यह किसको पता होता है कि पिता के निर्णय का असर बेटे पर इस कदर पड़ेगा कि बेटे को उसके लिए अपराधी बनना पड़ जाएगा। कश्मीर मामले को लेकर जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत नजरबंद कर दिया गया है। यह विडंबना ही है कि फारूक अब्दुल्ला उसी कानून के तहत हिरासत में हैं जिसे 1970 के दशक में उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने मंजूरी दी थी।
83 साल के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला 5 अगस्त से नजरबंद हैं, जब सरकार ने जम्मू कश्मीर पर दो बड़े फैसलों की घोषणा की थी। वहां अनुच्छेद 370 के तहत मिले विशेष दर्जे को समाप्त कर दिया गया था और जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था।
5 अगस्त 2019 जब से सरकार ने जम्मू कश्मीर से 370 और 35A हटाया है तभी से फारूक अब्दुल्ला सहित पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को नजरबंद किया गया है।
गौरतलब है कि यह पहली बार है जब पब्लिक सेफ्टी एक्ट का प्रयोग किसी पूर्व मुख्यमंत्री के लिए किया गया है। इससे पहले कई अलगाववादी नेताओं को भी इसका प्रयोग कर गिरफ्तार किया जाता रहा है।
श्रीनगर के लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला पर कानून की उस धारा के तहत आरोप लगाया गया है, जो सार्वजनिक अव्यवस्था से संबंधित है। इसका अर्थ है बिना किसी मुकदमे के तीन महीने से एक वर्ष तक हिरासत में रहना। श्रीनगर में उनके आवास को ही ‘जेल’ घोषित कर दिया गया है।
पब्लिक सेफ्टी एक्ट
बता दें कि सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) को लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिए एक सख्त कानून के रूप में लाया गया था। यह सरकार को 16 साल से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए रखने की अनुमति देता है। 2011 में, न्यूनतम आयु 16 से बढ़ाकर 18 कर दी गई थी।
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