जब कोई किशोर रामभक्त अपने देशप्रेम और रक्षा के नाम पर हिंसा करने लग जाये तो गुस्सा करने की बजाय उसकी परिवरिश और उस माहौल को देखना, जानना और समझना जरूरी हो जाता है जहां भाषणों और टीवी एंकरों के जहर घोलने वाले बयानों का असर समाज पर देखा जाने लगा हो। लेकिन इस पहलू को उस रूप में भी देखा जाना चाहिए जब गांधी और गोडसे में बच्चों को गोडसे वाला ज्ञान दिया जा रहा हो।
आप इस वीडियो में देखिये…
ये वीडियो शिवम स्टूडियों नाम के एक यूट्यूब चैनल ने 11 महीने पहले डाली थी। इस वीडियो के डिस्क्रिपशन में कविता की एक पंक्ति के नीचे … चौधरी नाम लिखा हुआ है। हालांकि हम पूरे नाम की जानकारी आप को नहीं दे सकते। इससे ज्यादा जानकारी इस वीडियो के बारे में नहीं है।
पहले तमाम मंचों पर बच्चों से राष्ट्रगान कराया जाता था। एकता के संदेश दिलाये जाते थे। गांधी, भगत सिंह के बारे में बताया जाता था। देश प्रेम के गीत गाये जाते थे, लेकिन अब इन मासूम बच्चों से जहर उगलवाया जा रहा। अब तक आपने शाहीन बाग के बारे में सुना होगा कि कुछ अखबार और टीवी एंकर वहां बैठे बच्चों को जहर घोलने वाला बता रहे हैं क्योंकि उन्हें देशप्रेम के गीत उस मंच से बच्चे गाते अच्छे नहीं लग रहे हैं। वे इसे जहर घोलना बता रहे हैं लेकिन यहां इस वीडियो में एक छोटी बच्ची को अनुराग ठाकुर से पहले इस तरह का नारा रटाया गया। हो सकता है इस मासूम को जगह जगह राजनीति के लिए भी प्रयोग में लाया जा सके। हो सकता है कि ऐसे बच्चे आगे रामभक्त अपने आप को बताएं।
कई दिनों से देश में एनआरसी, सीएए और एनपीआर का विरोध हो रहा है। बीजेपी और संघ के लोग विरोध प्रदर्शन करने वालों को देशद्रोही बता रहे हैं, गद्दार बता रहे हैं। वहीं दूसरी ओर बीजेपी के केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर एक रैली में नारे लगाते हैं कि देश के गद्दारों को गोली मारो…। देश के मंत्री जब ऐसी बयानबाजी व नारे लगाएंगे तो स्वभाविक है कि जो लोग इस तरह की मानसिकता रखते हैं जाहिर है उन्हें बढ़ावा मिलेगा और आखिर जिसका डर था वही हुआ। 30 जनवरी 2020 गांधी जी की पुण्यतिथि पर एक ऐतिहासिक घटना फिर से दोहराई गई।
जामिया विश्वविद्यालय के छात्र 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर राजघाट तक सामूहिक पैदल मार्च निकालना चाहते थे। हालांकि पुलिस ने इस मार्च को निकालने की इजाजत नहीं दी थी लेकिन इससे पहले ही एक गोपाल नाम का शख्स भीड़ से निकलकर हाथ में पिस्तौल लहराते हुए बाहर निकला और जामिया के एक छात्र पर फायरिंग कर दी। गोली लगने से जामिया का छात्र घायल हो गया और पुलिस पीछे खड़े होकर हाथ पर हाथ रखकर यह सब तमाशा होते हुए देख रही थी।
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी को गोली मारकर हत्या कर दी थी। वही गांधी जो अहिंसा और सत्य में विश्वास रखते थे। जिनके विचार आज भी हमारे बीच जिंदा है। इसके बारे में कहीं भी कभी भी कोई ज्ञान नहीं दे रहा। आखिर आपके गांधी के संबंध में राय अच्छे नहीं होंगे। लेकिन उनके विचारों को आत्मसात करनवाने की कोशिश अगर स्कूल के अध्यापक और माता पिता कराएंगे तो परिवार में शांति रहेगी। देश में अमन चैन रहेगा।
आप अपने आप से सवाल कीजिये क्या आप गांधी और श्रीराम के बारे में पढ़ाएंगे या फिर उससे पहले ही अपने बच्चों को मंच से भाषण दिलाएंगे कि गोली मारो….और आप उसके पीछे खड़े होकर तालियां बजायेंगे….आज रामभक्त की भी लोग सराहना कर रहे हैं, वीरता की उपाधि दी रहे हैं क्योंकि उन्हें उस किशोर को पढ़ाने में दिलचस्पी नहीं है। उन्हें अपने राजीनीतिक हथियार के रूप में हिंसा करवाकर आतंकवादी बनाने में ज्यादा दिलचस्पी है।
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