आज लगभग एक साल बाद दिल्ली दंगे मामले में देवांगना कलीता, नताशा नरवाल और आसिफ़ इक़बाल रिहा हो गए हैं। देवांगना कलीता, नताशा नरवाल और आसिफ़ इक़बाल तीनों को ही दिल्ली दंगे मामलों में कड़कड़डूमा कोर्ट ने तुरंत रिहा करने के आदेश दिए थे। दलअसल तीनों को उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा मामले में UAPA एक्ट के तहत पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। नताशा नरवाल और देवंगाना कलिता पिंजरा तोड़ से जुड़ी और जेएनयू की छात्राएं हैं।
Free for now.
Free forever. #NatashaNarwal #DevanganaKalita #AsifIqbalTanha #FreeAllPoliticalPrisoners pic.twitter.com/lE3GmyJNZN— Karwan e Mohabbat (Caravan of Love) (@karwanemohabbat) June 17, 2021
नताशा नरवाल और देवंगाना कलिता को पिछले साल फरवरी में जाफराबाद में सीएए (संशोधित नागरिकता कानून) के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन के सिलसिले में 23 मई 2020 को गिरफ्तार किया गया था। जिस मामले में इनकी गिरफ्तारी की थी उसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 186, 188, 283, 109, 341, 353 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके बाद उनको गिरफ्तार करने के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 149, 353, 283, 323, 332, 307, 302, 427, 120-बी, 188 के साथ ही हथियार कानून और सार्वजनिक सम्पत्ति को नुकसान रोकथाम कानून की प्रासंगिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
‘पिंजरा तोड़’ समूह दिल्ली में विश्वविद्यालयों व उनके कालेजों की छात्राओं एवं पूर्व छात्रों का एक समूह है। ‘पिंजरा तोड़’ की स्थापना 2015 में छात्रावास से जुड़ी छात्राओं की समस्याओं को लेकर की गई थी। 2015 में जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने एक नोटिस जारी किया था, जिसमें छात्राओं के रात आठ बजे के बाद बाहर रहने पर पाबंदी लगायी गई थी। जब दिल्ली महिला आयोग ने इसको लेकर जामिया प्रशासन से सवाल किया तो छात्राओं के एक समूह ने पाबंदी के खिलाफ प्रदर्शन करने का फैसला किया। यह प्रदर्शन उन्होंने न केवल जामिया में बल्कि दिल्ली में अन्य विश्वविद्यालयों में भी करने का निर्णय किया। बाद में समूह ने ‘पिंजरा तोड़’ ने छात्रावास में महिलाओं की आजादी को लेकर जागरूक करना शुरू किया और तमाम प्रदर्शन भी होने लगे।
Be the first to comment on "पिंजरा तोड़ के तीनों एक्टिविस्ट देवांगना, नताशा और आसिफ़ तिहाड़ जेल से हुए रिहा"