कविताः मैं तुम्हारे इश्क़ में बनारस सा होना चाहता हूँ
अस्सी घाट जैसा तुम में मिलना चाहता हूँ मैं तुम्हारे इश्क़ में बनारस सा होना चाहता हूँ मंडुआडीह जैसा हवाओं में उड़ना चाहता हूँ मैं तुम्हारे इश्क़ में बनारस सा होना चाहता हूँ …
अस्सी घाट जैसा तुम में मिलना चाहता हूँ मैं तुम्हारे इश्क़ में बनारस सा होना चाहता हूँ मंडुआडीह जैसा हवाओं में उड़ना चाहता हूँ मैं तुम्हारे इश्क़ में बनारस सा होना चाहता हूँ …