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POEM DEEPU

क्या धर्म पहचान है (कविता)

ना मैं हिंदू ना मैं मुस्लिम मैं हूं एक इंसान। ला मैं तेरी गीता पढ़ लूं तूं पढ़ ले मेरी कुरान।   एक ही अरमान मन में मेरे एक ही थाली में खाए हर इंसान…