आज दिल्ली की अलग अलग सीमाओं पर किसानों को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए 7 महीने पूरे हो चुके हैं। जिस आंदोलन के खत्म होने की संभावनाएं लग रही थी वो एक बार फिर से जीवित हो उठा है। आज किसान देशभर में राजभवनों के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंप रहे हैं। इसके अलावा किसान संगठन ट्रैक्टर मार्च भी निकाल रहे हैं। तमाम जगहों से खबरें आ रही हैं कि भारी तादाद में किसान ट्रेक्टर लेकर सड़कों पर निकलें हुए हैं। किसान दिल्ली के एलजी हाउस पर ज्ञापन सौंपने के लिए गए थे लेकिन उन्हें ज्ञापन सौंपने नहीं दिया गया। जब ज्ञापन नहीं सौपने दिया गया तो किसान घरने पर बैठ गये लेकिन दिल्ली पुलिस ने वहां से किसानों को हटा दिया। किसान नेता युद्धवीर सिंह समेत कई किसानों को पुलिस बस में बैठाकर वहां से ले गई।
राकेश टिकेत के बारे में भी ऐसी खबरें आई थी कि उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है पर वो मात्र अफवाह थी। राकेश टिकेट ने खुद इस बात की जानकारी दी थी।
मेरी गिरफ्तारी की खबरे भ्रामक है। मैं गाजीपुर बॉर्डर पर हूँ। सब सामान्य हसि।#tikait #FarmersProtest pic.twitter.com/hg2gqTQzDn
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) June 26, 2021
दिल्ली पुलिस द्वारा जिन किसानों को हिरासत में लिया गया था उन्हें वजीराबाद पुलिस प्रशिक्षण केंद्र ले जाया गया और वहां उपराज्यपाल के साथ वर्चुअल मीटिंग की गई, जहां एलजी के मुख्य सचिव को ज्ञापन सौंपा गया।
Aftr Delhi Police detaining farmer protestors, they were taken Wazirabad Police Training Centre and there a virtual meeting arranged with the Lieutenant Governor finally, where the memorandum was handed over to the Chief Secretary of LG#SaveFarming_SaveDemocracy #FarmersProtest pic.twitter.com/yKArRq71wD
— Kisan Ekta Morcha (@Kisanektamorcha) June 26, 2021
हरियाणा के पंचकुला में भी किसान बैरिकेट तोड़ कर आगे बढ़ते जा रहे हैं। किसान सिर्फ इतना चाहते हैं कि सरकार उनसे इस मसले पर बात करें लेकिन सरकार को कुछ सुनाई या दिखाई नहीं देता है। लेकिन किसानों को अब भी उम्मीद हैं कि सरकार उनसे बात जरूर करेगी।
किसान आंदोलन का असर बंगाल चुनावों में देखने को मिला था उसका परिणाम भी सभी जानते हैं। अब किसानों का अगला निशाना युपी चुनाव हो सकता है क्योंकि सरकार उनकी मांगे सुनने को तैयार नहीं। इस बीच योंगेंद्र यादव ने भी कहा है कि केंद्र सरकार वोटों के अलावा कोई और भाषा नहीं जानती तो इसी भाषा में उन्हें जवाब दिया जाएगा। पूरे उत्तर प्रदेश में जाकर किसानों को सच्चाई बताई जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि मुद्दों को लटकाया जाए ताकि आंदोलन कमजोर हो जाए।
आपको याद होगा पिछले साल 26 नवंबर से किसान आंदोलन शुरू हुआ था। किसान उस समय 6-6 महीने का राशन लेकर आएं थे किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि ये आंदोलन इतना लंबा चलेगा। शायद उन्हें इस बात का अंदाजा रहा होगा कि सरकार उनकी मांगों को नहीं सुनेंगी। और हुआ भी यहीं 7 महीने हो चुकें हैं लेकिन सरकार अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आ रही है। अब एक बड़ी खबर ये है कि भारत की खुफिया एंजेंसी ने दिल्ली पुलिस को ये खबर दी है कि पाकिस्तान की इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) किसान आंदोलन को नुकसान पहुंचाने और किसानों के विरोध को भड़काने की कोशिश कर सकते हैं।
ये कोई नई बात नहीं है। जितने भी आंदोलन या धरने प्रदर्शन होते हैं उसमें ये आरोप लगाया जाता है कि इन आंदोलनों में पाकिस्तान, खालिस्तिन और ISI की साजिश है।
अब ये वही जाने कि किसान आंदोलन पर ISI की बुरी नजर पड़ी है या फिर सरकार की बुरी नजर है। 7 महीने पूरे होने पर किसान आज भी दिल्ली के गाजीपुर, टिकरी बॉर्डर और सिंधु बॉर्डर पर तीनों कृषि कानूनों के विरोध में बैठे हुए है। संयुक्त किसान मोर्चा ने देशभर में राजभवन मार्च का ऐलान किया था इस दौरान किसान राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन सभी राज्यपालों और उप राज्यपालों को सौंपना था। किसान मोर्चा ने इस विरोध मार्च का नाम “कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस” रखा था। अब तक सरकार के साथ कई बैठकें किसानों की हो चुकी हैं। कई बार किसानों की ओऱ से सड़कें जाम की गई, काला दिवस तक मनाया गया लेकिन सरकार की ओऱ से कोई बात करने को तैयार नहीं। अब देखना ये है कि किसानों की अगली रणनीती क्या होगी। क्या सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी।
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