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sarhad

देखो सरहदें

देखो सरहदें अभी भी गुनगुनी सी हैं उबलने से पहले उसमें ‘मुहब्बत की फाँके घोल दो’ क्या ग़ैर तुम, क्या ग़ैर हम चलो, रात आने से पहले ‘इस गिरह के टाँके खोल दो’ दीवारें उम्मीद…