नई दिल्लीः हर तरफ इस समय चीन के वुहान शहर से निकला कोरोना वायरस चर्चा का विषय बन गया है। इससे संक्रमण अब तक भारत सहित दुनिया के ज़्यादातर देशों तक पहुंच चुका है।
भारत पहली बार केरल में कोरोना संक्रमण का मामला सामने आया। शुरुआत में केरल में तीन लोगों के संक्रमित होने का पता चला था। उनके टेस्ट-रिज़ल्ट पॉज़िटिव पाए गए थे लेकिन, उन तीनों को पूरे इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई। इसके बाद से तीन और मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इन सभी को आइसोलेशन सेंटर में रखा गया है। देश की राजधानी दिल्ली में एक कोरोना से संक्रमण का मामला सामने आया है यह व्यक्ति इटली की यात्रा से आया है। एक मामला तेलंगाना में सामने आया है यह व्यक्ति दुबई से लौटा था। तीसरा मामला जयपुर में इतावली नागरिक के जांच नमूने के पॉजिटिव पाए जाने का है।
मालूम हो कि कोरोना वायरस से अब तक दुनिया में तीन हज़ार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हज़ारों की संख्या में लोग इससे संक्रमित हैं। ऐसे में भारत में भी इसे लेकर लोगों में डर है। इसके बाद से ही टीवी स्क्नीन से लेकर अखबारों तक इसको लेकर तमाम तरह की बातें की जा रही है। देश भर में इससे निपटने की तैयारियां की जा रही हैं और कोई वैक्सीन न होने के चलते इलाज का गारंटी के साथ दावा नहीं किया जा रहा है। लोगों की चिंता का कारण भी यही है कि अगर कोरोना हो जाए तो करेंगे क्या? ऐसे में सीधी सी बात है कि जिन बीमारियों का इलाज नहीं है तो उनके लिए सबसे साधारण बात प्रचलित है कि बचाव और सावधानी रखें साथ ही हिम्मत भी। आप हर बीमारी से लड़ पाएंगे।
कोरोना के लक्षणों पर ये हो सकते हैं लाभकारी
अतिबला
बेहद ही सामान्य घास की तरह उगने वाला अतिबला घास का पौधा असल में बेहद असाधारण है। इतना कि इसके छाल, पत्ती, फूल, जड़ सभी गुणकारी हैं। इसका वानस्पतिक नाम एब्युटिलोन इंडीकम हैं। दक्षिण एशियाई देशों में खूब पाई जाने वाली यह घास खेतों में खरपतवार के तौर पर उगी दिखती है। इसके बीज, छाल का उपयोग बुखार उतारने में किया जाता है। पेट की जलन को दूर करने में भी उपयोग में लाया जाता हैं. पौधे के सभी अंगों को सुखाकर चूर्ण बनाते हैं और फिर शहद के साथ एक चम्मच सेवन किया जाता है। इसके सेवन से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और फिर बुखार, सर्दी-खांसी आसपास नहीं फटकेंगे। कोरोना का एक लक्षण हाई टेंपरेचर बुखार भी है।
दूब घास
घर में पूजा-पाठ हो तो पंडित जी कहते हैं दूर्वा (दूब) जरूर मंगाते हैं। शुभ कार्यों में शामिल यह खर-पतवार सायनाडोन डेक्टीलोन है। इसमें ग्लाइकोसाइड, अल्केलाइड, विटामिन ‘ए’ और विटामिन ‘सी’ की पर्याप्त मात्रा पायी जाती है। इसका प्रतिदिन सेवन शारीरिक स्फूर्ति प्रदान करता है और शरीर को थकान महसूस नहीं होती है, आधुनिक विज्ञान के अनुसार भी दूबघास एक शक्तिवर्द्धक औषधि है. कोरोना का एक लक्षण है कि वह बीमार व्यक्ति को थका डालता है और कमजोर बनाता है। चिंता मत कीजिए, ऐसे कोई भी लक्षण दिखें तो दूब घास का सेवन कर सकते हैं।
द्रोणपुष्पी
खेत की मेड़, खाली मैदान, नमी वाले स्थान नीले-सफेद फूल खिलाने वाली यह घास वास्तव में द्रोणाचार्य के बाणों की तरह अचूक है, द्रोण यानी प्याले (दोने) की तरह के आकार के कारण इसे द्रोणपुष्पी कहा जाता है और यही इसकी पहचान भी है। सामान्यत: बारिश के समय उगने वाला यह पौधा विज्ञान की भाषा में ल्युकास एस्पेरा कहलाता है. द्रोणपुष्पी की पत्तियों का रस (2-2) बूंद नाक में टपकाने से और इसकी पत्तियों को 1-2 काली मिर्च के साथ पीसकर इसका लेप माथे पर लगाने से सिर दर्द ठीक हो जाता है। हर्रा और बहेड़ा के फलों के चूर्ण के साथ थोड़ी मात्रा इस पौधे की पत्तियों की भी मिला ली जाए और खाँसी से ग्रस्त रोगी को दिया जाए तो काफी ज्यादा आराम मिलता है। कोरोना का लक्षणों में खांसी भी शामिल है। जब भी ऐसा लगे तो द्रोणपुष्पी खोजिए।
पुनर्नवा
जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि इस घास में नया जीवन देने का गुण है। आम बोलचाल में इसे जवानी बढ़ाने वाली बूटी कहा जाता है। खेत-खलिहान में आराम से उगती है और वनस्पति विज्ञान में बोरहाविया डिफ्यूसा कहलाती है। पुर्ननवा की ताजी जड़ों का रस (2 चम्मच) दो से तीन माह तक लगातार दूध के साथ सेवन करने से वृद्ध व्यक्ति भी युवा की तरह महसूस करता है। पुर्ननवा की जड़ों को दूध में उबालकर पिलाने से बुखार में तुरंत आराम मिलता है। लीवर (यकृत) में सूजन आ जाने पर पुर्ननवा की जड़ (3 ग्राम) और सहजन अथवा मुनगा की छाल (4 ग्राम) लेकर पानी में उबाला जाए व रोगी को दिया जाए तो जल्दी आराम मिलता है। तो समझ लीजिए कि कोरोना के लक्षणों में क्या करना है।
ऊंटकटेरा
ऊंटकटेरा भी खेतों के आसपास दिखने वाली कंटीली घास है। इस पौधे के फलों पर चारों तरफ लंबे कांटे होते हैं। ऊंटकटेरा का वानस्पतिक नाम एकीनोप्स एकिनेटस है। इसकी जड़ की छाल का चूर्ण तैयार कर लिया जाए और चुटकी भर चूर्ण पान की पत्ती में लपेटकर खाने से लगातार चली आ रही कफ और खांसी में आराम मिलता है। ऊंटकटेरा के पौधे को उखाड़कर अच्छी तरह से धोकर छाँव में सुखा लिए जाए और फिर चूर्ण बना लिया जाए। इस चूर्ण का चुटकी भर प्रतिदिन रात को दूध में मिलाकर लेने से ताकत मिलती है और माना जाता है कि यह वीर्य को भी पुष्ठ करता है।
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