दिल्ली विश्वविद्यालय में ओपन बुक परीक्षा के लिए सोमवार को आयोजित मॉक टेस्ट में एक बार फिर छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा। कई छात्रों को वेबसाइट नहीं खुलने, प्रश्न पत्र डाउनलोड करने और उत्तर पुस्तिका अपलोड न होने की परेशानी फिर झेलनी पड़ी। परीक्षाएं रद्द करने की मांग को लेकर छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन छात्रों का कहना है कि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन पर इन विरोध प्रदर्शनों का कोई असर नहीं पड़ रहा। छात्र इसे यूजीसी का तानाशाही रवैया बता रहे हैं।
छात्रों का कहना है कि डीयू के अधिकांश छात्र साइट खोलने में ही असक्षम हैं। बाढ़ग्रस्त क्षेत्र जैसे बिहार, असम और अधिकांश ग्रामीण इलाकों में बिजली की समस्या है। साथ ही वहां इंटरनेट की कोई सुविधा भी नहीं है। जो छात्र शहरों में हैं और वेबसाइट खोल पा रहे हैं उनको भी इस मॉक टेस्ट में ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिसमें वेबसाइट नहीं खुलने, प्रश्न पत्र डाउनलोड करने और उत्तर पुस्तिका अपलोड न होना प्रमुख है।
छात्रों का मानना है कि जम्मू कश्मीर में 4 जी इंटरनेट सेवाएं महीनों से बंद हैं। ऐसे में ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षा करवाना छात्रों के साथ सरासर नाइंसाफी है।
सीवाईएसएस की कोआर्डिनेशन कमिटी सदस्य और मीडिया इंचार्ज शिवानी सिंह ने कहा कि “छात्र युवा संघर्ष समिति ऐसे सभी छात्र विरोधी तानाशाही फरमानों की कड़े शब्दों में निंदा करती है और यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन से मांग करती है कि ऑनलाइन ओपन बुक परीक्षाएं रद्द की जाएं। साथ ही सभी छात्रों को उनके पिछले सेमेस्टर के आधार पर मार्क्स देकर पास कर दिये जाएं और जल्द से जल्द दिल्ली विश्वविद्यालय व सभी विश्वविद्यालयों के परिणाम घोषित किये जाएं। अगर ये माँगें पूरी नहीं होती है तो सीवाईएसएस पूरे देश में इस तानाशाही फैसले के विरोध में आंदोलन करेगी।”
क्या है पूरा मामला
दिल्ली विश्वविद्यालय में यूजी, पीजी फाइनल सेमेस्टर/ईयर के लिए 10 अगस्त से ओपन बुक एग्जामिनेशन आयेजित होंगे। इसके लिए 2 चरणों में मॉक टेस्ट आयोजित किए जाने हैं ताकि छात्र परीक्षा के नए पैटर्न के लिए अभ्यास कर सकें। पहले चरण के लिए 27 जुलाई से मॉक टेस्ट शुरू हो चुके हैं। यह 29 जुलाई तक चलेगा। मॉक टेस्ट का दूसरा फेज 1 से 4 अगस्त तक चलेगा।
डीयू में इससे पहले 10 जुलाई को एग्जाम होने वाले थे, जो स्थगित कर दिए गए। इसके लिए रखे गए मॉक टेस्ट में डीयू के सिस्टम को लेकर कई शिकायतें एचआरडी मिनिस्ट्री, यूजीसी तक छात्र व शिक्षकों ने पहुंचाई थीं। परीक्षा का मसला हाई कोर्ट तक पहुंचा है और व्यवस्थाओं को लेकर एग्जामिनेशन ब्रांच अलर्ट पर है। क्योंकि पिछले महीने मॉक टेस्ट आयोजित कराने को लेकर छात्रों की तरफ से काफी शिकायतें देखने को मिली थीं।
हालांकि, अब भी शिक्षक और छात्र परीक्षा रद करने की मांग कर रहे हैं। छात्र लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि उन्हें प्रथम व द्वितीय वर्ष के छात्रों की तरह ही पहले दिए गए परीक्षाओं, इंटरनल एसेसमेंट के आधार पर प्रमोट कर दिया जाए। उनका कहना है कि कोविड-19 के बिगड़ते हालात के बीच छात्र ऑनलाइन परीक्षा देनेमें सक्षम नहीं हैं।
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