टोरेंट खोलने की इजाजत दी। उसके बाद अनलॉक 2.0 प्रक्रिया 1 जुलाई से शुरू हुई जिसमें कंटेनमेंट जोन जिन इलाकों को घोषित किया गया है वहां कर्फ्यू जारी रहेगा। इसके बाद अनलॉक 3.0, अनलॉक 4.0, अनलॉक 5.0 और अब 1 नवंबर से अनलॉक 6.0 का गाइडलाइंस जारी हो गई थी। इसमें कहीं भी जैसे कि शादी समारोह या फिर राजनैतिक रैलियों में सिर्फ 200 लोगों को इक्ट्ठा होने की अनुमति दी गई थी। साथ ही मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को कहा गया था। लेकिन अब हर तरह से सरकार की ओर से छूट देने के बाद फिर से कोरोना को लेकर लोगों में चिंता और गंभीरता आई है क्योंकि कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। त्योहारों पर बाजारों में अधिक भीड़ देखने को मिली थी। इसके बाद अब फिर से राज्य का सरकारें आंशिक लॉकडाउन या मिनी लॉकडाउन लगाने का निर्णय ले रही हैं।
भारत में कौन से राज्यों में क्या तैयारियां?
कोरोना संक्रमण को अब दूसरी लहर के रूप में देखा जा रहा है। इसे लेकर अब राज्यों की ओर से तैयारियां की जा रही हैं। विश्व में यूरोप और अमेरिका इसको लेकर बेबस पड़ गए हैं। अमेरिका के साथ मैक्सिको में बहुत मौतें हो रही हैं। वहीं भारत में भी अन्य राज्यों के आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोना वायरस महामारी की यह दूसरी लहर है। राजधानी दिल्ली में एक दिन में सर्वाधिक मौतौं का आंकड़ा यहां के सीएम अरविंद केजरीवाल को दोबारा से प्रेस कांफ्रेंस करने को मजबूर कर दिए हैं। चाहे इसे कई राज्य अपने अनुसार दूसरा या तीसरा लहर मानकर चलें लेकिन राज्यों के पास लॉकडाउन लगाने के अलावा अन्य विकल्प नजर नहीं आ रहे हैं। हालांकि अर्थव्यवस्था की हालात को देखते हुए दोबारा से लॉकडाउन लगाने से कई मख्यमंत्री मना कर रहे हैं।
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने कहा कि उनकी सरकार राज्यव्यापी लॉकडाउन पर विचार नहीं कर रही है। वहीं कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के बाद अहमदाबाद शहर में 57 घंटे के कर्फ्यू लगाया गया है। गुजरात के अहमदाबाद के साथ ही मध्य प्रदेश के पांच शहरों में नाइट कर्फ्यू लगाने का ऐलान किया गया है। वहीं कुछ राज्यों में स्कूल और बाजार बंद करने का फैसला लिया गया है। मध्य प्रदेश के पांच जिलें भोपाल, इंदौर, विदिशा, रतलाम और ग्वालियर में शनिवार को रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक का नाइट कर्फ्यू रहेगा। हरियाणा सरकार ने पिछले महीने स्कूलों को खोलने का फैसला किया था। लेकिन, हरियाणा के कई स्कूलों में छात्र कोरोना से संक्रमित हो गये हैं जिसको लेकर शिक्षा विभाग ने इस संदर्भ में निर्देश जारी किए हैं हरियाणा के स्कूलों में छात्रों की कोरोना की जांच की गई, जिसमें 300 से ज्यादा छात्र कोरोना संक्रमित पाए गए थे। राज्य सरकार ने 30 नवंबर तक के लिए सभी स्कूल बंद कर दिए गए हैं।
वहीं कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में भी अब 31 दिसंबर स्कूल बंद रहेंगे। राजस्थान की राज्य सरकार ने सूबे के सभी जिलाधिकारियों को 21 नवंबर से धारा-144 लगाने की सलाह दी है।
देश की राजधानी दिल्ली में भी नियम सख्त होते जो रहे हैं। पहले मास्क न लगाने पर 500 रुपये का जुर्माना लगता था पर अब ये जुर्माना 2000 रुपये कर दिया गया है। यहां तक की क्वारंटीन नियमों का उल्लंघन करना, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन ना करना, सार्वजनिक स्थानों पर थूकना, सार्वजनिक स्थानों पर पान गुटखा और तंबाकू का सेवन करना पर भी 2000 रुपये का जुर्माना लगेगा।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि लॉकडाउन से कोरोना खत्म नहीं हो सकता है। लॉकडाउन से कोरोना संक्रमण को तेजी से फैलने में देरी हो सकती है, जिस दिन सबकुछ खुलेगा उस दिन से वह फिर तेजी से बढ़ेगा। दिल्ली में लॉकडाउन के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी दिल्ली को चिंता करने की जरूरत नहीं है। हमारे पास अभी भी 7500 कोविड बेड, 450 आईसीयू बेड खाली है। उन्होंने कहा कि महामारी मारी में हमें दो बात का ध्यान रखना है। पहला कोरोना से बचाना है दूसरा अर्थव्यवस्था को भी बचाना है। क्योंकि लोगों की हालत बेहद खराब है।
इस तरह से हम देख सकते हैं। सरकारें केवल कोरोना वायरस के फैलने से बचने के जतन के रूप में धारा-144, मास्क पहनने, कम समय के लिए कर्फ्यू आदि को लेकर सख्त नजर आ रही हैं।
लॉकडाउन और कोरोना को लेकर कितनी गंभीर है सरकार?
समय-समय पर यह सवाल उठता रहा है कि क्या सरकारें वास्तव में कोरोना वायरस न फैले, इसके लिए गंभीर हैं? हालांकि यह दिखता नजर नहीं आता क्योंकि अगर सरकारें इतनी ही गंभीर होतीं तो कोरोना वायरस के मामले इतने अधिक कैसे हो गए। बिना किसी योजना के लॉकडाउन और उसके बाद सिलसिलेवार अनलॉक की स्थिति ने कोरोना को कितना फैलने से रोका इसको लेकर सरकार भले ही दावा करती आ रही हो कि लॉकडाउन से फायदा हुआ है लेकिन कोई स्पष्ट रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है, जिससे यह दावा किया जा सकता हो कि लॉकडाउन ने कोरोना वायरस को फैलने से रोका है।
इसी तरह से हम देख सकते हैं कि सरकार ने अपने फायदे के लिए कई तैयारियों को निरस्त न करते हुए स्पष्ट रूप से खुद ही लॉकडाउन या कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए बनाए नियमों का उल्लंघन किया है। वह चाहे अयोध्या की दीवाली हो या फिर बिहार चुनाव या जगह-जगह उपचुनाव। इसमें भीड़ आदि को रोकने के उपाय असफल रहे।
क्या है ताजा स्थिति?
भारत मे अब तक कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 9,050,597 हो चुकी है। यानि संक्रमित लोगों का आंकड़ा 90 लाख 50 हजार के पार पहुंच चुका है। इनमें से 85 लाख लोग ठीक भी हो चुके हैं। देश में बीते 24 घंटे में 46 हजार नये मामले सामने आए हैं। वहीं 564 लोग कोरोना से जिंदगी की जंग हार गए। सबसे ज्यादा एक्टिव केस महाराष्ट्र में हैं। एक्टिव केस मामले में दुनिया में भारत का छठा स्थान है। कोरोना संक्रमितों की संख्या के हिसाब से भारत दुनिया का दूसरा सबसे प्रभावित देश है। मौत के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत का नंबर है।
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