आर्टिकल 15- कभी हम हरिजन बने कभी बहुजन, लेकिन हम कभी “जन” नहीं बन सके
आर्टिकल 15- कभी हम हरिजन बने कभी बहुजन, लेकिन हम कभी “जन” नहीं बन सके। इस लाइन का अर्थ अगर सरल शब्दों में परिभाषित किया जाए तो कुछ इस तरह होगा, इंसान हर वक्त किसी…
आर्टिकल 15- कभी हम हरिजन बने कभी बहुजन, लेकिन हम कभी “जन” नहीं बन सके। इस लाइन का अर्थ अगर सरल शब्दों में परिभाषित किया जाए तो कुछ इस तरह होगा, इंसान हर वक्त किसी…
‘इंडियापा‘। आप सोच रहे होंगे यह कैसा नाम है, मेरे दिमाग में भी सबसे पहले यही आया था। दरअसल यह एक प्रेम पर आधारित उपन्यास है। उपन्यासकार विनोद दूबे ने इसे आत्मकथात्मक शैली में लिखा…