चाणक्यपुरी स्थित मैत्रेयी कॉलेज में 14 जनवरी से चल रहे सात दिवसीय कौशल विकास से सम्बद्ध राष्ट्रीय कार्यशाला का सफल समापन हो गया। राष्ट्रगान, दीप-प्रज्ज्वलन एवं मंगलाचरण के साथ प्रारम्भ हुए इस समापन सत्र में कॉलेज प्राचार्या डॉ. हरित्मा चोपड़ा ने प्रतिभागियों से उनका अनुभव पूछा और यहाँ से प्राप्त इस नवीन ज्ञान का अन्यत्र प्रचार-प्रसार करने का आह्वान भी किया। उन्होंने अत्यन्त कम समय में ही प्रतिभागियों में भाषायी कौशल को बढ़ाने में अतुलनीय योगदान के लिए डॉ. ज्योति सिंह एवं डॉ. प्रमोद कुमार सिंह के संयोजन में आयोजित हुए इस कार्यशाला की प्रशंसा भी की साथ ही भाषा से इतर अन्य मानविकी विषयों यथा राजनीति विज्ञान, इतिहास इत्यादि के छात्रों हेतु भी ऐसी कार्यशाला आयोजित किए जाने पर बल दिया। इस अवसर पर प्रतिभागियों ने कार्यशाला से जुड़े अनुभव भी साझा किए। प्रायः सभी प्रतिभागी प्रस्तुत कार्यशाला में भाग लेकर प्रसन्नचित्त नज़र आए।
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जनपद से प्रतिभाग करने आए सूर्य प्रकाश शुक्ल ने कार्यशाला के सभी सत्रों को अत्यन्त सुव्यवस्थित, सुनियोजित एवं ज्ञानवर्धक कहा तथा सभी रिसोर्स पर्सन के द्वारा दिए गए कौशल-प्रशिक्षण की प्रशंसा की। रामजस कॉलेज से आए छात्र हर्षित मिश्र ने कहा कि वे पारम्परिक पद्धति से पढ़ने एवं सीखने के पक्षधर रहे हैं, किन्तु यहाँ प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विधि से सीखने का जो प्रशिक्षण दिया गया, उसने उन्हें अपने विचार को बदलने एवं पढ़ने की नवीन पद्धति को अपनाने हेतु उद्यत किया है। संस्कृत की छात्रा प्रीति पाण्डेय ने कहा कि उसे इस कार्यशाला से बहुत कुछ सीखने को मिला। पंजाबी की पढ़ाई कर रही छात्रा हरनूर मान ने माना कि इतने कम समय में पंजाबी टंकण एवं पंजाबी ई-रिसोर्सेज का ज्ञान प्राप्तकर वह बहुत खुश है। इसके लिए वह सभी प्रशिक्षकों का धन्यवाद करती है। कार्यशाला में हुए प्रशिक्षण-परीक्षा में अब्बल आने वाली छात्रा मनत कालरा ने इस कार्यशाला को अत्यन्त सफल बताया साथ ही इसी तरह के और भी कार्यशालाओं के आयोजन का निवेदन किया, जो छात्राओं में कौशल विकास को बढ़ावा देने में मददगार हैं। हिंदी की छात्रा गरिमा ने कहा कि अब वह कार्यशाला में प्राप्त प्रशिक्षण के कारण विभाग की ओर से दी जाने वाली परियोजना कार्य को टंकित स्वरूप में शुद्धता के साथ जमा करने में सफल हो पाएगी। मैत्रेयी कॉलेज में बी.ए. (संस्कृत) अन्तिम वर्ष की छात्रा रिया आर्या ने कहा कि उसे नहीं पता था कि इतने सारे ऑनलाईन टूल्स मौजूद हैं जिससे संस्कृत को शुद्धता एवं समग्रता के साथ सीखा एवं सिखाया जा सकता है। वह अपने भविष्य के अध्ययन उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु यहाँ प्राप्त कौशल प्रशिक्षण का सदुपयोग करेगी।
इनके अलावा निधि सिंह, राखी शर्मा, अजय कुमार, सन्तोष कुमार, शुभ्रा इत्यादि अन्य प्रशिक्षणार्थियों ने भी इस कार्यशाला को अत्यन्त रुचिकर एवं उपयोगी बताया। गौरतलब है कि मैत्रेयी कॉलेज की प्राचार्या डॉ. हरित्मा चोपड़ा की प्रेरणा से आयोजित हुए इस कार्यशाला में संस्कृत, हिन्दी, पंजाबी, मराठी, गुजराती, बंगाली, तमिल, तेलुगु, मलयालम इत्यादि भारतीय भाषाओं से सम्बन्धित नवीनतम आईसीटी टूल्स पर प्रकाश डाला गया । आईसीटी टूल्स एवं भारतीय भाषाओं को आधार बनाकर आयोजित होने वाली यह कार्यशाला इस विषय पर संभवतः पहली कार्यशाला है, जिसमें बिना किसी शुल्क लिए प्रतिभागियों को विधिवत् प्रशिक्षण दिया गया । इस कार्यशाला में मुख्य प्रशिक्षक डॉ. प्रमोद कुमार सिंह के अलावा डॉ. ज्योति सिंह, डॉ. प्रदीप राय, डॉ. मंजू भारद्वाज एवं डॉ. मनीषा बत्रा के व्याख्यान एवं प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए। इन प्रशिक्षकों ने भारतीय भाषा से सम्बद्ध ओसीआर व यूनिकोड टंकण पद्धति, विज्ञान एवं पुस्तकालयीय उपकरण तथा भाषाधारित अन्तर्जाल प्रक्रियाओं पर अपने विचार रखें । यहाँ यह भी बताते चले कि इस कार्यशाला के व्यवस्थापन का कार्य डॉ. सुरेन्दर कौर मल्होत्रा, डॉ. गीता पाण्डेय, डॉ. पूजा खोरवाल एवं डॉ. अनिरुद्ध ओझा ने किया, जिसमें मंच-संचालन डॉ. अनिरुद्ध ओझा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन का कार्य डॉ. सुरिन्दर मल्होत्रा ने किया। इस कार्यशाला में लगभग 65 प्रशिक्षुओं ने सहभागिता की। कार्यक्रम की परिसमाप्ति पर सफल प्रशिक्षुओं को प्रमाणपत्र भी प्रदान किए गए।
Hme es karyashala me bahut Achchha lga ummeed karti hun age bhi aisi hi karyashala karayi jayengi