गुरुग्राम में शुक्रवार को होने वाली नमाज़ को लेकर लगातार हिंदू संगठनों की ओर से विरोध किया जा रहा है। हिंदू संगठनों का कहना है कि खुले में नमाज़ पढ़ने से स्थानीय लोगों को परेशानी होती है इसलिए खुले में की जा रही नमाज़ को बंद किया जाए। खुले में नमाज़ पढ़ने का विवाद खत्म लगातार बढ़ता जा रहा है। अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी इस मामले में अपने बयान से हिन्दू संगठनो को हवा दे दी है। दरअसल, एक बार फिर 10 दिसंबर यानि शुक्रवार को गुरुग्राम में नमाज़ पढ़ने को लेकर विरोध हुआ था जिसके बाद सीएम खट्टर ने कहा कि “ये नमाज़ पढ़ने की प्रथाएं जो खुले में हुई है, ये कतई भी सहन नहीं की जाएगी। लेकिन हम सौहार्दपूर्ण समाधान निकालेंगे।’’ उन्होंने साथ ये भी कहा कि “कोई अपने घर में नमाज पढ़ता है, कोई पूजा करता है, हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है। धार्मिक स्थल इसलिए बनाए जाते हैं, ताकि लोग वहां जाएं और ये सब काम करें, ऐसा कार्यक्रम खुले में नहीं हो सकता”।
खट्टर के इस बयान पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अगर ये रोक हर धर्म पर होती तो ये ठीक होता, लेकिन चुनने और छांटने की पॉलिसी दिखाती है कि एक खास धर्म निशाने पर है। उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर इस भारत में शामिल नहीं होगा।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
5 नवंबर, गोवेर्धन पूजा के दिन नमाज़ पढ़ने की जगह गुरुग्राम के सेक्टर 12 में हिन्दू संगठनों ने पूजा की थी। उनका कहना है कि वो किसी को भी वहां पर नमाज़ नहीं पढ़ने देंगे। इस गोवेर्धन पूजा में भाजपा के नेता कपिल मिश्रा भी शामिल हुए थे, जहां पर उन्होंने कहा कि “संविधान में सभी को समान अधिकार हैं। सड़कों को अवरुद्ध करना किसी के धर्म का हिस्सा नहीं हो सकता। यह नहीं होना चाहिए। गुड़गांव एक महानगरीय शहर है जो दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां आप सड़क जाम कर देंगे। आप उन्हें दिल्ली में ब्लॉक कर देंगे? यह धर्म का अंग नहीं हो सकता। यह देश की अर्थव्यवस्था को रोकने और बाधित करने का एक तरीका है। सड़कों का पहला अधिकार उन लोगों का है जो उन पर चलते हैं या अपना व्यवसाय चलाते हैं या उनका उपयोग कार्यालयों, अस्पतालों, स्कूलों तक पहुंचने के लिए करते हैं और अगर स्थानीय निवासी आपत्ति जताते हैं तो किसी को भी बैठने और सड़क जाम करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। इसका कोई अंत नहीं है। बाहर से लोग यहां आते हैं और प्रार्थना करते हैं” उन्होंने आगे कहा कि “मैं कहना चाहता हूं कि लोगों को अपने धार्मिक स्थलों पर पूजा करनी चाहिए। इस देश में वक्फ बोर्डों के पास सबसे ज्यादा जमीन है। वहां नमाज अदा करने की व्यवस्था करें।
किन जगहों पर है नमाज़ पढ़ने की इजाज़त?
संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के द्वारा बार बार खुले में नमाज़ पढ़ने पर विरोध करने पर 2018 में नमाज़ पढ़ने के लिये कुल 106 जगह होती थी लेकिन विरोध के बाद शुक्रवार की नमाज़ पढ़ने के लिए प्रशासन की ओर से 37 जगह नामित की गई। लेकिन इसके बाद भी नमाज़ को लेकर विवाद बना हुआ है। पिछले तीन महीने से सरकार से नमाज़ को रोकने की मांग संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति की ओर से की जा रही है, उनका कहना है कि नमाज़ की वजह से सड़के, पार्क और अन्य सामाजिक जगह बंद हो जाती है जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नमाज़ का विरोध इसलिए भी किया जा रहा है क्योंकि लोगों का कहना है कि गुरुग्राम में 22 मस्जिदें हैं उसके बावजूद भी खुले में नमाज़ क्यों पढ़ी जा रही है? गुरुग्राम के सेक्टर 37 में खुले में नमाज़ पढ़ने के विरोध के बाद नमाज़ पढ़ने की जगहों को 37 से कम कर के 20 कर दिया लेकिन इसके बाद भी अब हर शुक्रवार को नमाज़ पढ़ने की जगह पर प्रदर्शन हो रहे हैं।
हिन्दू संगठनों के विरोध में मुस्लिम क्या बोले?
मुसलमानों ने कहा कि कानूनी सहारा लेने के अलावा, वे धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराएंगे। गुड़गांव नागरिक एकता मंच के संस्थापक अल्ताफ अहमद ने कहा कि हमें अधिकारियों से बहुत कम उम्मीद है, इसलिए हम अपने संवैधानिक अधिकारों को लागू करने के लिए अदालत जाने की योजना बना रहे हैं। हमने उन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का भी फैसला किया है जिन्होंने हमारे समुदाय के सदस्यों को परेशान किया है।
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