कन्हैया कुमार के आजादी के नारे खूब सुने होंगे आप। और आज तो हर शाहीन बाग से लेकर जलियावाला बाग तक आजादी के नारों की चर्चा है। भाजपा के लोग भी नारे लगाते हैं, वामपंथियों से आजादी, देशद्रोहियों से आजादी। और दूसरी ओर वामपंथियों, कांग्रेसियों, सपाइयों, बसपाइयों यहां तक कि हर पीड़ित लोगों से सुना ही होगा कि हमें चाहिए आजादी, छुआछूत से आजादी, दिल्ली पुलिस से आजादी, आरएसएस से आजादी, बीजेपी से आजादी, मोदी से आजादी, योगी से आजादी…
लेकिन सावधान! अब ये नारा देशद्रोह की श्रेणी में आएगा। जनाब आपको अगर लगता हो कि मैं गलत कह रहा हूं तो आप इतिहास उठा कर मत देखने लग जाइयेगा वहां तो पता चल ही जाएगा। अब उतना दूर जाने की जरूरत नहीं है। आपको 22 जनवरी को यूपी के दूसरे पीएम…सॉरी सीएम के उत्तर प्रदेश से खड़े-खड़े भाषण देने वाले पूरी वीडियो को देखने की जरूरत है। योगी से आजादी…सहन नहीं हुआ इसलिए उन्होंने ऐसा ऐलान कर दिया। हम उसका एकआध मिनट का हिस्सा ये वाला यहां लगा दे रहे हैं।
लेकिन ये सवाल समझ नहीं आ रहा कि एनआरसी और सीएए के खिलाफ जो होकर प्रदर्शनकारी आजादी के नारे लगा रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होगी या फिर जो समर्थन में आजादी के नारे लगा रहे हैं उन पर भी होगी कार्रवाई।
खैर पहले योगी जी ने जो कहा है उसे आप सुनिए-
बुधवार 22 जनवरी को संशोधित नागरिकता कानून के समर्थन में आयोजित एक रैली में योगी ने कहा, ‘अगर कोई विरोध प्रदर्शन के नाम पर आजादी के नारे लगाएगा, तो उस पर सेडिशन के तहत सरकार सख्त कार्रवाई करेगी. सरकार ऐसे नारे स्वीकार नहीं करेगी, लोगों को भारत के खिलाफ बोलने की इजाजत नहीं दी जा सकती है.’
लखनऊ के घंटाघर और दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों में महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. इस पर योगी ने कहा,
अपने घर की महिलाओं को चौराहे-चौराहे पर बिठाना शुरू कर दिया है, कितना बड़ा अपराध है कि पुरुष घर में रजाई ओढ़ कर सो रहा है और महिलाओं को आगे कर चौराहे-चौराहे पर बैठाया जा रहा है।
कानपुर में CAA के समर्थन में रैली करते हुए योगी आदित्यनाथ: कितना शर्मनाक है कांग्रेस, सपा और वामपंथी दलों के लोगों के लिए एक देश की कीमत पर राजनीति करना और दूसरा विरोध के लिए महिलाओं को आगे करना, जिन्हें पता ही नहीं की CAA क्या है। https://t.co/67YqpnDFD5
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 22, 2020
योगी के अलावा बीजेपी के दूसरे नेताओं ने भी CAA पर विपक्ष के विरोध प्रदर्शन की आलोचना की। और बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने तो यहां तक कह दिया कि, “ये सब प्रदर्शन असंवैधानिक और गैर पारंपरिक है। अगर उन लोगों में हिम्मत है तो अमित शाह के सामने बैठे। दस मिनट भी नहीं लगेगा इन लोगों को परास्त करने में। इन लोगों को भारत के इतिहास की जानकारी भी नहीं है।”
यहां इन लोगों का मतलब जिसे वे देशद्रोही मान रहे हैं, जिसे विपक्ष भी बोलते हैं। अब बताइए ये लोग आतंकवादी मानते हुए उसे चुनौती दे रहे हैं। ऐसी क्या कोई राजनीति करता है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 19 दिसंबर को कई जगहों पर एनआरसी, सीएए के प्रदर्शनों को हिंसक बताकर सरकारी संपत्ति के हुए नुकसान को वसूलने की बात करने वाले योगी आदित्यनाथ सरकारी संपत्ति के नुकसान की वसूली करनी भी शुरू कर दी। यूपी पुलिस ऐसे लोगों को चिन्हित कर उन पर जुर्माना लगाकर उन्हें वसूली नोटिस भेज रही है। जुर्माना नहीं चुकाने पर सम्पत्ति को कुर्क करने की बात हो रही है।
हालांकि बेगुनाहों की मौतों पर मुख्यमंत्री का चश्मा उन्हें आतंकवाद के तराजू में तौलने में लगा है। हद तो तब हो जाती है कि फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में कई छात्र, समाजसेवी संगठन खुद प्रमाण दे रहे हैं कि ऐसे बेगुनाहों को यूपी पुलिस ने मारा है। लेकिन यूपी के डीजीपी को शर्म तक नहीं आई यह कहते हुए कि पुलिस से गोली चली ही नहीं।
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