कविताः विरासत
-रचना दीक्षित बचपन,सपने, यादें, विरासत छोड़ आई थी,रख आई थी, सहेज आई थी अपने घर की दहलीज़ के भीतर कभी ढूंढती हूँ, खोजती हूँ, टटोलती हूँ, तलाशती हूँ कहीं भी कुछ भी जब तब पूंछते…
-रचना दीक्षित बचपन,सपने, यादें, विरासत छोड़ आई थी,रख आई थी, सहेज आई थी अपने घर की दहलीज़ के भीतर कभी ढूंढती हूँ, खोजती हूँ, टटोलती हूँ, तलाशती हूँ कहीं भी कुछ भी जब तब पूंछते…