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उत्तर प्रदेश चुनाव में 113 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा से हुआ रोचक मुकाबला, जानिये अब तक क्या-क्या हुआ?

8 जनवरी को निर्वाचन आयोग द्वारा आगामी विधानसभा चुनावों की तारीख़ों का ऐलान होते ही, राजनीतिक गलियारों और पार्टियों ने अपनी-अपनी तैयारियां तेज़ कर ली. राजनीतिक पार्टियों की ओर से रैलियों की घोषणाएं होने लगी, तैयारियां भी जोर शोर से शुरू कर दी गई. लेकिन कोरोना की वजह से चुनाव आयोग के कड़े फैसले के चलते सभी रोड शो और रैलियों पर अभी 31 जनवरी तक के लिए रोक है। इसके अलावा चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों को डिजिटल चुनाव प्रचार पर ज्यादा जोर देने का आग्रह किया है। नेता अपने प्रचार के लिए डोर – टू – डोर कैंपेन कर सकते हैं.

दलबदल की राजनीति से किसको फायदा?

इन सब के बाद राजनीतिक गलियारों में उठा पटक थमी नहीं. राजनीति में दलबदल की राजनीति शुरू हो गई। बीजेपी और कांग्रेस से दल बदलू नेताओं ने सपा में शामिल होकर उन सभी दावों और तमाम ओपिनियन पोल्स की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए, जिनमें बीजेपी की भारी जीत के अनुमान और दावे किए जा रहे थे.

इन सबमें सबसे ज़्यादा सुर्खियां बटोरी बीजेपी शासित उत्तरप्रदेश सरकार में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, जिन्होंने मंत्री पद पर होने के बावज़ूद बीजेपी से इस्तीफ़ा देकर समाजवादी पार्टी को जॉइन किया उनके साथ धर्म सिंह सैनी और दारा सिंह चौहान जैसे बीजेपी के मंत्री और कई विधायक भी सपा मे भी शामिल हो गए.

बीजेपी भी क्यों पीछे रहती, समाजवादी पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री और अध्यक्ष अखिलेश यादव के परिवार की अपर्णा यादव (मुलायम सिंह यादव की बहू) को ही समाजवादी पार्टी में जगह दे दी. कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री, आरपीएन सिंह भी भाजपा में शामिल हो गये.

कांग्रेस प्रवक्ता शशि वालिया और राजेंद्र अवाना ने भी आरपीएन सिंह के साथ भाजपा की सदस्यता ली. राजेंद्र अवाना कांग्रेस के प्रदेश सचिव थे.

इस तरह से दलबदल की राजनीति को अभी पहले चरण के चुनाव के नजदीक आने के बाद भी ठहराव नहीं मिल सका है. यह अभी कहना मुश्किल होगा कि दलबदल से सबसे ज्यादा फायदा किसे होगा? लेकिन सत्ताधारी बीजेपी पार्टी से सपा में आकर मंत्रियों और विधायकों का शामिल होने को कुछ लोग सपा की हवा के रूप में देख रहे हैं. हालांकि चुनावी सर्वे अभी इससे उलट हैं। डीबी लाइव को छोड़कर एबीपी सी वोटर सर्वे सहित तमाम सर्वे करने वाली संस्था सपा और भाजपा में कांटे की टक्कर का एहसास तो करा रहे हैं, लेकिन सपा को बहुमत से दूर रख रहे हैं.  

गठबंधन और दलबदल से मुश्किल में पार्टियां

पहले से ही किसान आंदोलन का विरोध करने के चलते आलोचना का सामना कर रही बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ गई हैं, कारण है समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के बीच हुआ गठबंधन. जिसके चलते किसान वोट भी बीजेपी के विपक्ष में जाता नजर आ रहा है. इस गठबंधन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाट वोट बैंक भी सपा के पक्ष में जाता नजर आ रहा है. लेकिन रालोद और सपा के गठबंधन में उम्मीदवारों के चुनाव मैदान में उतारने को लेकर कई जगह पर साफ सहमति नहीं दिखाई पड़ती। इसका कारण यह भी है कि सपा ने कई छोटी पार्टियों को अपने साथ शामिल किया है, जिससे सपा के वास्तविक उम्मीदवारों के साथ गठबंधन दलों के बीच प्रतिस्पर्धा की स्थिति बन गई है. यही कारण है कि तमाम क्षेत्रीय नेता चाहे वो सपा के हों या अन्य दलों के अपनी पार्टी के टिकट पर चुनाव नहीं लड़ पा रहे हैं. इसलिए पार्टी से नाराजगी के भी कयास लगाये जा रहे हैं.

86 आरक्षित सीट हैं जीत की गारंटी

उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 86 आरक्षित सीटें, वो है जिन पर अगर जिस पार्टी ने जीत हासिल कर ली तो मानो उसने उत्तरप्रदेश की कुर्सी अपने नाम कर ली. इस विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 86 सुरक्षित सीटों में से 84 सीटें अनुसूचित जातियों की हैं. वहीं 2 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए सुरक्षित हैं. ये दोनों सीटें राज्य के दक्षिणी-पूर्वी ज़िले सोनभद्र में दुद्धी और ओबरा हैं.

इन सीटों के लिए अब तक लगभग सभी राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया है.

इस बात को कहने की वज़ह है पिछले चुनावों का ये ट्रेंड.

पिछले 3 चुनावों का आंकलन तो यही दर्शाता, पिछली दो सरकारों की बात करें तो दोनों बार सरकार बनाने वाली बसपा और सपा ने इन 86 सीटों मे से अधिकतर सीटों को अपने नाम किया था.

बहुजन समाज पार्टी ने 2007 के चुनाव में 86 आरक्षित सीटों में से  62 सीटों पर जीत हासिल की थी.

उसके अगले चुनाव में यानी कि 2012 के चुनाव में इन्हीं 86 में से 58 सीटों पर जीत कर बहुमत से समाजवादी पार्टी ने अपनी सरकार बनाई थी.

और ये सिलसिला 2017 में भी जारी रहा.

मौजूदा योगी सरकार भी इन्हीं 86 मे से 78 आरक्षित सीटों पर जीत हासिल कर बहुमत की सरकार बनाई.

राजनैतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि दरअसल यह कोई मैजिक या टोटका नहीं है। उनका कहना है उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरणों को साधते हुए ही चुनाव होते आ रहे हैं। ऐसे में सिर्फ यह 86 आरक्षित सीटें इस बात का संदेश देती है कि दलितों का वोट सबसे ज्यादा किस और गया है। चूंकि विधानसभा सीटों के परिसीमन के दौरान जातिगत वोटरों की संख्या को देखते हुए उनको आरक्षित किया जाता है, लेकिन उसी जाति समुदाय के लोग इन 86 आरक्षित सीटों के अलावा भी सभी विधानसभाओं में होते ही हैं.

ऐसे तय होते हैं आरक्षित सीट

जन प्रतिनिधित्व क़ानून, 1950 की धारा 7 के तहत हर राज्य की विधानसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की सीटों की संख्या को तय किया गया है. समय-समय पर सीटों में परिवर्तन किये गये हैं। निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन आदेश, 1976 के अनुसार 2004 में अनुसूचित जातियों के लिए उत्तर प्रदेश में 89 विधानसभा सीटें आरक्षित की गई थीं. लेकिन परिसीमन आदेश, 2008 से यह संख्या घटाकर 85 कर दी गई.

2012 के विधानसभा चुनाव के बाद संसद में अध्यादेश के जरिए परिसीमन आदेश में संशोधन हुआ. उसके तहत, उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जातियों के लिए 84 और अनुसूचित जनजातियों के लिए 2 सीटें तय की गईं.

किस चरण में कितनी सीटों के लिए चुनाव होंगे

यूपी में सात चरणों में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. चुनाव आयोग ने इन सातों चरणों की तारीखों का ऐलान कर दिया है.

यूपी में पहले चरण का चुनाव 10 फरवरी को होगा, जिसमें कुल 58 सीटों पर मतदान किया जाएगा.

इसके बाद दूसरे चरण का मतदान 14 फरवरी को होगा जिसमें राज्य की 55 सीटों पर वोटिंग होगी,

तीसरे चरण में 20 फरवरी को 59 सीटों पर मतदान होगा,

चौथे चरण में 23 फरवरी को 60 सीटों पर मतदान,

पांचवें चरण में 27 फरवरी को 60 सीटों पर,

छठे चरण में 3 मार्च को 57 सीटों और

सातवें चरण में 7 मार्च को 54 सीटों पर मतदान किया जाएगा. 

पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी की

पहले दो चरणों की 113 विधानसभा सीटों के लिए पार्टियों ने अपने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर दिया है.

भाजपा ने अब तक 107, कांग्रेस ने 125, समाजवादी पार्टी ने 159, बहुजन समाज पार्टी ने 104 प्रत्याशियों की घोषणा की है।

सपा की सूची में 31 मुस्लिम चेहरों पर दांव लगाया गया है। इसी तरह 18 यादव, सात कुर्मी, सात जाट, चार निषाद, चार गुर्जर और सात जाट को भी मैदान में उतार दिया है। सूची में आठ ब्राह्मण, पांच ठाकुर, छह वैश्य और दो सिख समुदाय के उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं।

समाजवादी पार्टी ने इस सूची में पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का नाम भी शामिल किया है जो कि मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ेंगे.

पिछले दिनों बीजेपी छोड़ कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए धर्म सिंह सैनी को सहारनपुर जिले की नकुड सीट से नामित किया है

इस लिस्ट में अन्य नाम जैसे कि नाहीद हसन जो कि कैराना सीट, अब्दुल्ला आज़म खान सुआर विधानसभा सीट, आजम खान रामपुर विधानसभा सीट से और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिँह यादव जसवंत नगर से चुनाव लड़ेंगे.

भाजपा ने भी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की, बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के लिए 85 सीटों पर उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की. इसमें 14 महिलाओं को जगह मिली है। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने वाली अदिति सिंह को रायबरेली सदर से टिकट दिया गया है.

योगी आदित्यनाथ गोरखपुर शहर से और केशव प्रसाद मौर्य सीरथू से चुनाव लड़ेंगे.

गोरखपुर के जिस सीट से योगी आदित्यनाथ लड़ रहे हैं उसी सीट से भीम आर्मी चीफ और आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद रावण भी लड़ने की तैयारी में हैं।

पंकज सिंह को नोएडा सीट से दोबाार टिकट मिला है. बीजेपी ने गाजियाबाद और गौतमबुद्ध नगर सीट से अपने पुराने उम्मीदवारों पर ही भरोसा जताया है.

पहले चरण में 58 में 57 सीट पर नाम, दूसरे चरण में 55 में से 48 सीट नाम का ऐलान दोनों सूची में 83 वर्तमान विधायकों में से 63 को टिकट मिला है।  पहले चरण में 10 महिलाओं को टिकट दिया गया है। 21 नए प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है और उनमें से 21 युवा और डॉक्टर हैं।

उधर पिछले लगभग 30 सालो से सूबे की राजनीति से बाहर

कांग्रेस ने भी प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए अभी तक 166 उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. अपनी सूची जारी करते हुए कांग्रेस ने 40 फीसदी सीटों पर महिला उम्मीदवारों को टिकट देने का वादा किया है.

166 उम्मीदवारों की लिस्ट में 40 फीसदी महिलाएं हैं. पार्टी ने चुनावी रण में जहां पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक एवं जिला अध्यक्षों को मैदान में उतारा है. वहीं, किसान आंदोलन से चर्चा में आईं पूर्व अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज पूनम पंडित को बुलंदशहर की स्याना सीट से प्रत्याशी बनाया है.

कांग्रेस ने मेरठ के दो विधानसभा क्षेत्रों से दो महिलाओं को प्रत्याशी घोषित किया है. इनमें से हस्तिनापुर सुरक्षित सीट से 26 साल की अभिनेत्री अर्चना गौतम भी शामिल हैं. अर्चना ने दो महीने पहले भी कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली थी. राजनीतिक पारी शुरू करने से पहले अर्चना अब तक कई ब्यूटी कांटेस्ट का हिस्सा रहीं. उनका कहना है कि उन्होंने कई फिल्मों में भी काम किया है.

बसपा छोड़कर कांग्रेस में आए अरशद राणा की पत्नी डा. यासमीन राणा को चरथावल से टिकट मिला है. अरसद का हाल ही में टिकट के लिए दिए पैसों को लेकर कोतवाली में रोते हुए वीडियो वायरल हुआ था.

जिसमें कैराना से हाजी अख़लाक़, मुजफ्फरनगर से सुबोध शर्मा, बुलंदशहर से सुशील चौधरी है.

16 महिला उम्मीदवारों में सुखविंदर कौर जो कि सहारनपुर नगर से, नीरज कुमारी प्रजापति मोदीनगर से हैं. कांग्रेस का कैम्पेन कांग्रेस की जनरल सेकेट्ररी प्रियंका गांधी की अध्यक्षता मे लड रहीं हैं. प्रियंका ने “लड़की हुँ, लड सकती हुँ” का नारा दिया इसी के अंतर्गत 40 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया जा रहा है.

पार्टियों के स्टार प्रचारक कैसे चुनाव को प्रभावित करेंगे

समाजवादी पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों के नामों की भी घोषणा की है जिनमें  राज्य सभा MP जया बच्चन, पार्टी के उत्तर प्रदेश यूनिट के चीफ नरेश उत्तम पटेल, समाजवादी पार्टी के नैशनल वाईस किरणमय नंदा के नाम शामिल हैं

कांग्रेस ने भी उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और कई अन्य नेताओं को स्टार प्रचारक बनाया है। कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग को 30 स्टार प्रचारकों की सूची सौंपी है। इस सूची में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम भी शामिल हैं

इसी तरह भारतीय जनता पार्टी ने उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 30 स्‍टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. इस सूची में प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी, भाजपा अध्‍यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी सहित तमाम बड़े नेताओं के नाम हैं। सांसद मेनका गांधी, वरुण गांधी और केंद्रीय गृह राज्‍यमंत्री अजय मिश्रा टेनी का नाम इसमें शामिल नहीं है.

Disclaimer: इस लेख में अभिव्यक्ति विचार लेखक के अनुभव, शोध और चिन्तन पर आधारित हैं। किसी भी विवाद के लिए फोरम4 उत्तरदायी नहीं होगा।

About the Author

सुमित
सुमित वीडियो जर्नलिस्ट के साथ -साथ समसामयिक मुद्दों पर लेखन भी करते हैं।

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