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गाजीपुर से हारे तो सिंघु व टिकरी बॉर्डर पर भी माहौल बिगाड़ने की साजिश

सिंघु बॉर्डर पर शुक्रवार को अपने आपको स्थानीय बता रहे लोग घुसकर किसानों के विरोध में नारे लगा रहे थे और टेंट उखाड़ रहे थे। इस वक्त पुलिस मूकदर्शक बनी रही। इसी तरह टिकरी बॉर्डर पर भी माहौल बिगाड़ने की साजिश हुई। यह तब हुआ जब गाजीपुर बॉर्डर पर 28 जनवरी को रातोंरात लोग गांवों से टिकैत की भावुक अपील पर आ गये।

मालूम हो कि किसान लगातार दो महीनों से तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की अलग अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन, 26 जनवरी को किसान प्रदर्शन हिंसा में तब्दील हो गया। इसके बाद से ही पुलिस की ओर से इस आंदोलन को खत्म कराने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। 28 जनवरी को गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस बलों की तैनाती कर दी गई। राकेश टिकैत समेत सभी किसानों को बॉर्डर खाली करने का नोटिस दिया। उनकी गिरफ्तारी की भी बात होने लगी। लेकिन राकेश टिकैत ने धरना छोड़ने से इनकार कर दिया और काफी भावुक भी हो गए। उन्होंने रोते हुए कहा कि किसानों पर अत्याचार किया जा रहा है। उन्हें मारने की साजिश रची जा रही है। अगर सरकार ने कानून वापस नहीं लिए तो मैं आत्महत्या कर लूंगा। मैं इस देश के किसानों को बर्बाद नहीं होने दूंगा।

राकेश टिकैत का रोते हुए वीडियो काफी वायरल हो गया। जब किसानों तक ये बात पहुंची तो देश के अलग अलग जगह से किसान दिल्ली की ओऱ कूच करने लगे। देखते ही देखते जिस आंदोलन के खत्म होने की बात हो रही थी जो किसान के घर वापस चले गये थे वो सभी वापस गाजीपुर बॉर्डर पर आने लगे। गाजीपुर पर तैनात पुलिस रात 2 बजे करीब बसों में बैठकर वापस चली गई थी। लग रहा था कि आंदोलन की शुरुआत एक बार फिर से हो गई है। 29 जनवरी की सुबह किसानों के लिए काफी जोश से भरी थी। यूपी हरियाणा से भारी संख्या में लोग गाजीपुर बॉर्डर पहुंचने लगे। राकेश टिकैत ने इस आंदोलन में लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ दिया था।

सिंघु व टिकरी बॉर्डर पर बवाल
पुलिस गाजीपुर बॉर्डर से वापस लौट गई थी लेकिन, 29 जनवरी को टिकरी बॉर्डर और सिंघु बॉर्डर पर तैनात कर दी गई थी। दोपहर में सिंघु बॉर्डर पर कुछ स्थानीय लोग प्रदर्शन करने लगे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 12 बजे तक आम लोगों को बॉर्डर तक जाने की इजाजत नहीं थी। यहां तक कि पानी के टैंकरों को भी स्थल तक आने की मनाही थी। 1 बजे पुलिस ने उन लोगों को अंदर जाने दिया जो खुद को स्थानीय बता रहे थे। ये लोग किसान के खिलाफ देशद्रोह के नारे लगाते लगाते आंदोलन में घुस कर किसानों के टेंट उखाड़ने शुरू कर दिये। इसके बाद वहां पत्थबाजी भी हुई। किसानों की ओर से एक शख्स तलवार लेकर स्थानीय लोगों की तरफ बढ़ा और वो तलवार एसएचओ प्रदीप पालीवाल को लग गई। पुलिस को ये बात अच्छे से पता होगा कि अगर स्थानीय लोगों को अंदर जाने दिया तो टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। तो क्या ये सब जानबूझ कर किया गया? इतनी सुरक्षा के बावजूद इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं?

टिकरी बॉर्डर पर भी इसी तरह से कुछ लोग आए जो स्थानीय अपने आपको बता रहे थे और नारेबाजी करने लगे। साथ ही ऐसी तमाम वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं जिनमें पुलिस खुद खड़ी है और ये लोग नारेबाजी कर रहे हैं।

किसान नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार को दी चेतावनी

सिंघु बॉर्डर पर किसान नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 30 जनवरी को वे भूख हड़ताल करेंगे और साथ ही केंद्र सरकार को चेताया कि इस तरह प्रदर्शन का माहौल बिगाड़ने की कोशिश न करें, आगे और भी उग्र आंदोलन होगा। लोगों की संख्या भी बढ़ेगी। किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सतनाम सिंह पन्नू ने केंद्र सरकार पर माहौल बिगाड़ने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आरएसएस के लोगों को भेजकर किसानों के धरनास्थल पर माहौल बिगाड़ रही है। लेकिन, कृषि कानूनों की वापसी होने तक हम वापस नहीं जाएंगे। इन सब घटनाओं के बाद हरियाणा सरकार ने एहतियातन 17 जिलों में 30 जनवरी शाम 5 बजे तक इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगा दी गई। इस दौरान केवल कॉलिंग सर्विसेज जारी रहेंगी। इसको लेकर किसान नेताओं ने कहा कि सरकार हमारी आवाज दबाना चाह रही है।

टिकैत के यहां मुजफ्फरनगर में बैठी महापंचायत

इसी बीच दूसरी तरफ मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत ने महापंचायत बुलाई थी। महापंचायत में हजारों की संख्या में किसान शामिल हुए। महापंचायत में नरेश टिकैत ने किसानों से गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचने की अपील की। उन्होंने कहा कि आज हम सब घर जाएंगे, क्योंकि गाजीपुर बॉर्डर पर पश्चिमी यूपी के कई जिलों से किसान पहुंच चुके हैं। 30 जनवरी से सड़कों पर ट्रैक्टर ट्राली की लाइन नहीं टूटेगी। नरेश टिकैत ने कहा कि जिन्हें हमने वोट देकर दिल्ली और प्रदेश की कुर्सी पर बैठाया, अब उन्हें गांव और घर में घुसने नहीं देंगे। उनका साफ इशारा भाजपा की तरफ था।​ सरकार के खिलाफ किसानों ने एक मोर्चा खोल दिया है लेकिन, सरकार इस आंदोलन को ख्तम करने के लिए नये नये हथकंडे अपना रही है।

नरेश टिकैत ने ये भी कहा कि सरकार हठधर्मी हो रही है, अगर सरकार चाहती तो फैसला बहुत जल्दी हो जाता। अगर मुद्दे का हल नहीं होता तो गाज़ीपुर बॉर्डर पर आंदोलन चलेगा।

आखिर सिंघु बॉर्डर पर पुलिस मूक दर्शक बनकर उन स्थानीय लोगों को आंदोलन में घुसने कैसे दे सकती है? क्या ये किसी साजिश के तहत किया जा रहा है? सवाल कई हैं लेकिन जवाब आपको खुद ढूंढ़ने पड़ेंगे। आपको खुद सोचना पड़ेगा जो हो रहा है वो कितना सही है और कितना गलत?

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

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